8 फरवरी देश के महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी, भारत के तीसरे राष्ट्रपति का जन्मदिन है।
संयुक्त बिहार में इनके याद में राजभवन के समक्ष 01एकड़ भूमि पर डां जाकिर हुसैन पार्क का निर्माण किया गया था जो 20 डीसमील भूमि पर सिमट गया है। पार्क में लोग घुमने आया करते थे लेकिन पिछले 08 वर्षों से रांची नगर निगम ने ताला लगा रखा है।
झारखंड छात्र संघ व आमया के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि
निगम की लापरवाही और सरकार की उपेक्षा के कारण पद्मविभूषण और भारत रत्न से सम्मानित डां जाकिर हुसैन के नाम पर निर्मित पार्क का उपयोग पेशाबखाना, जुआ और शराब के अड्डा के रूप में हो रहा और पूरी तरह जर्जर व कूड़ाखाना बन गया है।
1897 में जन्म लिये जाकिर हुसैन ने हैदराबाद से कानून की पढ़ाई करने दौरान मौलाना आजाद के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे इस बीच वो पीएचडी करने जर्मनी चले गये और डॉक्टरेट की उपाधि लेकर भारत लौटे, 1920 में उनहोंने अपने साथियों के साथ जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का नींव रखा, 1920 में महात्मा गांधी द्वारा चलाये जा रहे असहयोग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया, उन्हें रोकने के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने इन्हें जिलाधीश बनने का लालच दिया जिसे वो ठुकराते हुए कहे थे कि मातृभूमि अहम है।
वो जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे,
विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष, भारतीय प्रेस आयोग, यूनेस्को, अन्तराष्ट्रीय शिक्षा सेवा, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा सेवा में रहते महत्वपूर्ण कार्य किया।
1948 में राज्यसभा के सदस्य, जिनेवा में सभापति, 1956 में राज्यसभा के अध्यक्ष, 1957 से 1962 तक बिहार के राज्यपाल रहे,
1962 में उपराष्ट्रपति और 1967 में भारत के तीसरे राष्ट्रपति बने और अपने कार्यालय में कार्य करते हुए 3 मई 1969 को उनका देहांत हो गया।
झारखंड सरकार व रांची नगर निगम डां जाकिर हुसैन पार्क का सौंदर्यीकरण कर चालू करे।