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पूरे संसार के भाजपा नेता झारखंड आकर सम्मेलन कर ले कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है,आदिवासी उनके झांसे में नहीं आने वाले हैं:बंधु तिर्की

रांची:कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विधायक बंधु तिर्की ने अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा द्वारा रांची में आयोजित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा के कार्यकारिणी की बैठक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पूरे देश से क्या पूरे संसार से भी अगर भारतीय जनता पार्टी के नेता झारखंड आकर सम्मेलन कर ले तो कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है, भाजपा से आदिवासियों का विश्वास टूट चुका है उनके शासनकाल में जो आदिवासियों के साथ अन्याय हुआ उनकी जमीन जिस प्रकार लूटी गई, उनकी नौकरी छीनी गई यह जगजाहिर है भाजपा कुछ भी कर ले आदिवासी उनके झांसे में नहीं आने वाला। इसका ताजा उदाहरण विगत 2019 का चुनाव में 28 आरक्षित सीटों में मात्र 2 सीट पर ही भाजपा जीत दर्ज कर सकी। भाजपा आदिवासियों की इतनी ही हितेषी है तो विधानसभा से पारित सरना कोड को संसद से पारित कराएं। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के चुनावी एजेंडा में भी सरना कोर्ट को लागू करने का वादा किया गया था श्री तिर्की ने इसके साथ साथ जमीन की हो रही लूट पर भी अपने विचार व्यक्त किया उन्होंने कहा रांची जिले से सटे प्रखंडों में गैरमजरूआ जमीन और आदिवासी जमीनों पर सीधे साधे रैयतों के साथ जिस प्रकार जमीन की लूट हो रही है तथा आदिवासियों को जमीन के नाम पर ठगा जा रहा है यह किसी से ढका छुपा नही है। झारखंड विधान सभा के प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 223(1) के अधीन प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए माननीय अध्यक्ष झारखंड विधान सभा द्वारा सीएनटी/ एसपीटी एक्ट की धारा 49 में किए गए प्रावधानों के विरुद्ध अनुसूचित जनजातियों की भूमि हस्तांतरण संबंधित जांच प्रतिवेदन हेतु विशेष समिति का गठन किया गया है आप लोगों के माध्यम से मैं अपील करना चाहता हूं कि इस प्रकार की प्रकृति की भूमि की लूट पर विशेष समिति के संज्ञान में लाया जाए ताकि रैयतों को उनका हक मिल सके। मैं माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह करना चाहता हूं कि इस तरह की भूमि की लूट पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि आज जो स्थिति है शहर के बीचो-बीच 184 गांव अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।
आदिवासियों की जमीन की बंदरबांट में बड़े-बड़े पदाधिकारी एवं अंचल कर्मी मिले हैं। आदिवासी जमीन का म्यूटेशन तो नहीं हो रहा है परंतु एक बार कब्जा हो जाने पर रैयत कोर्ट, थाने का चक्कर काट-काट कर थक जाता है लेकिन उसे उसका हक नही मिलता। मैं आदिवासी संगठनों से भी अपील करता हूँ। जहां ऐसा कार्य होता है तो अविलंब रोक लगाते हुए कड़ा विरोध होना चाहिये।

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