रांची:झारखण्ड सरकार वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं राँची विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आज 72 वां ” वन – महोत्सव ” का शुभारंभ आर यू के इंस्टीट्यूट ऑफ, लीगल स्टडीज परिसर में पौधा रोपण करके किया गया। पौधरोपण के पूर्व एक सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राँची के विधायक श्री सी पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि केवल पौधा लगाना जरूरी नहीं है बल्कि उसका संरक्षण एवं संवर्धन महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि एक वृक्ष से सभी को छाया, फूल, फल के साथ पर्याप्त ऑक्सिजन प्राप्त होता है जो सबके लिए व्यापक उपयोगी है।उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संकट स से प्रभावित है ,ऐसे विषम परिस्थितियों में पौधा लगाना एवं उसको बचाना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि समय रहते जागरूक नहीं हुए तो गंभीर संकट से सभी को सामना करना होगा।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि पर्यावरण बचाना सबका कर्तव्य है।उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जिस प्रकार ऑक्सिजन की भारी किल्लत से सभी को जूझना पड़ा है , इससे हमें सबक लेते हुए अधिक से अधिक पौधा लगाना चाहिए एवं उसको बचाना भी होगा। उन्होंने उपस्थित एन एस एस के स्वयंसेवकों से अपील की आज जो पौधे लग रहा है उसको गोद लेकर बचाने एवं बढ़ाने में आपकी भूमिका बननी चाहिए।
वन विभाग राँची के रेंज ऑफिसर श्रवण कुमार ने कहा कि 72 वां वन – महोत्सव के माध्यम से झारखंड राज्य में पौधा लगाना एवं उसको बचाना मुख्य उद्देश्य है।
आज के कार्यक्रम का सफल संचालन राँची विश्वविद्यालय के एन एस एस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेश कुमार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन राँची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुकुन्द चंद्र मेहता ने किया।
आज के कार्यक्रम को राँची विश्वविद्यालय के डी एस डब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा, सी वी एस के डिप्टी डाइरेक्ट डॉ स्मृति सिंह, कार्यक्रम पदाधिकारी अनुभव चक्रवर्ती ने भी संबोधित किया।आज आई एल एस परिसर में आम, महोगिनी, अशोक, चम्पा, गुलमोहर के कुल 32 पौधे मुख्य अतिथि श्री सी पी सिंह, कुलपति डॉ कामिनी कुमार एवं अन्य के हाथों लगाया गया।आज के वन – महोत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने में वन विभाग के पदाधिकारियों एवं एन एस एस के स्वयंसेवकों क्रमशः दिवाकर आनंद, राहुल कुमार साहू, शुभम गुप्ता, प्रिंस तिवारी, नेहा, अतीत, अंजली, धिरंजन कुमार साहू आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।