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झारखंड सरकार खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करें:आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच

रांची: आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के अध्यक्ष राजू महतो संयोजक लाल विभय नाथ शहदेव, विजय साहू उपाध्यक्ष सर्जन हांसदा,इशरत आलम महासचिव राजकुमार नागवंशी, रंजीत उरांव प्रवक्ता सुबोध दांगी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार सर्वप्रथम खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करें और इसे सभी विकासात्मक कार्यों से जोड़े। चाहे नियोजन का मामला हो यह खान खनिज का आवंटन हो या ठेका पट्टा हो या व्यवसाय कार्य हो सभी जगह खतियान धारियों की भागीदारी सुनिश्चित हो। जिससे आदिवासी मूलवासीयों का समग्र विकास हो सके उक्त नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं मंत्री श्री रामेश्वर उरांव के बयान का स्वागत किया है जिसमें आदिवासी मूलवासी को सम्मानजनक भागीदारी सुनिश्चित करने की वकालत की है।

इससे सिर्फ बयान तक ना रखें इसे कानून में परिवर्तित करें।उपरोक्त नेताओं ने मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करें एवं चेयरमैन हो या चपरासी हर कुर्सी पर बैठेगा आदिवासी मूलवासी को साकार करें। उपरोक्त नेताओं ने झारखंड की क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं नागपुरी, सांथाली, कुरमाली, कुरुख,हो, मुंडारी,खोरठा, पंचपड़गानिया, खड़िया को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए एवं अविलंब भाषा अकादमी का गठन करें। के,जी,से लेकर पी,जी तक की पढ़ाई की व्यवस्था करें। साथ ही बी एड कोर्स में सम्मिलित करते हुए प्रतियोगिता परीक्षाओं में इन भाषाओं की अनिवार्य की जाए।

आदिवासी धर्मकोड को अविलंब लागू किया जाए। 21 की जनगणना फॉर्म में इसका उल्लेख हो ।उपरोक्त नेताओं ने आगे बताया कि झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ने वाले झारखंड आंदोलनकारियों का चयन जिला स्तरीय कमेटी का गठन कर किया जाए जिससे आंदोलनकारियों का चयन समय पर हो सके। और जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करते हुए आंदोलनकारियों को सम्मान,नियोजन और पेंशन दिया जाए। नेताओं ने बताया कि झारखंड में आदिवासी एवं मूल वासियों की सुरक्षा के लिए मूल सी एन टी एवं एस पी टी एक्ट का कड़ाई से पालन किया जाए।और 1908 ई में सीएनटी कानून के लागू होने की भौगोलिक सीमा का यथावत रखा जाए।

एवं वर्तमान थाना क्षेत्र की बाध्यता को हटाया जाए।नेताओं ने वर्तमान केंद्र सरकार के द्वारा जबरन किसान के ऊपर किसान बिल को पार्लियामेंट में पास करा कर ठोकने की कार्रवाई की कड़ी निंदा की एवं अविलम्ब कृषि बिल को वापस लेने की मांग करते हैं उपरोक्त नेताओं ने मांग किया कि वर्तमान सरकार कृषि आधारित एवं वन उत्पादन आधारित उद्योगों की स्थापना की दिशा में सरकार सकारात्मक पहल करें एवं विकास का आधार कृषि को बनावे जिसमें झारखंड के श्रम शक्ति को समायोजित कर सके।अंत में नेताओं ने बताया कि झारखंड सरकार के अंतर्गत कार्यरत पारा शिक्षकों को अविलंब विशेष परीक्षा का आयोजन कर पारा शिक्षकों को सरकारी शिक्षक के रूप में नियुक्त कर साथ ही आंगनबाड़ी सहायिका सेविकाओं समेत अन्य संविदा कर्मियों की भी नियोजित करें।

उपरोक्त नेताओं ने विधायक बंधु तिर्की एवं मंत्री रामेश्वर उरांव के बयानों का पुरजोर स्वागत किया एवं मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से मांग करती है कि वैसे आदिवासी मूलवासी विरोधी पदाधिकारियों के खिलाफ तत्काल निलंबित करते हुए कठोर कार्रवाई करें।ताकि झारखंड में आदिवासी मूलवासी विरोधी पदाधिकारियों की लूट योजना को विफल किया जा सके। फादर स्टैंन स्वामी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया एवं कोरोना काल में झारखंड के कई प्रबुद्ध जनों के निधन पर भी गहरा शोक व्यक्त किया गया।
जिसमें प्रमुख रुप से बिशप निर्मल मिंज, नईमुद्दीन मिर्धा, बिशप दुलार लकड़ा, फ्रांसिस बीन,गिरधारी राम गोंझु,डॉ नंदकिशोर मेहता,डॉ सुनील ब।ड़ा, डॉ भोपाल महतो जस्टिस एम वाई इकबाल आदि प्रमुख है।आगामी 24 जुलाई 2021 को मेकन स्थिति त्रिमूर्ति चौक पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है जिसमें मुख्य अतिथि माननीय विधायक श्री बंधु तिर्की होंगे।

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