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झारखंडरांची

हरमू चौक के पास खाली जमीन का मामला कोर्ट पर चल रहा उसके बावजूद आदिवासियों की जमीन पर हरमू हाउसिंग बोर्ड जबरन काम करवाना चाहती है

 

रांची । वर्ष दो हजार में जब झारखंड राज्य की स्थापना की गई थी , तब जो राज्य की स्थापना का उद्देश्य था उससे झारखंड राज्य आज पूरी तरह से भटक रहा है । नये राज्य की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि यहाँ के लोग खासकर आदिवासी, जिसे अपने अधिकार मिलने चाहिये वह संयुक्त बिहार में नहीं मिल पा रहा था , इसलिये आदिवासियों के लिये अलग राज्य झारखंड की परिकल्पना की गयी और उस दिशा में आन्दोलन की शुरुआत की गयी ।
इसमें कोई दो राय नहीं है इस नये राज्य के गठन के लिये झारखंड के गरीब आदिवासियों ने कई सालों तक जब आंदोलन किया था तब जाकर यह नये राज्य के गठन की मांग पूरी हुई थी । परंतु अब राज्य गठन के बाद यहाँ अगर कोई प्रतारित किया जा रहा है तो वह है यहाँ का गरीब आदिवासी ।
झारखंड में आदिवासियों की स्थिति अच्छी होने की जगह बद से बदतर होती जा रही है । भू माफियाओं और सरकारी तंत्र दोनों मिलकर यहाँ के आदिवासियों को जी भरकर लूट रहे हैं और उसे तरह तरह की यतनायें दे रहे है ।
इसी का ताजा उदाहरण है वर्षों से भू माफिया और सरकारी तंत्र का दंश झेल रहे हरमु निवासी सरजू कछप, जो सालों से पूरे सरकारी तंत्र से लड़ते लड़ते अब टूटने की कगार पर है ।
क्या है सरजू कछप की कहानी ?
सरजू कछप जो रांची शहर के हरमु का रहने वाला है , उसका रांची जिला के हेहल अंचल के अंतर्गत हरमु मौज़ा में सहजनन्द चौक के पास पैतृक जमीन है, जिसपर वह और उसके पूर्वज वर्षों से खेती करते आ रहे थे। जिसका खाता नं 07 एवं प्लॉट नं 485(रकबा-64 डी) व 488 (रकबा-95 डी) है और खतियान उसके पूर्वज काना उरांव वल्द सुंदरा उरांव के नाम से है और हेहल अंचल के पंजी 2 में भी आज तक उसके पूर्वजों का नाम है, जिसका अबतक का मालगुजारी भी सरजू कछप के द्वारा राजस्व विभाग को नियमित रूप से दिया जाता रहा है।
अब अचानक से इसे ज्ञात होता है कि यह जमीन भू अर्जन ने अधिकृत करके हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित कर दिया है। जिसके विरोध में उसने अपना खुद का जमीन पर हक पाने के लिये सीएम और राज्यपाल से लेकर सरकार के सभी अधिकारियों को गुहार लगाया । परंतु उसका किसी ने नहीं सुना ।
अंत में उसने उच्च न्यायालय में न्याय के लिये गुहार लगाया, जिसका केस नंबर -3422/2022 है । अभी यह मामला सुनवाई के लिये न्यायालय में लंबित है । परंतु इसी बीच में हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम ने न्यायालय के किसी आदेश की प्रतीक्षा किये बिना ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जिसका यहाँ के पीड़ित रैयतों ने बिरोध किया और काफी हो हँगामा के बाद वहाँ काम कर रहे ठेकेदारों और अधिकारियों को काम बंद करने को मजबूर कर दिया ।
यह पूरा प्लॉट करीब 5 एकड़ 80 डिसिमल का है, जिसमें सरजू कछप जैसे करीब 12 रैयतों की जमीन है और इस जमीन से करीब 60-70 परिवार प्रभावित हो रहे हैं ।

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