नमस्कार! हमारे न्यूज वेबसाइट झारखंड न्यूजरूम में आपका स्वागत है, खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें +91 6204144174. हमारे यूटूब चैनल को सब्सक्राइब करें, फेसबुक, ट्विटर को लाइक और फॉलो/शेयर जरूर करें।
झारखंडरांचीराजनीति

कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा एसटी/ एससी कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने संबंधी अधिसूचना को रद्द करते हुए नई प्रोन्नति नियमावली बनाई जाए- बंधु तिर्की

रांची: कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड द्वारा अधिसूचना संख्या-14 आ.नी.-04-02/2020 का.-2956/रांची, दिनांक 05.07.2021 के तहत अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजातियों के कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने संबंधी नियम के गठन अथवा प्रभारी नियमों में संशोधन से पूर्व quantifiable data on inadequate representation, efficiency of administration एवं क्रीमी लेयर से संबंधित आंकड़ों को एकत्रित कर एक प्रतिवेदन तैयार करने हेतु उच्च स्तरीय समिति का गठन करना बिल्कुल ही निराधार एवं तथ्यहीन है।

तिर्की ने कहा परिणामी वरीयता के बारे में कोई भी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कर्मी,पदाधिकारी अपनी प्रथम प्रोन्नति के पश्चात वरीयता धारित हो जाता है उसे अक्षुण्ण रखने हेतु संसद से पारित 85 वीं संशोधन के आलोक में झारखंड सरकार कार्मिक,प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के परिपत्र संख्या 1862 दिनांक 31.03. 2003 में स्पष्टीकरण किया गया है जिसके आधार पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के प्रोन्नति के पश्चात प्राप्त वरीयता के आलोक में अनारक्षित पद पर उनकी प्रोन्नति की जा सकती है। महाधिवक्ता के दिए परामर्शानुसार एम. नागराज के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के उपरांत भी कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा सरकारी सेवा में आरक्षण रोस्टर नियमों के अनुसार प्रोन्नति अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता अक्षुण्ण रखने संबंधी जारी दिशा-निर्देश संकल्प संख्या 1862, दिनांक 31.03.2003 में कोई संशोधन की आवश्यकता नहीं है। ज्ञात हो कि मेरे द्वारा विधानसभा में उठाया गया अल्पसूचित प्रश्न संख्या 39 दिनांक 16.03.2020 के आलोक में माननीय अध्यक्ष झारखंड विधान सभा द्वारा आलोच्य मामले की जांच हेतु विशेष समिति का गठन किया गया था।

विशेष समिति द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय,झारखंड उच्च न्यायालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत पत्रों/ परिपत्रों तथा झारखंड राज्य में लागू प्रावधानों के अध्ययनोपरांत/ समीक्षोपरांत अपना प्रतिवेदन दिनांक 10.02.2021 को माननीय अध्यक्ष झारखंड विधानसभा को समर्पित किया गया जिसे झारखंड विधानसभा सचिवालय के पत्रांक 593 दिनांक 19.03.2021 के माध्यम से विशेष समिति के प्रतिवेदन के आलोक में कार्यान्वयन उपलब्ध कराने हेतु झारखंड सरकार को भेजा गया जिस पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए थी।

ठीक उसके उलट विधानसभा के विशेष समिति के जांच प्रतिवेदन के विरुद्ध उच्च स्तरीय समिति का गठन करना बहुत ही संदेहास्पद प्रतीत होता है तथा इससे बिल्कुल स्पष्ट होता है कि कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा आरक्षण के मुद्दे को भटकाते हुए सरकार को गुमराह करना चाहती है जिससे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कर्मियों को प्रोन्नति से सदा वंचित रखा जाए।

जिन बिंदुओं पर अध्ययन प्रतिवेदन तैयार करने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठन किया गया है वे इस प्रकार हैं।

1. Quantifiable data तीन बिंदुओं पर यथा(१) पिछड़ापन(२) अपर्याप्त प्रतिनिधित्व(३) समग्र प्रशासनिक क्षमता से संबंधित आंकड़ा झारखंड सरकार (कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग) द्वारा वर्ष 2011 में ही माननीय उच्च न्यायालय झारखंड को w.p.(s) संख्या 5882/2003 रघुवंश प्रसाद बनाम झारखंड सरकार के वाद में शपथ-पत्र के द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका है जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों में आर्थिक पिछड़ापन एवं पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी पाई गई और समग्र प्रशासनिक क्षमता बहुत ज्यादा पाया गया।

2.creamy layer से संबंधित आंकड़ा के संबंध में कहना है कि भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय के पत्र संख्या 36036/02/2007 स्था.(आर), दिनांक-29.03.2007 के द्वारा स्पष्ट किया गया है कि क्रीमी लेयर का संदर्भ अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों से संबंधित नहीं है फिर भी क्रीमी लेयर से संबंधित आंकड़े इकट्ठा करना तथ्यविहीन है।

तिर्की ने उपरोक्त बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए माननीय मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना को रद्द किया जाय एवं नई प्रोन्नति नियमावली बनाने की मांग की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button