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झारखंडरांची

भाजपा नेताओं और माफियाओं के कब्जे में आदिवासियों की परंपरागत ज़मीन पर भाजपा खामोश : बंधु तिर्की

भुईहरी जमीन के सैकड़ों मामले लेकिन भाजपा के नेता केवल कुछेक मामलों पर ही क्यों बोलते हैं?

रांची:पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि रांची में जमीन के वैसे सैकड़ों मामले हैं जहाँ गैर आदिवासियों, भूमाफियाओं, भाजपा नेताओं, और उद्योगपतियों ने आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व की भूमि पर जबरदस्ती कब्जा जमाया हुआ है. श्री तिर्की ने कहा कि वैसे तत्वों के कारण ही झारखण्ड में जमीन की समस्या विकराल हो गयी है. उन्होंने कहा कि गैर आदिवासियों और भाजपा नेताओं के साथ ही भूमि माफियाओं और ज़मीन दलालों ने भी मिलकर झारखण्ड में सीएनटी एक्ट के धज्जियाँ उड़ा दी है.
श्री तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा तथाकथित भुईहरी जमीन के मामले में संलिप्तता पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सख्त कार्रवाई की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इस मामले पर बोलने में भारतीय जनता पार्टी के नेता विशेष रूप से प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जितना अधिक आक्रामक हैं वहीं वैसे सैकड़ों मामले पर वे खामोश क्यों हैं जहाँ भुईहरी जमीन का गैर कानूनी रूप से खरीद-बिक्री और हस्तांतरण किया गया.
श्री तिर्की ने कहा कि रांची में काँके क्षेत्र के चूरी मौजा और पिथोरिया क्षेत्र का सुतियाम्बे पहाड़ देखते-देखते गायब हो गया और उसके पीछे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का ही हाथ है. लेकिन इस मामले में भाजपा नेताओं ने अपने ओठ सिल लिये हैं और उनके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकलता. उन्होंने कहा कि सिमलिया में भी प्रबुद्ध नगर सहकारी गृह निर्माण समिति ने आदिवासियों की जतरा की जमीन पर जबरदस्ती अपना कब्जा जमाया हुआ है और बिना ग्राम सभा की सहमति के वह समिति वहाँ निर्माण कार्य करवा रही है.
उधर पुरानी रांची में भी भुईहरी ज़मीन का ऐसा ही मामला है. लेकिन इन सब मामले में भी भाजपाई एक शब्द नहीं बोलते.
उन्होंने आदिवासी रैयती एवं गैर मजरूआ भूमि को भाजपा के प्रमुख नेताओं एवं जमीन दलालों से मुक्त करवाने की माँग की. श्री तिर्की ने आदिवासी रैयती एवं गैर मजरुआ भूमि का फर्जी कागजातों के आधार पर खरीद- बिक्री करने का आरोप भी लगाया और कहा कि यह छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि वैसे अवांछित तत्व अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिये न केवल राजधानी रांची में या इसके आसपास के क्षेत्र बल्कि पूरे झारखण्ड में फर्जी कागजात बनाकर जमीन ज़मीन के धंधे में संलिप्त हैं जिसके कारण सामाजिक सौहार्द को खतरा है और आपराधिक घटनायें भी बढ़ी है.
श्री तिर्की ने वैसे अनेक मामलों पर आज संवाददाता सम्मेलन में बिंदुवार जानकारी दी :-

1. रातू अंचल के मौजा – सिमलिया के खाता संख्या 194, प्लॉट संख्या 3399, रकबा 25 एकड़ गैर मजरूआ भूमि पर वर्षों से ग्रामीण जतरा मेला का आयोजन करते आ रहे हैं लेकिन उसपर बिना ग्राम सभा की सहमति से नगर सहकारी गृह निर्माण समिति द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है.

2. सीएनटी एक्ट 1869 के खाता संख्या 4 प्लॉट नम्बर 24 पाहन गन्दुरा पाहन एवं करमा पाहन के नाम पर दर्ज़ 2.89 एकड़ भुईहरी ज़मीन है. 1908 के सी.एस. सर्वे में भी यह भुईहरी ज़मीन भीखा पाहन के नाम पर ही दर्ज़ है लेकिन रैयत कॉलम में एक गैर आदिवासी रैयत मानगोविन्द साहु का नाम दर्ज़ हो गया जिसके अंतिम कॉलम में लिखा है कि 1 काएगी 2 बजरीए पट्टा के द्वारा गन्दुरा पाहन वगैरह से हासिल किया. जबकि भुईहरी ज़मीन की खरीद-बिक्री या हस्तान्तरण संभव ही नहीं है. पुनः 1932 के आर.एस. सर्वे में भुईहरी ज़मीन का प्रकार और नेचर ही बदल दिया गया और यह भुईहरी से बकाश्त मालीक और सरना दोन से डालीकटारी दोन में बदल गया. फिर दिलचस्प यह कि एक रैयत मानगोविन्द साहु ही लगान पानेवाला सीताराम साहु बन जाता है जो मानगोविन्द साहु का वंशज है. उसके बाद 2003 में इसी ज़मीन के लिये सीताराम साहु वगैरह एवं मनोज कच्छप, मो. जमाल वगैरह के बीच मुक़दमा चलना शुरू हो जाता है जो 2015 में ख़ारिज हो जाता है. 2015 में ही यह भी पता चलता है कि मो. जमाल, सीताराम साहु से लिया गया वर्ष 1937 का सादा हुक्मनामा जिसमें ज़मीन का मूल्य 1600/= है के आधार पर वर्ष 2008-2010 में जमाबन्दी करवा कर अंचल से रसीद कटवा लिया है जो कि नियमतः गलत है. नियम के अनुसार ज़मीन का मूल्य 100 रूपये से अधिक होने पर निबंधन जरूरी है. इसके साथ ही 1937 से 2008 अर्थात 71 साल के बाद रसीद कटना भी संदेहास्पद है. कुल मिलाकर एक भुईहरी ज़मीन का नेचर बदलना संभव ही नहीं है और सर्वे वर्ष 1932 के खतियान के कॉलम 8 में भी इसे डालीकटारी दोन आदिवासी समाज की सामाजिक-धार्मिक व्यवस्था की भूमि के रूप में ही दर्ज़ किया गया है जिसकी खरीद-बिक्री अथवा हस्तान्तरण संभव ही नहीं है.

