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झारखंड का 23 वर्ष लेकिन मुसलमान अपने अधिकारों से वंचित: मुस्लिम मजलिस उलेमा

झारखंड में जातीय जनगणना शुरू करने की मांग: मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर

रांची: झारखंड राज्य अलग करने के लिए झारखंड के रहने वाले सभी धर्म और वर्गों ने संयुक्त रूप से आंदोलन छेड़ा था और कई वर्षों तक खून, पसीना से यह लोग लतपत रहे और कितने शहीद हो गए, कितनों ने अलग स्टेट बनाने के लिए अपना कुर्बानी पेश किया और संयुक्त रूप से सभी समाज के लोगों ने कुर्बानी दिया तब जाकर झारखंड 15 नवंबर 2000 को अलग स्टेट बना। इसके लिए हम माननीय स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई को जो अब इस दुनिया में नहीं रहे मुबारकबाद के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। लेकिन जिस मकसद से अलग स्टेट बनाया गया झारखंड राज्य के सभी वर्गों का ख्वाब पूरा होते हुए दिखाई दे रहा, लेकिन सिर्फ मुस्लिम समाज एक ऐसा अछूत बनकर रह गया है। उक्त बातें मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड के केंद्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी ने कही। वह मंगलवार को अपने आवासीय कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा की यह दुर्भाग्य है कि झारखंड राज्य के मौजूदा सरकार के कैबिनेट में दो-दो मुसलमान मंत्री है। एक कांग्रेस के एक झामुमो से, लेकिन यह अपने गुरु के बताए हुए रास्ते से हटकर अपने समाज के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं। झारखंड के मुसलमान जो लगभग 80 लाख हैं उनके संविधानिक अधिकार बिहार में जो फैसेलिटीज सामाजिक और सभी विभागीय स्तर पर प्राप्त था वो झारखंड में नहीं मिला। झारखंड में मुसलमानो का ख्वाब अधूरा का अधूरा रह गया है। इनका ख्वाब सकारात्मक अब तक नहीं हो पाया। इसका जिम्मेदार कौन? झारखंड में यूपीए,एनडीए दोनों की सरकार रही हैं। हम सुलाते हुए इश्यूज पर कांग्रेस और झामुमो के नेता को बुलाया मेमोर्ंडम दिया, लेकिन न जाने मेमोरंडम लेजाकर जला देते हैं या कचरा में फेंक देते हैं। आज मैं झारखंड के मुखिया हेमंत सोरेन से यह कहना चाहता हूं जो कि इस 15 नवंबर को झारखंड 23 साल का होने जा रहा है। लड़का पैदा होकर जवान हो गया। इनका रोजगार कैसे होगा इनकी बहू बेटियों की सुरक्षा कैसे मिलेगी, नौजवानों का पलायन कैसे रुकेगा, गरीब, शोषित, वंचित, मुसलमान को मेन स्ट्रीम में कैसे जोड़ा जाएगा। भारत के सिस्टम संविधान में जो अधिकार दिया गया था अब तक वंचित रखने का उद्देश्य किया है। मैं साफ-साफ झारखंड के मुखिया हेमंत सोरेन से कहना चाहता हूं कि झारखंड राज्य में मुसलमान का जो संवैधानिक अधिकार है उसे जल्द दिया जाए। आज का मेरा डिमांड है कि बिहार के मुखिया की तरह साहस दिखाते हुए झारखंड में भी जातीय आधार पर जनगणना कार्यक्रम शुरू कीजिए। झारखंड में मुसलमान बहुत सारी चीजों से वंचित हैं। झारखंड में नया परिसीमन भी लागू होना चाहिए। माननीय रघुवर दास ने नया विधानसभा बना दिया। अब तो 107 सीटों का विस्तार होना चाहिए। ताकि मुसलमानो को भी अपने अधिकारों के लिए अपने समाज के लिए भारतीय संविधान का अनुकूल जो पावर दिया गया है उस अधिकार को हासिल करने का मौका मिलना चाहिए। भारत के मुखिया इस राज्य में तशरीफ लाए हैं। ऐसे में मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड भारत के चौकीदार का स्वागत करते हैं। और हमें उम्मीद है कि खूंटी के बिरसा मुंडा के पावन धरती जहां पर उनका आगमन हो रहा है ऐसे में शोषित, वंचित, सभी समाज और वर्गों के अधिकार पर भी माननीय प्रधानमंत्री बात करेंगे ऐसी उम्मीद हैं। झारखंड के 80 लाख मुसलमान भारत के 25 करोड़ मुसलमानो को इस पावन धरती से उनका हक़ अधिकार देने का काम करेंगे। प्रेस कांफ्रेंस में मुफ्ती अब्दुल्लाह अज़हर कासमी, शोएब अंसारी, अनवर खान, मो नसीम, इम्तियाज अहमद, नसीम खान थे।

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