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झारखंड में काेराेना के यूके म्यूटेंट स्ट्रेन और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन की एंट्री,यह 70% तक ज्यादा खतरनाक है

झारखंड: झारखण्ड में कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। झारखंड से कोरोना के सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजे गए थे।
सैंपल में घातक संक्रमण पाया गया है। 9 सैंपल में UK का स्ट्रेन मिला है,4 सैंपल में डबल म्यूटेंट वायरस की मौजूदगी पायी गयी है।13 सैंपल में से नाै में यूके म्यूटेंट स्ट्रेन और चार में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन पाया गया है। जिन मरीजाें के सैंपल में यूके म्यूटेंट मिले, उनमें आठ रांची और एक जमशेदपुर के हैं।इनमें कुछ आठ पुरुष और पांच महिलाओं के सैंपल हैं। भुवनेश्वर के रीजनल जीनाेम सिक्वेंसिंग लैब ने इसकी पुष्टि की है। कई राज्याें में काेराेना के नए स्ट्रेन पाए जाने के बाद झारखंड सरकार ने नए स्ट्रेन का पता लगाने के लिए 52 आरटीपीसीआर में पाॅजिटिव पाए गए सैंपल भुवनेश्वर भेजा था।

वहां इनमें से 39 सैंपल जीनाेम सिक्वेंसिंग के लिए याेग्य पाए गए। इनमें से 13 सैंपलाें में वायरस का स्तर खतरनाक मिला। जाे सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, उनका सीटी वैल्यू 25 से कम था। मेडिकल एक्सपर्ट्स इस नए स्ट्रेन को पहले से ज्यादा घातक मान रहे हैं।

ब्रिटेन में स्ट्रेन मिलते ही दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया था
ब्रिटेन में 23 दिसंबर 2020 को स्वास्थ्य मंत्री मैंट हैंकॉक ने नए स्ट्रेन (यूके स्ट्रेन) मिलने की जानकारी देश को दी थी। उसी दिन वहां रिकॉर्ड कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले। साथ ही दो दिन बाद से श्रेणी-4 की पाबंदियां लगाने की घोषणा कर दी गईं। इन्हीं पाबंदियों के बीच दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाया गया और 97 दिन बाद अब धीरे-धीरे अनलॉक किया जा रहा है।

क्या हैं यूके और डबल म्यूटेंट स्ट्रेन..?

रिम्स के क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डाॅ. प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि यूके स्ट्रेन कोरोना के अन्य स्ट्रेन से 70% ज्यादा खतरनाक है। यह कोशिकाओं को कमजोर कर देता है और तेजी से संक्रमित करता है। वहीं मार्च के अंत में नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्राेल ने नए वेरिएंट डबल म्यूटेंट की जानकारी दी थी। इसे बी.1.617 नाम दिया था। इसे डबल म्युटेंट इसलिए कहा गया कि इस वायरस के जिनाेम में दाे बार बदलाव हाे चुका है। दरअसल, ये वायरस खुद काे लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं, ताकि उन्हें खत्म न किया जा सके।

एक्सपर्ट की अपील: संक्रमण के बाद सांस फूले; पहले से किडनी व लीवर की समस्या से पीड़ित हों और सीटी वैल्यू 20 से नीचे हो, तभी जाएं अस्पताल

काेराेना इन्फ्लूएंजा फैमिली का ही वायरस है। इसलिए सर्दी-खांसी, बुखार हाेते ही अस्पताल न जाएं। तीन-चार दिन इंतजार करें। खुद काे आइसाेलेट कर डाॅक्टर की सलाह से दवा लें। लगातार चार-पांच दिन तक 102 डिग्री से ज्यादा बुखार हाे, सर्दी-खांसी, बदन दर्द हो, दाे कदम चलने पर अंधेरा छा जाए, स्वाद खत्म हाे जाए ताे काेराेना हाे सकता है। यह कहना है एमजीएम अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डाॅ. एसी अखाैरी का। उन्हाेंने कहा कि इस सीजन में सर्दी-खांसी, बुखार की समस्या आम है।

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