मनरेगा अधिनियम 2005 की कंडिका 17.2 में स्पष्ट है की ग्रामसभा के लोगों द्वारा मनरेगा योजनाओं का ऑडिट किया जाएगा।
लेकिन मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने सरकार की आंखों में धूल झोंक कर झूठी कहानी सुना कर दर्शाया है कि ग्राम सभा में गड़बड़ी होता है घोटालों को छुपाया जाता है।
अगर मनरेगा आयुक्त को इसकी जानकारी थी तो उसपर कार्रवाई क्यों नहीं हुई,लेकिन मनरेगा अधिनियम में बिना संसोधन जो केन्द्र से होती। JSLPS को मनरेगा से जोड़ कर नियमों को ताक पर रखकर आॅडिट का कार्य दे दिया और JSLPS लगातार मनमानी कर रही है।
जिसके विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल है जिसपर सुनवाई चल रही है कल भी सुनवाई हुआ सरकार के वकील के दाख़िल जवाब से माननीय न्यायालय संतुष्ट नही हुए जिसके बाद कोर्ट ने फटकार लगाते हुए 05 मार्च को फिर जवाब दाख़िल करने को कहा।
इधर फिर आज राज्य समन्वयक ने JSLPS से आॅडिट का आदेश जारी कर दिया जो माननीय न्यायालय का उल्लंघन है।
झारखंड छात्र संघ व आमया संगठन के अध्यक्ष एस अली मुख्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर से इसपर कार्रवाई की मांग किया।