रांची:राजधानी राज अस्पताल में हाल ही में हजारीबाग के एक 16 वर्षीय युवक कृष्ण कुमार के जबड़े की अनोखी सर्जरी की गई। लड़के को 6 साल की उम्र में चेहरे में गंभीर चोट (मैक्सिलोफेशियल ट्रॉमा) लगी थी, जिसके कारण मरीज का जबड़ा खुलना कम हो गया था। जो की धीरे-धीरे समय के साथ और कम होने लगा। बाद में जैसे-जैसे बच्चा बड़ा हुआ, उसके जबड़े का खुलना लगभग शून्य मिमी पर आ गया, जो मरीज के जीवन के लिए एक गंभीर स्थिति बन गई।
मरीज बाइलैटरल टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट एंकिलोसिस से पीड़ित था। रोगी की हालत इतनी ख़राब थी कि वह खाना नहीं खा सकता था और केवल तरल और अर्ध-तरल आहार पर ही जीवित था। बीमारी की वजह से रोगी का चेहरा दाहिनी ओर मुड़ने लगा और विकृत हो गया था । मरीज को 11 साल तक अपने चेहरे की इस विकृत स्थिति के कारण बहुत सारे सामाजिक उलाहना और मनोवैज्ञानिक तनाव का सामना करना पड़ा था ।
राज अस्पताल, रांची के प्रसिद्ध लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. आशीष कुमार मोदी ने मरीज के जांच में पाया की मरीज टी.एम.जे एंकिलोसिस से पीड़ित है। तत्पश्चात अस्पताल के प्रमुख मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. अभिषेक भट्टाचार्जी, एनेस्थेटिस्ट एवं क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख डॉ. मोहिब अहमद और उनकी टीम ने मिलकर मरीज के इलाज के लिए टेम्पोरलिस मसल इंटरपोजिशन के साथ एंकिलोटिक मास (जी.ए.पी आर्थ्रोप्लास्टी) को सर्जरी के द्वारा हटाया।
डॉ. अभिषेक ने कहा कि सर्जरी में जटिलताओं और मरीज को एनेस्थीसिया देने में जटिलता के कारण, मरीज के परिजनों को राज्य के कई अस्पतालों में अस्वीकृति का सामना करना पड़ा और उसे अपना इलाज कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ा।
सर्जरी से पहले मरीज का मुंह बिलकुल नहीं के बराबर खुलता था , डॉ. अभिषेक भट्टाचार्जी द्वारा की गई सर्जरी के बाद बिना किसी सर्जिकल जटिलता के उसका मुंह 4 सेमी तक खुल गया।
डॉ. अभिषेक भट्टाचार्जी ने कहा कि सर्जरी बहुत जोखिम भरी थी और इस तरह की सर्जरी करके मरीज की जान बचाने के लिए उच्च सटीकता और कौशल की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी कहा कि राज अस्पताल, रांची के पास चेहरे की ऐसी गंभीर और उच्च जोखिम वाली सर्जरी को करके मरीज की जान बचाने के लिए सभी उन्नत उपकरण, कुशल तकनीशियन और विशेषज्ञ चिकित्षक उपलब्ध हैं। अब इस तरह के इलाज के लिए मरीज को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है।