रांची: झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा एवं आदिवास छात्र संघ के पहल पर आदिवासी एवं मूलवासी समाजिक संगठनों का संयुक्त स्वरूप में विशेष बैठक प्रेस क्लब रांची में सम्मपन हुआ।जिसमें जातीय जनगणना एवं स्थानीय नीति पर सम्यक विचार- विमर्श हुआ।
विशेष बैठक कि अध्यक्षता डां करमा उरांव ने की और विषयवस्तु को विस्तार से रखा, वही संचालन अंतु तिर्की एवं प्रतिनिधियों का स्वागत सुशील उरांव द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन बलकू उरांव ने की। बैठक में मुख्य रूप कुडमी/ कुरमी विकास मोर्चा, आॅल मुस्लिम यूथ एसोसिएशन (आमया), आदिवासी जन परिषद, आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच, आदिवासी बुद्धिजीवी मंच, झारखंड आंदोलनकारी संघर्स मोर्चा, भारत मुंडा समाज, झारखंड छात्र संघ, झारखंड तेली संघर्ष मोर्चा, सरना समिति जोगो पहाड़, आदिवासी लोहरा समाज, केन्द्रीय सरना समिति, रामगढ़ विस्थापित मोर्चा, अखिल भारतीय परिसंघ झारखंड, आदि संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए, बैठक को सर्वश्री प्रेम शाही मुण्डा, राजू महतो, एस अली, शीतल ओहदार, पीसी मुर्मू, राजू महतो, डां जलेश्वर भगत, फादर महेन्द्र पीटर तिग्गा, पुष्कर महतो, शिवा कच्छप, सरजन हांसद, एल एम उरांव, रामपोदो महतो, धर्मदयाल साहू, नदीम खान, इशरत आलम ,प्रवीण सहाय, उमेश लोहरा, निरंजन हेरेंज टोप्पो, रवि पीटर, जीतू राम साहू, निर्मल पाहान, बहुरा उरांव, माधो कच्छप, दिनेश उरांव रमजान अंसारी आदि ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जातीय-जनगणना एवं स्थानीय नीति देश एवं राज्यहित में आवश्यक है राज्य और केन्द्र सरकार दोनों मुद्दों पर समेकित विचार करे।
बैठक का निर्णय-
(1) जातीय जनगणना के संदर्भ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा कि सभी दलों का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलकर जनभावना के अनुरूप आगामी जनगणना में शामिल करने सबंधी पहल का प्रशंसा की गई।
(2) स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति का परिभाषा स्थानीय मूल-निवासियों के हक अधिकार जो संवैधानिक प्रदत्त है अब तक झारखंड में परिभाषित नही होने दुर्भाग्यपूर्ण है,
इस मामले पर जल्द ही मुख्यमंत्री झारखंड सरकार से मिलेगा और स्मारित करेगा।
(2) स्मार पत्र निर्माण में किन किन मानकों का समावेश होगा इसके लिए 21 सदस्य समिति का गठ़न किया गया।
(3) आगामी 25 सितम्बर को झारखंड के समस्त आदिवासी एवं मूलवासी समाजिक संगठनों और युवा संगठनों के प्रतिनिधियों का विर्हत सभा का आयोजन राजधानी रांची में की जाएगी,
(4) राज्य सरकार से मांग कि गई है आगामी 15 नवम्बर राज्य स्थापना दिवस तक स्थानीय एवं नियोजन नीति का सकारात्मक निर्णय नही होता है तो झारखंड की धरती पर विर्हत आंदोलन की आगाज़ होगी।