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सीएनटी एक्ट 1908 में संशोधन कर इसे आदिवासी हित कहकर हेलीकॉप्टर से पर्चे बांटने वाली भाजपा आदिवासियों की हितैषी होने का ढोंग ना करें-बंधु तिर्की

कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने टीएससी नियमावली संशोधन पर सरकार का बचाव करते हुए कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर बेवजह हाय-तौबा मचा रही है पिछले डेढ़ वर्षो से टीएससी गठन का मामला अटका हुआ है तब कभी किसी भाजपा के नेता का कोई बयान नहीं आया जब राज्य के ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री द्वारा इसे सुलभ करते हुए गठन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो भाजपा, आरएसएस वालों के पेट में दर्द हो रहा है। मैं भाजपाइयों को याद दिलाना चाहता हूं की छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में वर्ष 2006 में ही पीएसी के गठन को लेकर संशोधन किया था वही संशोधन अब झारखंड के वर्तमान सरकार ने किया है भाजपा संशोधन करे तो सही और हमारी सरकार करें तो गलत यह दोहरी नीति भाजपा की मानसिकता दर्शाती है भाजपा की पूर्वर्ती सरकार द्वारा आदिवासियों की सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक शैक्षणिक एवं बौद्धिक विकास के लिए कुछ नहीं किया गया रोड नाली बनाने का कार्य तो सभी करते हैं आदिवासियों के नाम पर महज आई वास के लिए भाजपा द्वारा सियासत किया जाता है इनके द्वारा आरएसएस के एजेंडा के अनुसार समाज में जहर घोलने का काम किया जाता रहा है सरना सनातन बोलकर आदिवासियों को गुमराह करने का कार्य किया गया इतने लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए भाजपा सरकार ने ट्राइबल संस्थाओं को पंगु बना दिया उन्होंने जनजातीय शोध संस्थान(TRI) झारखंड राज्य आदिवासी सहकारी विकास निगम लिमिटेड(tcdc) को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी इनके कार्यकाल में संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत जनजातीय उपयोजना (ट्राईबल सबप्लान) मद में आदिवासियों के सामाजिक,आर्थिक, शैक्षणिक उत्थान हेतु केंद्र सरकार से प्राप्त हजारों करोड़ की राशि दूसरे मद में खर्च किए गए इस राशि का उपयोग मोमेंटम झारखंड जैसी फिजूल के आयोजनों में किया गया।

झारखंड स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में किसानों और आम लोगों द्वारा जमा करोड़ों रुपए की सुरक्षा अभी संकट में है इसके अध्यक्ष भाजपा नेता श्री अभय कांत प्रसाद हैं वर्षों से निदेशक मंडल की बैठक तक नहीं हुई है इसके कई सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं पर भाजपा की सरकार ने इसे पुनर्गठित कर सशक्त बनाने में कभी रुचि नहीं दिखाई।

पूर्वर्ती सरकार में ही राज्य के कई आदिवासी समुदाय को लिपिकीय त्रुटि के कारण जनजातीय प्रमाण पत्र बनाने में आ रही कठिनाइयों के निवारण हेतु एक उप समिति का गठन किया गया था इसका क्या हल निकाला गया?

झारखंड को चरागाह समझने वाली पार्टी भाजपा कभी भी आदिवासियों की हो रही जमीन लूट पर मुखर नहीं होती, हजारों ऐसे मामले हैं जिस पर कोर्ट द्वारा आदेश पारित होने के बावजूद आदिवासी रैयत का जमीन पर कब्जा नहीं हुई है इस मामले पर इनके सरकार द्वारा कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया यही सब कारण रही पिछली विधानसभा चुनाव में झारखंड के आदिवासियों ने अधिकतर आरक्षित सीटों से भाजपा का सफाया कर दिया फिर भी इन्हें समझ में नहीं आ रही है।

राज्य के ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री द्वारा सभी बाधाओं को पार करते हुए कुछ करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं तो इन्हें परेशानी हो रही है अगर टीएससी नियमावली में कुछ गलत है तो सुझाव दें जिस पर विचार किया जा सकता है परंतु जब भी आदिवासी और राज्य हित में कोई फैसले होते हैं भाजपा द्वारा सालों भर निष्क्रिय रहने वाले अपने नेताओं और पॉकेट के संगठनों को इसके विरोध में लगा देती है मुख्यमंत्री को काम करने दें, आदिवासी की भावना भड़काकर सियासत ना करें, संघ के विचारधारा से झारखंड को हांकने का कतई प्रयास ना करें यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, झारखंडी मूल के लोग ही झारखंड की दिशा-दशा तय करेंगे।

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