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झारखंड से तमिलनाडु जाने वाली एलेप्पी एक्सप्रेस से यात्री गायब, ट्रेनों में सन्नाटा

न्यूजरूम : झारखण्ड से तमिलनाडु जाने वाली ट्रेन में भीड़ ना के बराबर हो रही है. पहले की तुलना में ट्रेनिंग वेटिंग लिस्ट भी काफी छोटी है. पिछले दस दिनों में धनबाद से जाने वाली ट्रेन में महज 40-50 टिकट ही बिके हैं.
ट्रेनों के खाली जाने की वजह लोगों में डर का होना बताया जा रहा है. होली का त्योहार खत्म हो चुका है. होली खत्म होने बाद धनबाद से तामिलनाडु जाने वाली ट्रेन में भीड़ कम देखने को मिल रही है. झारखंड के धनबाद स्टेशन से तमिलनाडु रवाना होने वाली एलेप्पी एक्सप्रेस की बोगियां पूर्व की भांति भरी नहीं खाली मिल रही हैं. एलेप्पी एक्सप्रेस में 5 जेनरल बोगी है. जबकि फर्स्ट एसी, थर्ड एसी और सेकेंड एसी मिलकर 11 कोच हैं. फर्स्ट एसी, सेकेंड, थर्ड एसी जैसे कोच में वर्तमान में 45 वेटिग चल रही है. लेकिन समान्य दिनों में यह वेटिंग करीब 250 से 300 के आस पास रहती है.

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बात करें जेनरल बोगियों की तो यात्रियों की संख्या ना के बराबर है. पिछले दस दिनों से 40 से 50 टिकटों की ही बिक्री हो पा रही है. जबकि सामान्य दिनों में करीब 400 टिकटों की बिक्री तमिलनाडु जाने के लिए होते हैं. धनबाद स्टेशन के टिकट काउंटर पर मौजूद महिला रेलकर्मी ने टिकटों की बिक्री कम होने का जो कारण बताया है. वह काफी चौंकाने वाला है. महिला रेलकर्मी का कहना है कि मजदूर डर के कारण तमिलनाडु का रुख नहीं कर रहे हैं.
धनबाद स्टेशन की टिकट बुकिंग काउंटर पर तैनात महिला रेल कर्मचारी नीलम राय ने बताया कि पूर्व में होली के बाद तमिलनाडु जाने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ी रहती थी, लेकिन इस बार होली खत्म होने के बाद भी मजदूर तमिलनाडु जाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. हाल के दिनों में फैले अफवाहों को लेकर मजदूरों के अंदर डर का माहौल है. जिस कारण जेनरल टिकटों की बिक्री में कमी आई है. पिछले दस दिनों से महज 30 से 40 या फिर पचास टिकटों की ही बिक्री हो पा रही है. जबकि पूर्व में एलेप्पी एक्सप्रेस के लिए एक दिन में करीब 300 से 400 टिकटों की बिक्री होती थी.
हालांकि रिजर्वेशन काउंटर मुख्य आरक्षण पदाधिकारी संजीव कुमार ने कैमरे के सामने बोलने से कुछ भी इनकार किया, लेकिन ऑफ दी रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि 5 सामान्य कोच के अलावे फर्स्ट एसी, सेकंड एसी और थर्ड मिलाकर 11 कोच हैं. इन 11 कोच में 40 से 45 वेटिग चल रही है. जबकि होली के पहले यह 300 के करीब वेटिग रहती थी.

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