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मॉनसून तक घर नहीं तोड़ेंने का दिया निर्देश, प्रभावितों के पुनर्वास पर पूछा सवाल
रांची:जिले में रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि 2 दिन का नोटिस देकर गरीबों का घर नहीं तोड़ना चाहिए। गरीबों को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उनके साथ अन्याय और अमीरों के साथ न्याय हो रहा। न्याय सबके लिए समान होना चाहिए। कोर्ट वैसे लोगों से पूरी सहानु•ाूति रखता है। जो निचले तबके के हैं। उनका घर तोड़ा जा रहा है लेकिन उनके पुनर्वास के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। कोर्ट निर्मम नहीं है। अदालत रांची को बचाना चाहती है। अतिक्रमण मामले में जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह मौखिक टिप्पणी की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गरीबों को नोटिस के बाद थोड़ा ज्यादा समय देना चाहिए। जिसे वे अपनी व्यवस्था कर सकें। और नोटिस के खिलाफ अपील कर सकें। साथ ही कोर्ट ने अमीर लोगों पर पहले कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने अतिक्रमण किया है उन्हें हटना तो पड़ेगा। लेकिन कोरोना और मॉनसून के वक़्त ये कहां जाएंगे। इसलिए स•ाी पहलुओं को देखकर ही लोगों को हटाएं। 12 घंटा या 24 घंटे का वक़्त देकर घर तोड़ना अमानवीय प्रतीत होता है। घर हटाने के लिये जितनी तेजी से कार्रवाई की गई। उतनी ही तेजी से पुनर्वास का •ाी इंतजाम होना चाहिए।
प्र•ाावित लोगों को बसाने की क्या योजना है
सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता दर्शना पोद्दार से पूछा कि अतिक्रमण हटाओ अ•िायान से प्र•ाावित लोगों को बसाने के लिए सरकार की क्या योजना है। जिसपर नगर विकास वि•ााग के सचिव ने अदालत को बताया कि ऐसे लोगों को बसाने के लिए सरकार के पास योजना है। और इस पर काम किया जा रहा है। रांची शहर बिना प्लान के बढ़ रहा है। लोगों को सरवाइव करने के लिए प्रकृति की रक्षा करनी होगी। अतिक्रमण करने वालों से कोई समझौता नहीं होगा। कोर्ट क्रेडिट नहीं लेना चाहता। सरकार और वि•ााग क्रेडिट ले लेकिन काम करें।