![रांची:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड बोर्ड की 10वीं व 12वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से बढ़कर कोई चीज नहीं है, ऐसे में 10वीं व 12वीं की परीक्षा तत्काल रद्द की जानी चाहिए। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीबीएसइ 12वीं की परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद आइसीएसइ बोर्ड समेत देश के अन्य राज्यों ने भी 10वीं व 12वीं की स्टेट बोर्ड की परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर काफी हद से नियंत्रण में है, लेकिन तीसरी लहर को लेकर भय बना हुआ है। दूसरी लहर में भी कई छात्र संक्रमित हुए थे। इस कारण परीक्षा को लेकर छात्रों के साथ ही उनके अभिभावक भी तनाव में हैं। ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार को संवेदनशीलता के साथ सोचने की जरूरत है। 23 मई को देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में झारखंड सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने भी परीक्षा रद्द करने की वकालत की थी। इसके बावजूद आज 15 दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद भी झारखंड सरकार ने राज्य बोर्ड की परीक्षा पर कोई निर्णय नहीं लिया है। श्री रघुवर दास ने कहा कि अब निर्णय लेने में देरी नहीं करनी चाहिए। जल्द निर्णय लेने से छात्रों, अभिभावकों व शिक्षकों को राहत मिलेगी और बच्चे आगे की तैयारी अच्छे तरीके से कर सकेंगे।](https://jharkhandnewsroom.com/wp-content/uploads/2021/06/11-5.jpg)
नियोजन वर्ष में नियोजन पर आफत, किसके निहितार्थ की गयी गड़बड़ियां- सीबीआई जांच हो
रांची: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा छठी जेपीएससी परीक्षा के अंतिम परिणाम के बाद बने लिस्ट को अवैध बताते हुए रद्द करने के निर्णय को राज्य की झामुमो-कांग्रेस सरकार की नाकामी का दस्तावेज और सरकार के नियुक्ति वर्ष (2021) की घोषणा की फजीहत बताया है।
सरकार ने वर्ष 2021 में नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, लेकिन सरकार के
निक्कमेपन की वजह से कई नियुक्यिां खत्म होने जा रही है –
पूर्व मुख्यमंत्री ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि खतियान के आधार पर नियोजन नीति बनाने का झूठा वादा कर चुनकर आयी झामुमो-कांग्रेस सरकार ने उनकी सरकार (पूर्ववर्ती भाजपा सरकार) द्वारा आदिवासियों-मूलवासियों के लिए बनायी गयी हितकारी नियोजन नीति को नहीं बचा सकी और नयी नियोजन नीति बनाने के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने वर्ष 2021 में नियुक्ति वर्ष घोषित किया था, लेकिन सरकार के निक्कमेपन की वजह से कई नियुक्यिां खत्म होने जा रही है। दास ने कहा कि जानकारी के अनुसार पेपर-1, जो हिन्दी-अंग्रेजी का पत्र था, उसके अंक मेरिट के अंक में जोड़ दिए गए, जिससे झारखंड के हिन्दी भाषी/मूलवासी लोगों को नुकसान हुआ। माननीय न्यायालय ने सरकार को इस गलती को पकड़कर हिन्दी भाषी/मूलभाषी अभ्यर्थियों को होने वाले अन्याय से बचा लिया।
उन्होंने कहा है कि हाई कोर्ट द्वारा मेरिट लिस्ट की गड़बडिय़ों को दूर कर नयी मेरिट लिस्ट बनाने का जो निर्देश दिया गया है उसकी वजह से कई सफल अभ्यर्थी बाहर हो सकते हैं और कई नवनियुक्त अधिकारियों की नौकरी खत्म हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने माननीय न्यायालय द्वारा दोषियों को चिह्नित कर जो कार्रवाई करने का आदेश दिया है, उसका स्वागत किया है और सरकार से कहा है कि वह इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच क्यों नहीं करवा लेती है ताकि यह पता चले कि इन गलतियों / गड़बड़ियों के पीछे किसका फायदा निहित था।