नमस्कार! हमारे न्यूज वेबसाइट झारखंड न्यूजरूम में आपका स्वागत है, खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें +91 6204144174. हमारे यूटूब चैनल को सब्सक्राइब करें, फेसबुक, ट्विटर को लाइक और फॉलो/शेयर जरूर करें।
झारखंडरांचीराजनीतिशिक्षासेहत

कोरोना संक्रमण काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए आवासीय विद्यालयों में पठन-पाठन की निःशुल्क व्यवस्था करें सरकार:आलोक दुबे

रांची: प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन, पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा है कि कोरोना संक्रमण काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए सरकार आवासीय विद्यालयों में पठन-पाठन की निःशुल्क व्यवस्था करें और ऐसे बच्चों की सहायता और पढ़ाईके लिए कई प्राइवेट स्कूल संचालक भी आगे आ रहे है, यह स्वागत योग्य कदम हैं।

पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण माता-पिता और अभिभावक को खो देने वाले बच्चों की मदद के लिए जिस तरह से कई प्राइवेट स्कूलों की ओर से उदारता का परिचय दिया गया है, समाज को भी इस कार्य में प्राइवेट स्कूलों को आवश्यक सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित करीब 20 हजार निजी स्कूलों में कार्यरत लाखों शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों की आजीविका भी निजी स्कूलों पर ही निर्भर हैं। दूसरी तरफ निजी स्कूल अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से इस कोरोना संक्रमण काल में भी बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था को बनाये रखे हुए है। ऐसे में अभिभावकों का भी यह दायित्व बनता है कि वे समय पर अपने बच्चों का ट्यूशन फीस जरुर भरे,क्योंकि अभिभावकों के चंद शुल्क से शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन-मानदेय का भुगतान होता है तथा खर्च का प्रबंध किया जाता है।

आलोक कुमार दूबे ने कहा कि सभी प्राइवेट स्कूल के खिलाफ माहौल बनाने की बजाय अभिभावक यह ध्यान रखे कि उन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों का भरण पोषण कैसे होगा। उन्होंने कहा कि एक-दो निजी स्कूल यदि मनमानी करते है, तो उनको सीधे रास्ते पर लाने का काम ऐसोशियेशन करेगा,क्योंकि इस संकट की इस घड़ी में बच्चों और उनके अभिभावकों की परेशानी को भी समझना होगा।कोरोना के इस महामारी में कई निजी स्कूल बंद हो चुके हैं,पिछले डेढ़ वर्षों से दुनिया में सभी काम हो रहे हैं सिवाय पठन पाठन के।शिक्षा के क्षेत्र में अगर आज भी उम्मीद की रौशनी जिंदा हैं तो सिर्फ निजी स्कूलों में,जहाँ शिक्षकों ने कई संभावनाओं के बावजूद पठन पाठन को अपने जीविकोपार्जन का आधार बनाया और हमारे बच्चो के भविष्य निर्माण में अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया,ऐसे शिक्षकों और निजी स्कूलों को दिन रात कोसते रहना कहीं से भी उचित नहीं है।आलोक दूबे ने केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारों से निजी स्कूल के शिक्षकों को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button