रांची: कोरोना के इस महामारी में एक पड़ोसी ने अपने ही पड़ोसी को चूना लगाया है. इलाज के नाम पर अरगोड़ा स्थित ट्विन टावर के 16वें मंजिल पर रहने वाले ललित मोहन को इसी फ्लैट के 5वीं मंजिल में रहने वाले पड़ोसी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव अजित ने साढ़े दस लाख रुपए का चूना लगाया है. दरसअल ललित ने 10 अप्रैल को कोरोना का वैक्सीन लिया था. वैक्सीन लेने के बाद उन्हें बुखार आ गया. दवा लेने के बाद भी बुखार कम नहीं हो रहा था. जिसके बाद ललित मोहन की पत्नी ने अजित की पत्नी से संपर्क किया. अजित ने 13 अप्रैल को डॉक्टर को ललित के स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा. उन्होंने जांच के बाद बुखार से ठीक होने वाली दवा पैरासिटामोल 650 एमजी लिखा. तीन-चार दिन दवा खाने के बाद भी ललित की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. एक बार फिर अजित डॉक्टर को लेकर ललित के घर पहुंचा.
डॉक्टर ने कुछ नई दवाइयां और जांच लिखी. अजित ने ब्लड सैंपल लेने के लिए 15 अप्रैल को एक नर्स के साथ ललित के घर पहुंचा और यहीं से पैसे की ठगी की शुरूआत हो गयी. जांच रिपोर्ट में था टायफाइड के लक्षण जांच करने वाले डॉक्टर के परामर्श पर लिखी गयी दवाई अजित ने ललित को लाकर दी. इस बीच डॉक्टर हर बार ललित की ऑक्सीजन लेवल चेक करते थे. जांच के दौरान ऑक्सीजन लेवल 93-94 के बीच रहता था. एक-दो दिन के बाद ऑक्सीजन लेवल गिरकर 84-85 तक पहुंच गया.
इस तरह से शुरू हुई ललित से पैसे की ठगी
परिवार के लोगों को अजित ने ऑक्सीजन लेवल कम होने की बात कहकर डरा दिया. उसने पोर्टेबल ऑक्सीजन केन “जिस पर “नॉट फ़ॉर सेल” लिखा हुआ था उसके एवज में 22 हजार 500 रुपए लिए.वहीं ललित ने ऑर्किड हॉस्पिटल से बी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर अपने घर पर मंगवाया. ऑक्सीजन सिलेंडर के फ्लो मीटर लगाने के लिए अजित ने एक लड़के को बुलाया. फ्लो मीटर के फिटिंग के नाम पर उसने ललित से पांच हजार रुपए लिए.
इलाज के लिए हर रोज लेता था एक लाख रुपये
20 अप्रैल की सुबह अजित ने ललित को रांची के तुपुदाना स्थित आरोग्यम अस्पताल में भर्ती के नाम पर उनकी पत्नी से एक लाख रुपए लिए. इस बीच ललित खराब स्थिति की जानकारी अजित उनके घर वालों को देता रहा. ललित जब ठीक हो कर घर लौटे तब उन्हें मालूम चला कि उनके इलाज के नाम पर लाखों रुपए का कर्ज उनके परिचितों से लिया गया है. ललित ने कहा कि अजित रोज मेरे घर पर आकर कहता था कि इलाज के लिए एक लाख रुपए रोज खर्च होगा.
रेमडेसीवीर इंजेक्शन 2 डोज के नाम पर लिया 2 लाख 30 हजार रुपए
रेमडेसीवीर इंजेक्शन के दो डोज कीमत अजित ने 2 लाख 30 हजार रुपए बताया. अजित ने इसके एवज में 50 हजार रुपए कैश लिए. जबकि 1 लाख 80 हजार रुपए के साथ एक दिन के इलाज का खर्च एक लाख कुल 2 लाख 80 हजार अपने स्टाफ के खाते में पैसा ट्रांसफर करवाया. जबकि ललित को रेमडेसीवीर इंजेक्शन दिया ही नहीं गया. आरोग्यम अस्पताल के द्वारा ललित के इलाज के खर्चे का दिया गया बिल आरोग्यम अस्पताल का बिल एक लाख 23 हजार, बाकी के पैसे डकार गया अजित वहीं आरोग्यम अस्पताल के संचालक प्रताप सिंह ने कहा कि 20 अप्रैल को ललित उनके अस्पताल में भर्ती हुए थे. मरीज का अटेंडर बन कर ललित अस्पताल पहुंचा था. भर्ती होने के वक्त अजित ने 9500 रुपए जमा किए. जबकि सिटी स्कैन के लिए पांच हजार रुपए जमा किए.
ललित की नाजुक हालत बता परिजनों से ऐंठता था पैसा
ललित की बेटी सौम्या समर ने कहा कि अजित हर बार मेरे पिता की स्थिति को नाजुक बता कर पैसा ऐंठता था. अजित अपने स्टाफ अमन को भेजकर कैश ले जाता था. उन्होंने कहा कि अपने पिता के इलाज के लिए अपने परिचितों से पैसे लिए. हालत ऐसी हो गई थी कि मैं और मेरी मां आत्महत्या करने की सोचने लगे थे.