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झारखण्डियों की खुशहाली के लिये निरंतर संघर्ष करना होगा : बंधु तिर्की

रांची:सरहुल की पूर्व संध्या पर राजधानी के राज्य पुस्तकालय में मिलन समारोह का आयोजन हुआ,कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि झारखण्ड और यहाँ के लोगों की खुशहाली के लिये निरंतर संघर्ष करना होगा. उन्होंने कहा कि सच्ची और कड़वी बात यही है कि झारखण्ड लंबे समय तक गलत लोगों के हाथों में रहा जिसका खामियाजा यहाँ के लोगों को भुगतना पर रहा है. उन्होंने कहा कि आज अपनी बेहतरी, अच्छे भविष्य और झारखण्ड के जल, जंगल, ज़मीन और प्रकृति की रक्षा के लिये लगातार संघर्ष करने की जरूरत है और यह संघर्ष चाहे जितना भी लंबा हो लेकिन हम झारखण्डी इरादे के पक्के हैं और इस लड़ाई को जरूर जीतेंगे.
आज राजधानी के राज्य पुस्तकालय में सरहुल पर्व की पूर्व संध्या पर आयोजित मिलन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में श्री तिर्की ने कहा कि केवल और केवल आदिवासी होने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को साज़िश के तहत फँसाया गया और आज उन्हें जेल में रहना पड़ रहा है जबकि उन्हें भी केवल आदिवासी होने के कारण साजिशपूर्ण तरीके से न्यायिक मामले में जिस प्रकार से उलझाया गया है उसके कारण वे कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते. श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के लिये आज अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के साथ ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, आपसी एकजुटता आदि को भी बरकरार रखना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि पूरी दुनिया की नजर आदिवासियों की उस समृद्ध संस्कृति और परंपरा पर है जो उनकी सबसे बड़ी संपत्ति है. श्री तिर्की ने कहा कि सामाजिक जागरूकता के अभाव के कारण विशेष रूप से आदिवासियों में ही वैसी अनेक कमजोरी और कमियाँ है जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पर रहा है. उन्होंने कहा कि अगर मांडर से पंडरा तक की ही बात की जाये तो पिछले 1 साल में 83 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और उसमें से अधिकांश 16 से 19 वर्ष की आयु के युवा हैं और उनमें भी आदिवासियों की संख्या अधिक है और ऐसा केवल सड़क सुरक्षा का पालन नहीं करने के कारण हुआ है. श्री तिर्की ने विशेष रूप से छात्र-छात्राओं और युवाओं से अपील की कि वे सभी अपने कैरियर और अपने जीवन को बेहतर बनाने के साथ ही समाज, गाँव एवं अपने परिवार में अपेक्षित सुधार और ग्रामीण जीवन को उन्नत बनाने की भी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उनके ऊपर है. इसके प्रति समर्पित होकर एकजुटता के साथ उन्हें प्रयास करना चाहिये और ऐसा करने से ही प्रकृति और झारखण्ड के साथ ही हम झारखण्डी भी बचेंगे.

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