रांची:अपराधिक मामले में किसी को पुलिस द्वारा हिरासत में रखने की बात तो आम है, लेकिन दो भाईयों के बीच संपत्ति मनमुटाव की शिकायत पर एक पक्ष को पकड़ कर चार दिनों तक थाने के हाजत में बंद रखने की बात सुनने को नहीं मिलती है। लेकिन ऐसी ही एक घटना नरकोपी थाने में घटी जिसमें आरोप लगाया गया है कि थाना प्रभारी संजय कुमार यादव अपनी वर्दी की गरीमा को ताक में रखते हुए वर्दी का नाजायज फायदा उठा कर एक बेकसूर व सीदे साधे ग्रामीण को बेवजह पकड़ कर चार दिनों तक थाना के हाजत में बंद रखा, और चर दिनों के बाद उससे 42 हजार रुपया लेकर छोड़ दिया। हालाकी ऐसा करना उनके लिए कोई नई बात नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो थाना प्रभारी द्वारा और भी कई मामलों में पैसे ऐंठने के लिए अपने उसूल से समझौते किये जा चुके हैं।
जानकारी के मुताबिक नरकोपी के बयासी में मार्च महीने में एक मामला थाना पहुंचा था जिसमें इस्लाम अंसारी के खिलाफ उसका चेचेरा भाई साजिद अंसारी ने उसकी बनी हुई मकान की जमीन पर अपना दावा करते हुए थानें में इस्लाम के खिलाफ शिकायत की थी। उसके बाद थाना प्रभारी उस मामले को इतानी गंभी रता से लिया जैसे बस तुरंत मामले का समाधान हो जाये। थाना प्रभारी खुद से आरोपी के घर पहुंचे और इस्लाम को पकड़ कर थाना ले जा कर हाजत में बंद कर दिया। जिसे छुड़ाने के लिए उसके घर वाले थाने की चौखट में बैठ गये लेकिन उसे रिहा नहीं किया गया यह सिलसिला चार दिनों तक चलता रहा आखिर में उसे छोड़ने के लिए चौथे दिन से तोल मोल शुरु हुआ, लाख से पचास हजार करते हुए मामला 42 हजार में आ कर अटक गया।जिसे परिजनों की असमर्थता के बावजूद किसी तरह उधार ले कर हाजत में बंद इस्लाम के घर वालों ने थाना प्र•ाारी को 42हजार रुपया चढ़ावा चढ़ा दिया उसके बाद उसे हाजत की जिंदगी से आजाद कर दिया गया।
दुनिया जानती है कि पुलिस किसी को बचाने के लिए तो किसी को राहत पहुंचाने के नाम पर चढ़ावा लेती है लेकिन हाल के दिनों में कुछ नये दारोगाओं को थानेदारी मिली है जिन्हें ना तो काम सींखने की चाहत है और ना ही अपराध रोकने की उनकी बस एक ही मनसा यह है की बस कहीं से भी जल्दी पैसों का पेड़ मिल जाये और वो मालामाल हो जायें। ऐसे थानेदारों को ना तो अपनी नौकरी की फिक्र होती है और नहीं अपने सीनियर का डर। ऐसे पुलिस कर्मियों पर लगाम लगनी चाहिये जो बेवजह अपनी उसूलों को तोड़ कर वसूली करते हैं।