3. काँके अंचल के मौजा मालसीरिंग थाना पिठोरिया के खाता संख्या 101, प्लॉट संख्या 279, रकबा 86 डिसमिल,सर्वे खतियान में सरना के रूप में दर्ज है साथ ही कल्याण विभाग द्वारा उक्त सरना स्थल के संरक्षण हेतु घेराबंदी की योजना स्वीकृत की गयी है परंतु वहाँ दबंग तत्वों द्वारा घेराबंदी का विरोध किया जा रहा है.

4. नामकुम के सदाबहार चौक पर दुर्गा मंदिर के पीछे, सुशीला देवी के नाम बंदोबस्ती भूमि खाता संख्या 87/125, प्लॉट संख्या 1265, रकबा 15 डिसमिल में भू माफियाओ द्वारा अवैध रूप से मकान का निर्माण कराया जा रहा है.

5. रांची जिला अंतर्गत इटकी अंचल के मौजा चचगुरा अवस्थित गैर मजरुआ खास खाते की भूमि खाता संख्या 39, प्लॉट संख्या 193, रकबा 9.40 एकड़ भूमि को फर्जी दस्तावेज के आधार पर प्रतिबंधित सूची से विमुक्त कर खरीद-बिक्री करने की कोशिश की जा रही है.

6. खूंटी जिला के कर्रा थाना अंतर्गत खाता नंबर 1, प्लॉट संख्या 113, 122 रकबा 1.46 एकड़ जमीन को भू माफियाओ और भ्रष्ट पदाधिकारियों की मिलीभगत से गैर आदिवासियों को बेच दिया गया है.

7. रांची जिला अंतर्गत हेहल अंचल के खाता संख्या 113, रकबा 7.8 एकड़ पर जेपी उद्यान हुआ करता था जिसे भू माफिया और भ्रष्ट अंचल कर्मियों की मिलीभगत से गायब कर दिया गया.

8. रांची जिला अंतर्गत मौजा अरगोड़ा खाता संख्या 148, प्लॉट नंबर प्लॉट नंबर 1089, 1090, 1091, 1092 के रकबा 1.19 एकड़ जमीन पर न्यायालय ने खतियानी रैयत के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन आजतक वह भूमि रैयत के कब्जे में नहीं आयी. दूसरी ओर, वहाँ बिल्डर द्वारा निर्माण कार्य जारी है. उसे फर्जी पाया गया तथा साइन बोर्ड लगाने को कहा गया जिसे भूमि दलालों ने उखाड़ कर फेंक दिया.

9. ओरमांझी अंचल अंतर्गत खाता संख्या 144, प्लॉट संख्या 303, रकबा 2 एकड़ गैर मजरुआ भूमि, जिसपर दो बड़े-बड़े तालाब थे और खतियान में बाँध दर्ज है लेकिन उसे समतल कराकर उसकी जमाबंदी कर दी गयी.

10. नगड़ी अंचल अंतर्गत मौजा
हल्हु, खेवट संख्या 2/3, समिलात मलिक, खाता नंबर 18, प्लॉट नंबर 378, 422, 424, 1292, 1170 कुल रकबा 9.48 एकड़ भूमि को, माननीय न्यायालय के आदेश को विलोपित कर भूमि माफियाओ द्वारा अवैध तरीके से बेच दिया गया.

11. चान्हो अंचल के अंतर्गत मौजा तरंगा के खाता संख्या 109, प्लॉट संख्या 21/2232, 21/2233 रकबा 8 एकड़ को माइकल नाग के नाम से बंदोबस्त कर दिया गया.

श्री तिर्की ने कहा कि भू माफियाओं एवं अवांछित तत्वों के द्वारा जमीन की लगातार लूट जारी है और उनके द्वारा सादा हुकुमनामा बनाकर गैर कानूनी तरीके से रैयतों को बेदखल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके कारण अपराध की घटनायें भी बढ़ी है और जमीन की खरीद बिक्री से किसी-न-किसी रूप में जुड़े हुए अनेक लोगों के साथ गंभीर आपराधिक घटनायें हुई है जिसमें हत्या तक की घटनायें शामिल है. श्री तिर्की ने कहा कि वैसी अनेक घटनाओं में भाजपा नेताओं की संलिप्तता रही है और इसे संज्ञान में लेते हुए एक समय सीमा के अंदर सभी घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच करने के साथ ही इसमें संलिप्त लोगों पर नकेल कसना बहुत अधिक आवश्यक है. उन्होंने कहा कि समस्या को जमीन से समाप्त करने की जरूरत है और इसलिये यह बहुत जरूरी है कि फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर आदिवासी रैयती एवं गैर मजरुआ भूमि की खरीद-बिक्री पर अविलंब रोक लगायी जाये. इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से अविलंब कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

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