झारखंड गठन के बाद पहली बार बन रहे राज्य सचिवालय के लिए दो खंडों में भवन निर्माण का प्रस्ताव तैयार हुआ है। इसमें एक खंड 9 मंजिलों का होगा जिसमें मुख्यमंत्री स्वयं बैठेंगे और उनसे संबंधित विभागों के सचिव और अन्य वरीय अधिकारियों के कार्यालय होंगे। दूसरे खंड में अन्य विभागों के कार्यालय होंगे और यह चार मंजिलों का होगा। दोनों खंडों को मिलाकर लगभग 10 लाख वर्ग फीट में निर्माण कार्य होगा।
स्मार्ट सिटी परिसर में प्रस्तावित इस सचिवालय भवन के निर्माण से वर्तमान में तैयार कन्वेंशन सेंटर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। परिसर में भव्य और आकर्षक सचिवालय भवन के निर्माण के लिए मशक्कत की जा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को भवन के निर्माण के लिए परामर्शी एवं डिजायन के लिए देश की दो प्रतिष्ठित कंपनियों ने प्रस्तुतिकरण किया। प्रस्तुतिकरण जुडको के सभागार में शुक्रवार को निविदा समिति के समक्ष किया गया।एचइसी परिसर में स्मार्ट सिटी के तहत पूर्व मे प्रस्तावित कंवेशन सेंटर के स्थान पर सचिवालय भवन बनाने का पहले ही निर्णय लिया जा चुका है। लगभग 9 एकड़ उपलब्ध भूमि पर प्रस्तावित सचिवालय भवन के निर्माण, फर्निनिशिंग, गार्डेनिंग और पार्किंग इत्यादि पर 450 से 500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान कंपनियों ने दर्शाया है। सचिवालय भवन के दोनों खंड प्रथम मंजिल से प्लाजा के माध्यम से जुड़े रहेंगे। प्रथम खंड 4 मंजिल का होगा जबकि दूसरा खंड 9 मंजिल का होगा।सचिवालय भवन में सभी वर्गों के लिए अलग अलग प्रवेश मार्ग भी बनेगा। वीआईपी एवं वीवीआईपी के लिए प्रवेश मार्ग अलग रहेगा। छतों पर गार्डेन के अलावा सौर उर्जा के भी प्रावधान किये जायेंगे। मंत्रियों के लिए क्षेत्र भी अलग से रहेगा। कोर्टयार्ड बनेगा जिससे बाहर से प्राकृतिक प्रकाश भी भवन में आती रहेगी। सम्मेलन कक्ष और प्रतिक्षालय का प्रावधान किया गया है।त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के साथ साथ वृक्षारोपण भी होगा। जल एवं अपशिष्ट प्रबंध के भी इंतजाम रहेंगे। परामर्शी एवं डिजायन बनाने के लिए मेसर्स सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट नई दिल्ली तथा मेसर्स कोठारी एसोसियेट्स प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली ने प्रस्तुतिकरण किया। सबसे खास बात यह है कि पूर्व में बने कंवेशन सेंटर के निर्माण कार्य का उपयोग नये भवन में किया जायेगा। उसे हटाना नही पड़ेगा। वर्तमान में राज्य सचिवालय दो भवनों क्रमशः प्रोजेक्ट भवन एवं नेपाल हाउस चल रहा है। प्रोजेक्ट हो सचिवालय 5 मंजिलों का है जबकि नेपाल हाउस चार मंजिलों का। दोनों भवनों को मिलाकर भी सचिवालय की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं और दोनों भवनों की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। इतना ही नहीं कुछ मंत्री प्रोजेक्ट फोन में बैठते हैं और कुछ नेपाल हाउस में। इसी कारण सचिवालय के दोनों भवनों को एक जगह लाने की जरूरत लंबे समय से पड़ रही थी। अब सचिवालय के दोनों भवन एक ही परिसर में होंगे जिससे काम में आसानी होगी।