रांची:मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में कई नगर निकायों के जन प्रतिनिधियों ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन,
राज्य सरकार के द्वारा महापौर/अध्यक्ष के संवैधानिक शक्तियों को गलत तरीके से परिभाषित कर खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है महाधिवक्ता की राय प्रेषित कर नगर विकास विभाग ने राज्य के सभी नगर निगम/नगर परिषद व नगर पंचायतों को निर्देश दिया है कि नगर आयुक्त/कार्यपालक पदाधिकारी महाधिवक्ता की राय का पालन करें। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि हेमंत सरकार शहर की सरकार को उसके अधिकारों से वंचित कर पंगु बनाने का प्रयास कर रही है।
ज्ञापन के तहत राज्यपाल को बताया गया कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा-23(2)(ए) में प्रावधान है कि नगर निगम का पीठासीन पदाधिकारी मेयर होगा। इसके अलावा धारा-24(3) में प्रावधान है कि मेयर स्थाई समिति का पीठासीन पदाधिकारी होगा। धारा-26 मेयर व अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का तरीका प्रदान करता है। साथ ही धारा-31 में यह प्रावधान है कि महापौर और अध्यक्ष इस अधिनियम में निहित सभी शक्तियों का प्रयोग करेंगे। इसलिए मेयर निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में नगर निगम के कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। नगर निगम के विभिन्न कार्यों के लिए मेयर और अध्यक्ष को कई मत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान की गई हैं।
उन्होंने राज्यपाल से आग्रह करते हुए कहा कि उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए। विभागीय स्तर पर महाधिवक्ता की राय पर राज्य सरकार के द्वारा दिशा-निर्देश दिए गए हैं ।मेयर डॉ. आशा लकड़ा ने बताया कि राजपाल ने उनकी बातों को सुनने के बाद कहा कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 में महापौर/अध्यक्ष को प्रदत्त शक्तियों को राज्य सरकार के महाधिवक्ता नहीं बदल सकते। अध्यक्षीय प्रणाली में अध्यक्ष को ही एजेंडा तय करने व परिषद् बैठक में निष्पादित करने का अधिकार है। इस अवसर पर मेदिनीनगर की मेयर अरुणा शंकर, पाकुड़ नगर परिषद की अध्यक्ष सांप साहा, लातेहार नगर पंचायत की अध्यक्ष सीतामणी तिर्की, गोड्डा नगर परिषद के अध्यक्ष जितेंद्र मंडल, खूंटी नगर पंचायत के अध्यक्ष अर्जुन पाहन, रामगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष योगेश बेदिया व उपाध्यक्ष मनोज कुमार महतो समेत अशोक प्रसाद, अनूप साहू व संदीप आनंद उपस्थित थे।