सरायकेला: पद्मश्री छूटनी महतो गुरुवार को देर शाम अपने गांव पहुंचीं, गांव में विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल और आम लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. तीन दशक से डायन प्रताड़ना को लेकर सजगता के साथ कार्य करने वाली छुटनी महतो सरायकेला जिला के गम्हरिया स्थित बीरबास पंचायत की रहने वाली है और इस साल वो पद्मश्री सम्मान से नवाजी गयी हैं. इसको लेकर उनके गांव में जश्न का माहौल है.
9 नवंबर को राष्ट्रपति की ओर से छूटनी महतो को डायन प्रताड़ित महिलाओं के विरुद्ध उन्मूलन अभियान चलाया जाने के लिए पद्मश्री का सम्मान दिया गया. इससे पूर्व इस वर्ष 25 जनवरी को छूटनी महतो को पद्मश्री दिए जाने के लिए चुना गया था और उनके नाम की घोषणा की गई थी. जिसके बाद से लगातार छूटनी के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है. गुरुवार देर शाम अपने गांव पहुंचने पर पद्मश्री छुटनी महतो काफी खुश नजर आयीं और उन्होंने सम्मान समारोह आयोजित करने वाले तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया.
महतोछूटनी महतो ने पद्मश्री सम्मान पाने के बाद गांव पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि डायन प्रताड़ित महिलाओं को लेकर उनकी जंग अंतिम सांस तक चलेगी. भोलाडीह स्थित परिवार परामर्श केंद्र शाखा कार्यालय की प्रमुख पद्मश्री छुटनी देवी अपने केंद्र में आने वाली सभी महिलाओं को ना सिर्फ बचाती हैं, बल्कि प्रताड़ित करने वाले लोगों को सजा भी दिलवाती हैं.
डायन-बिसाही के खिलाफ लोगों को लगातार जागरूक करने के लिए पद्मश्री छुटनी देवी ने कई अभियान चलाए हैं. बतौर समाजसेवी छुटनी देवी की ख्याति अब इतनी बढ़ गई है कि सरायकेला समेत आसपास क्षेत्र के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल से भी प्रताड़ित महिलाएं परामर्श केंद्र पहुंचती हैं.