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रांची:भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा है कि आदिवासियों के नाम पर लोग सत्ता पाकर अपना विकास तो कर रहे हैं, पर यहाँ के आदिवासी विकास को तरस रहे हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया के इस बयान के बाद महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा झारखण्ड के आदिवासियों – मूलवासियों का अपना अधिकार मांगना गलत है। कुछ ऐसी ही मानसिकता भाजपा की हो गई है। पहले यूपी बिहार वालों को खड़ा कर माननीय न्यायालय से स्थानीय नियोजन नीति को रद्द कराया। फिर राज्यपाल के माध्यम से 1932 से संबंधित विधेयक को वापस करा दिया। यह कार्य आखिर भाजपा क्यों कर रही है। क्या झारखण्ड के आदिवासियों – मूलवासियों को उनका हक अधिकार देना गलत है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा आदिवासियों – मूलवासियों को अधिकार देने का प्रयास किया गया, लेकिन केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार लगातार झारखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। जो किसी से छुपा नहीं है।
हाल ही में भाजपा के थिंक टैंक कहे जाने वाले अमित शाह ने भी चाईबासा में आयोजित सभा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री ने 1932 का खतियान लागू कर झारखण्ड को बांट दिया। क्या आदिवासियों – मूलवासियों को अधिकार देने का प्रयास करना झारखण्ड को बांटना है। भाजपा भी तो यही चाहती थी कि 1932 का खतियान लागू हो। यह अलग बात है कि 20 साल तक शासन करने के बावजूद भाजपा इसे लागू नहीं कर सकी। जब हेमन्त सोरेन ने यह काम कर दिया तो उन्हें खामियां नजर आने लगी।
भाजपा को तो इस विधयेक को करने में हेमन्त सरकार को सहयोग करना चाहिए था। केंद्र सरकार के समक्ष आदिवासी सरना धर्मकोड दो वर्ष से लंबित है, लेकिन केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं कर रही है। ओबीसी आरक्षण पर भाजपा क्यों चुप्पी साधे हुई है।
भाजपा की झारखण्ड से राजनीतिक पकड़ अब ढीली पड़ चुकी है। जिन मुद्दों के बल पर राज्यवासियों को बरगला कर भाजपा करीब 20 साल तक सत्ता में काबिज रही। उन मुद्दों को हेमन्त सरकार ने मात्र तीन वर्ष में पूरा कर दिया। ऐसे में अब किन मुद्दों को लेकर भाजपा लोगों के समक्ष जाए, वे इस उहापोह में हैं। यही वजह है कि हेमन्त सोरेन द्वारा यहां के आदिवासियों – मूलवासियों के अधिकार के लिए गए निर्णयों को भाजपा गलत बता रही है। भाजपा द्वारा किया जा रहा यह कार्य सिर्फ यहां के आदिवासियों – मूलवासियों पर किया जा रहा कुठाराघात है प्रहार है, जिसकी बड़ी कीमत भाजपा को चुकानी होगी।