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रांची: मस्जिद जाफरिया में बयाद हजरत अली इब्न अबी तालिब की याद में तीन दिवसीय मजलिस शुरू हो गया। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड झारखंड के चेयरमैन और मस्जिद जाफरिया रांची के इमाम व खतीब हजरत मौलाना अल्हाज सैयद तहजिबुल हसन रिजवी ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि अल्लाह का रसूल का फरमान है कि अली की मुहब्बत ईमान और मुहब्बत अली ईमान की निशानी है। हज़रत अली उस महान व्यक्ति का नाम है जिनका जन्म की व्यवस्था ईश्वर ने अपने घर काबा में की। हज़रत अली ने अपना पूरा जीवन मानवता के लिए दे दिया। जब अली को पता चला कि लोग भूखे हैं तो वह रात के अंधेरे में गरीबों के घर अपनी पीठ पर राशन लेकर जाते थे। और अली के शासनकाल में कोई भी भूखा नहीं सोया। हजरत अली ने कहा कि यदि समाज का एक भी आदमी भूखा रहेगा तो उस देश के अमीर लोगों पर तरस खाने के अलावा और कुछ नहीं किया जा सकता। अली के किरदार से मुसलमान अपने समाज को नई जिंदगी दें। लोग हमें धर्म से नहीं चरित्र से पहचानें। 1400 साल पहले सन 40 हिजरी में रमजान की 19 तारीख को हजरत अली पर इराक के कूफा की मस्जिद में अब्दुल-रहमान इब्न मुलजिम ने उस समय हमला किया जब वह नमाज पढ़ रहे थे और 21 रमजान को हजरत अली शहीद हो गए। मर्सिया खानी सैयद अता इमाम रिजवी और मुहम्मद इमाम ने की। पेशखानी सैयद निहाल हुसैन सरियावी, अमूद अब्बास, यूनुस रजा, अमीर गोपालपुरी ने की। कार्यक्रम का आयोजन स्वर्गीय हाजी अज़हर हुसैन के पुत्र सैयद मेहदी इमाम और सैयद ज़फरुल हसन द्वारा किया गया।