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स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार चिंतित: बादल पत्रलेख

रांची: प्राईवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन, पासवा की झारखंड इकाई द्वारा आयोजित एकदिवसीय राज्यस्तरीय वर्चुअल सम्मेलन का उदघाटन आज कृषिमंत्री बादल पत्रलेख ने किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रुप मे पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे,महासचिव लाल किशोर नाथ और सभी जिलों के जिलाध्यक्षों ने हिस्सा लिया।पूर्वाहन 11.00 बजे

ऐसे हालात में सरकारी स्कूलों के साथ ही निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर भी सरकार चिंतित है

पासवा के राज्यस्तरीय वर्चुअल सम्मेलन का उदघाटन दीप प्रज्वलित कर किया।राज्यस्तरीय वर्चुअल मीटिंग का उद्धघाटन करते हुए कृषिमंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल में केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक समय से स्कूल-कॉलेज सभी शिक्षण संस्थान बंद है। ऐसे हालात में सरकारी स्कूलों के साथ ही निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर भी सरकार चिंतित है और वे लगातार इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, वित्तमंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव, शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ चर्चा करते रहते है।

वैक्सीनेशन को लेकर भी केंद्र सरकार और देश के वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे है

स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के वैक्सीनेशन को लेकर भी केंद्र सरकार और देश के वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे है। इसके अलावा कोचिंग में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भी शत-प्रतिशत टीकाकरण हो जाने पर आवश्यक छूट प्रदान की जा सकती है। कोरोना काल में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को असुविधा हुई है, यह बात सरकार के संज्ञान में है, इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन की ओर से ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जा रहा है, इसके लिए सरकार उनके प्रति आभार व्यक्त करती है। कृषिमंत्री ने कहा कि सरकार बुद्धिजीवी वर्ग की समस्याओं को लेकर चिंतित है और उनकी सभी मांगों पर संवेदनशीलता के साथ विचार कर रही है। पासवा की रांची में पिछले दिनों हुए पहले सम्मेलन में भी हिस्सा ले कर निजी स्कूल संचालकों की समस्या से अवगत होने का मौका मिला था और सरकार सभी बच्चां के भविष्य के अलावा इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है।

कई निजी स्कूल बंद हो गये, केंद्र और राज्य सरकार की अब यह जिम्मेवारी बनती है कि इन स्कूलों को बचाये

इस मौके पर पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्मायल अहमद ने कहा कि कोविड-19 के कारण पिछले डेढ़ वर्षां से निजी स्कूल बंद रहने के कारण इन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले कई शिक्षक पैसे के अभाव में गुजर गये, कई निजी स्कूल बंद हो गये, केंद्र और राज्य सरकार की अब यह जिम्मेवारी बनती है कि इन स्कूलों को बचाये। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी आग्रह है कि इस दिशा में राज्य सरकार आवश्यक पहल करें।

सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पासवा प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी स्कूलों,छात्रों और अभिभावकों को आपसी तालमेल के साथ पठन पाठन को आगे बढ़ाना है,महामारी में कई निजी विधालय बंदी के कगार पर हैं,निजी स्कूलों के खिलाफ वातावरण बनाया जा रहा है जो उचित नहीं है,शिक्षा के क्षेत्र में आज भी उम्मीद की रौशनी निजी स्कूलों में है।उन्होंने सभी जिला अध्यक्षों को कोरोना काल में भी बच्चों को आनलाइन पढाने के लिए धन्यवाद दिया है।

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