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रांची के मुसलमानों ने भी किया था पाकिस्तान बनाये जाने का विरोध

वरिष्ठ पत्रकार नवेंदु की कलम से

न्यूजरूम:वर्तमान के दौर में दुनियां के देशों से कर्ज लेकर पाकिस्तान कंगाली की स्थिति में पहुंच चुका है। बढ़ती महंगाई के कारण वहां कि जनता त्राहि-त्राहि कर रही है और भारत की ओर राहत के लिए टकटकी लगाये बैठी है। हालांकि पाकिस्तान बनाने में यूपी और बिहार के मुसलमानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गनीमत है कि इन दोनों राज्यों के मुसलमानों ने कभी पाकिस्तान जाना उचित नहीं समझा।
जब 1947 में संयुक्त भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन ने देश के विभाजन की घोषणा की थी तब रांची के मुसलमानों में भी उबाल आ गया था। तब मेरा परिवार हिन्दपीढ़ी में रहा करता था। मेरे पिता कविवर रामकृष्ण उन्मन ने मुझे बताया था कि लार्ड माउंटबेटन के द्विराष्ट्र के सिद्धांत के विरोध में रांची के देशभक्त मुसलमान रांची की सड़कों पर आ गये थे। डोरंडा और हिन्दपीढ़ी के मुसलमानों ने देश विभाजन का विरोध करते हुए डोरंडा से कचहरी तक जुलूस निकाला था। उनकी हाथों में देश विभाजन के विरोध में तख्तियां थी। पिताजी ने बताया था हिन्दपीढ़ी में कुछ ऐसे मुसलमान थे जो पाकिस्तान बनने के बाद अपनी संपत्ति बेचकर या छोड़कर पाकिस्तान चले गये।इनमें से कई मुसलमानों को पाकिस्तान जाकर अपनी गलती का अहसास हुआ तो वे पुन: वापस अपने देश भारत आ गये।
फिर 15 अगस्त 1947 को हिन्दपीढ़ी सहित पूरे रांची के मुसलमानों ने देश की आजादी का जश्न जमकर मनाया था,रांची के मुसलमानों की देशभक्ति के किस्से से पूरा देश वाकिफ है…

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