आइआइटी के डाटा वैज्ञानिकों ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए लोगों से सावधान रहने की अपील की है
तीसरी लहर, में रोज मिलेंगे एक लाख मरीज लॉकडाउन ही होगा अंतिम उपाय
Jharkhand Newsroom team: दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर हलचल मची है. इसके साथ ही इस नए वैरिएंट ने भारत में भी दस्तक दे दी है. अबतक देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के महाराष्ट्र में 10, राजस्थान में 9, कर्नाटक में 2, गुजरात और दिल्ली में 1-1 मरीज मिले हैं. ओमिक्रॉन को लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है. केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को सतर्क रहने की अपील कर रही हैं, वहीं आईआईटी के डाटा वैज्ञानिक दल ने दावा किया है कि नए खतरे बढ़ा रहे कोरोना वायरस की वजह से कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर फरवरी में आ सकती है और तीसरी लहर में 1 से 1.5 लाख तक अधिकतम मामले प्रतिदिन आ सकते हैं.
अध्ययन दल में शामिल डाटा वैज्ञानिक मनिंद्र अग्रवाल ने बताया है कि इस कोरोना की तीसरी लहर के बड़े आंकड़े के पीछे ओमिक्रॉन ही हो सकता है. हालांकि वैज्ञानिकों ने ये भी कहा है कि इसके कोरोना की पिछली यानी दूसरी लहर से कमजोर रहने का भी अनुमान है.
ओमिक्रॉन को हल्के में लेने की भूल ना करें लोग
वैज्ञानिकों के नए दावे चिंता बढ़ाने वाले हैं. उनके अनुसार नए वैरिएंट ने नई आशंकाएं पैदा की हैं. हालांकि अब तक यही देखने में आया कि ओमिक्रॉन की घातकता डेल्टा जैसी नहीं है. दक्षिण अफ्रीका में मिल रहे मामलों को देखने की जरूरत है. जहां अत्यधिक मामलों के बावजूद अभी भर्ती होने वालों की दर कम है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. आने वाले दिनों में वहां नए संक्रमण व भर्ती करवाए गए लोगों का अनुपात देखकर स्थितियां और साफ होंगी.
लॉकडाउन से ही कंट्रोल किया जा सकेगा
वैज्ञानिक दल में शामिल मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि पिछली बार रात के कर्फ्यू और भीड़ भरे आयोजनों को रोकने से कोरोना पर काबू पाया गया था और संक्रमितों की संख्या में कमी लाई गई थी. इसे देखते हुए आनेवाले समय में भी हल्के स्तर पर लॉकडाउन लगाकर इस वैरिएंट को नियंत्रित किया जा सकता है.
डीएसटी के सूत्र-मॉडल पर ध्यान देना जरूरी है
अग्रवाल ने कहा कि पहले ही विज्ञान एवं तकनीक विभाग ने एक सूत्र-मॉडल प्रस्तुत किया था, जिसमें वायरस का कोई नया वैरिएंट आने पर तीसरी लहर के अक्तूबर में आशंका जताई गई थी. हालांकि नवंबर आखिरी हफ्ते में नया वैरिएंट ओमिक्रॉन सामने आ भी गया है. इसीलिए विज्ञान विभाग के इस सूत्र मॉडल में जताई आशंका पूरी तरह खत्म नहीं होती, केवल समय बदल सकता है