रांची: झारखंड के 2021-22 बजट में आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के महत्पूर्ण योजनाओं में कटौती की गयी, हलांकी झारखंड बजट में पिछले वर्ष की अपेक्षा 5.68 प्रतिशत बढ़ोतरी जो अच्छा संकेत है। मगर यह बढ़ते महंगाई और करोना के कारण उत्पन्न संकट को देखते हुए काफी कम है और झारखंड के आदिवासी व दलित और अल्पसंख्यकों के अनुरूप बजट नही के बराबर है। उक्त बातें आज रांची स्थित एचआरडीसी, में दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन और भोजन के अधिकार अभियान द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में वक्ताओं ने कही।
वरिष्ठ समाजिक कार्याकर्ता बलराम जी ने कहा कि झारखंड के 2021-22 बजट में स्वास्थ्य, भोजन और पोषण तथा शिक्षा को केन्द्रित कर बजट
होना चाहिए था, मगर इस बजट में आदिवासी व दलित समुदाय के मुख्य समस्या स्वास्थ्य, भोजन व पोषण को केंद्रित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि
झारखंड की जनता को वर्तमान सरकार से आशा थी कि बजट में आदिवासी दलित व अल्पसंख्यकों के विकास को केंद्रित किया जायेगा, परंतु आदिवासी दलित व अल्पसंख्यकों के योजनाओं में इस वर्ष कटौती कर दी गई है जबकि इस बढ़ाया जाना चाहिए था.
दलित आर्थिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर के राज्य समन्वय मिथिलेश कुमार ने कहा कि झारखंड 2021-22 के बजट में अनुसूचित जातीए अनुसूचित जनजातिए अल्पसंख्यांक और अन्य पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के लिए पिछले वर्ष 124.41 करोड़ रुपयों का आवंटन था जो की इस बार घटकर 123.71 करोड़ रुपये आवंटित हुआ है, जो काफी कम है। वहीं अगर शिक्षा कि बात करें तो हम देखते हैं कि छात्रों के लिए महत्वपूर्ण योजना पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशीप के लिए 2021.22 के बजट मेंए अनुसूचित जाती के 25 करोड़ रुपयों का आवंटन हुआ है तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 7 करोड़ रुपये दिए गए है। जबकि 2020.21 मेंअनुसूचित जाति के लिए 27 करोड़ और अनुसूचित जनजाति के 11 करोड़ का आवंटन था, जो इस वर्ष काफी कम है।
दलित सामाजिक कार्याकर्ता रामदेव विश्वबंधु ने कहा कि झारखंड बने हुए लगभग 20 वर्ष हो गये, मगर आदिवासी उपयोजन और दलित उपयोजन को लेकर झारखंड में कोई सशक्त कानून नहीं बन पाया है, जिसके कारण आदिवासी व दलित समुदाय के बजटीय आवंटन को लगतार 20 वर्षों से विचलण होता रहा है और गैर योजना मद में ज्यादा खर्च किया जा रहा है, जो आदिवासी व दलित के विकास से जुड़ा नहीं है। यूनइटेड मिल्ली फोरम के अफजल अनीस ने कहा कि आदिवास, दलित व अल्संख्यक समुदाय के लिए 2021-22 के बजट कोई खास आवंटन नहीं है। भोजन के अधिकार अभियान के राज्य संयोजक अशर्फीनंद प्रसाद ने कहा कि सरकार पेंशन योजना में यूनिभर्सल किया, जो सराहनीय कदम है, मगर बच्चों के कृपोषण और पोषन के साथ महिला बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान नही के बराबर है। प्रेस वर्ता में मनोज कुमार भुइयां, अमेरिका उरांव, उदय सिंह, सहित कई आदिवासी व दलित नेताओं ने भाग लिया।