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झारखंडराजनीति

मलूटी पर पति का रिसर्च अधूरा ना रहे, इसलिए पत्नी ने बेच दिए गहने

रांची:अब झारखण्ड में इतिहास का शानदार दस्तावेज है बियॉन्ड कंपेरिजन मलूटी
कला संस्कृति विभाग करा रहा है लेखक डाॅ. सोमनाथ आर्य की लिखी किताब का प्रकाशन
भारत गणराज्य के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिखी है पुस्तक की प्रस्तावना
पुस्तक में राज्यपाल , विधानसभा स्पीकर ,पर्यटन मंत्री और सचिव पूजा सिंघल ने जारी किया है बधाई सन्देश
जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे पुस्तक का आधिकारिक विमोचन

रिपोर्ट:सैयद रमीज जावेद

रांची:उन्हें गुमनाम होते ऐतिहासिक धरोहर के प्राचीनतम इतिहास का कलमबद्ध करने का जूनून था मामला लगभग तीन साल के रिसर्च का था अब इसे जुनून कहें या कुछ और… झारखण्ड के प्राचीन टेराकोटा के पुरातात्विक धरोहर के बारे में देश और दुनिया परिचित हो इसके लिए एक लेखक की पत्नी ने अपने लाखों के गहने बेच दिए ताकि पति का रिसर्च पूरा हो सके। लेकिन पति का जुनून और पत्नी का त्याग आज झारखण्ड में विलुप्त होते पुरातात्विक इतिहास का एक शानदार दस्तावेज है। नामः डाॅ. सोमनाथ आर्य। उन्होंने विषय चुना था मलूटी के विलुप्तप्राय होते टेराकोटा के मंदिर का समग्र अध्यण का ।

जिससे राज्य के पर्यटन को ना केवल बढ़ावा मिले बल्कि मलूटी पर नए शोध करने वाले शोधार्थियों को भी ज्ञान का नया मार्ग मिल सके। मलूटी के टेराकोटा मंदिर पर अब तक कोई रिसर्च देश और दुनिया के पास नहीं थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है अब झारखण्ड के कला संस्कृति और पर्यटन विभाग के पास एक वैश्विक स्तर की एक ऐसी रिसर्च आधरित पुस्तक है जो मलूटी को एक नयी पहचान देने का सामर्थ्य रखती है । यह वही दुमका का ऐतिहासिक मंदिरों की श्रृंखला थी जिसका माॅडल 2015 में नई दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र की परेड में झारखंड की आन-मान और शान बनकर चला था। इस झांकी को दूसरा स्थान प्राप्त किया था। तत्कालीन अमेरिकी प्रसीडेंट बराक ओबामा ने भी झारखंड के मलूटी मंदिर की तारीफ की थी। राजपथ पर इसी झांकी के बाद मलूटी ने अपनी नई पहचान प्राप्त की थी और उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार हरकत में आयी थी। लेकिन, समग्र दस्तावेजीकरण के नाम पर मलूटी के हिस्से में शून्य ही रहा। कुछ साल के बाद मलूटी के इतिहास को खंघालते पत्रकार डाॅ.सोमनाथ आर्य की नजर मलूटी पर पड़ी। उन्होने बिना किसी सरकारी सहयोग के मलूटी पर रिसर्च का बीड़ा उठाया। एक टीम का गठन किया जिसमें कई एक्सपर्ट भी थे।

लेकिन अर्थाभाव में यह रिसर्च आधा-अधूरा ही रहा। फोटोग्राफर्स, ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल, डे-नाईट इफेक्ट के लिए महंगे अत्याधुनिक उपकरण, होटल्स का किराया और महीनों आने-जाने का मेगाबजट। डाॅ. आर्य को कई बार महसूस हुआ कि यह कार्य अधूरा रह जायेगा। तो उन्होंने अपनी धर्मपत्नी लक्ष्मी कुमारी से साझा किया। जो और एक प्रयास नामक स्वयसेवी संस्था की चेयरपर्सन भी हैं और सामाजिक कार्य में गहरी अभिरूचि भी रखती हैं। धर्मपत्नी की सलाह पर वे 2018 में कला-संस्कृति विभाग के कई अधिकारियों से मिले तो मिश्रित प्रतिक्रिया मिली।

ब्यूरोक्रेटस के हाॅ-ना के बीच उन्हें लगा कि अब शायद उन्हें ससमय सहयोग नहीं मिल पायेगा तो पत्नी ने अपने सारे गहने बेच कर सहयोग किया और अपने पति से रिसर्च को पूरा करने को कहा। जब रिसर्च पूरा हुआ तो राज्य में नई सरकार का गठन हो गया और कुछ समय के बाद लाॅकडाउन हो गया। डाॅ. आर्य ने बताया कि इस अवधि में पुस्तक को निफ्ट चेन्नई के पासआउट स्टूडेंट राकेश रंजन ने डिजायन किया और उसे वर्ल्ड क्लाॅस टूरिज्म बुक में तब्दील कर दिया। डाॅ आर्य ने बताया कि लाॅकडाउन की समाप्ति के उपरांत मैं 275 पन्ने की अपनी पूरी रिसर्च बुक के साथ राज्य के नये सीएम हेमंत सोरेन से उनके आवास पर मिला और उन्हें पुस्तक की एक प्रति भेंट की। डाॅ़. आर्य ने बताया कि इस रिसर्च बुक को देखकर सीएम इतने प्रभावित होंगे उसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने इस पुस्तक पर अपना आधिकारिक शुभकामना संदेश जारी किया बल्कि उनके निर्देश के बाद मैं विभागीय सचिव पूजा सिंघल से मिला जहां उन्होंने पूरे रिसर्च को झारखंड के ऐतिहासिक दस्तावेज का एक अध्याय बताया।

डाॅ सोमनाथ ने बताया कि अब सरकार और विभागीय सचिव के निर्देश के बाद इस इस रिसर्च पुस्तक की प्रिंटिंग कला-संस्कृति और पर्यटन विभाग के सहयोग से किया जा रहा है। डॉ आर्य ने बताया कि इस पुस्तक में झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू , विधानसभा के स्पीकर रविंद्रनाथ महतो , पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन और विभागीय सचिव पूजा सिंघल का आधिकारिक शुभकामना सन्देश भी प्राप्त हुआ है। इस पुस्तक पर आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अडीशनल डायरेक्टर ने भी पुस्तक को पुरातात्विक दृश्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया है । डॉ आर्य ने बताया की जल्द ही इस पुस्तक का आधिकारिक विमोचन झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे ।

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