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मैने आडवाणी का रथयात्रा रोका था,असम में भाजपा को रोकूंगा:रामेश्वर उरांव

रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह राज्य के वित्त तथा खादद्य आपूर्ति मंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि जब वे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, तो सरकार के आदेश पर उन्होंने सांप्रदायिकता का जहर फैलने से रोकने के लिए लाल कृष्ण आडवाणी जी के रथयात्रा को रोकने का काम किया था। इसके बाद जब झारखंड प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कमान मिली तो राज्य में गठबंधन सरकार को पूर्ण बहुमत मिला है। उन्होंने कहा कि असम विधानसभा चुनाव में भी इस बार कांग्रेस गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलेगा। डॉ0 उरांव रविवार को असम के सिल्चर जिले के सोनाई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस गठबंधन एआईयूडीएफ के प्रत्याशी कमरुद्दीन सोज के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से जिस तरह से पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है, उसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।असम में सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा ने कई लोकलुभावन वायदे किये थे, लेकिन पांच वर्षों के शासनकाल में इनमें से कोई भी वायदा पूरा नहीं हुआ, वहीं पांच सालों के दौरान भाजपा नेता एक वर्ग को दूसरे वर्ग से लड़ाने में जुटी रही और अब चुनाव आने के बाद फिर से नये-नये वायदे में जुट गयी है।
डॉ0 उरांव ने कहा कि असम के चाय बागान में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा से आकर आदिवास समुदाय के लोग मजदूरी कर रहे है, भाजपा ने टी बागान में काम करने वाले आदिवासी ट्राइब्स को एसटी का दर्जा दिये जाने का वायदा किया था, लेकिन यह झूठा साबित हुआ, कांग्रेस गठबंधन सरकार में आएगी, तो इन्हें असम में भी आदिवासी का दर्जा प्रदान किया जाएगा।उन्होंने कहा कि भाजपा नेता रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की बात करते है, लेकिन इनसे सावधान रहने की जरूरत है, कहीं ये चाय बेचते-बेचते चाय बागन न बेच दें।
जनसभा को प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि एक ओर देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बंद होते उद्योग-व्यवसाय और रोजगार छिनने से युवा परेशान है, वहीं भाजपा के पूंजीपति मित्रों की संपत्ति में लगातार इजाफा होता जा रहा है। केंद्र सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दामों में बेच कर अपने पूंजीपति मित्रों को सौंप रही है।जब ये सार्वजनिक उपक्रम घाटे में चल रही है, तो व्यवसाय करने वाले पूंजीपति इन्हें क्यों खरीद रहे है,इसका सहर्ष अनुमान लगाया जा सकता है।

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