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झारखंडसेहत

एड्स कंट्रोल के परियोजना निदेशक राजीव रंजन पर लगे आरोपों की जांच करेंगे स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव प्रसाद कृष्ण वाघमारे

सिविल सोसाइटी फोरम की शिकायत पर स्वास्थ्य सचिव केके सोन ने गठित की है दो सदस्यीय जांच समिति

राजीव रंजन पर एनजीओ चयन में भ्रष्टाचार, टेंडर, ईओआई, वित्तीय अनियमितता और नियुक्ति में लगे हैं गड़बड़ियों के आरोप

रांची। झारखण्ड राज्य एड्स नियंत्रण समिति के परियोजना निदेशक राजीव रंजन पर लगे एनजीओ चयन में भ्रष्टाचार, टेंडर, ईओआई, वित्तीय अनियमितता और नियुक्ति में गड़बड़ियों के आरोपों की जाँच दो सदस्यीय कमिटी करेगी। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव प्रसाद कृष्ण वाघमारे को इस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीँ विभाग के उप सचिव राजेश कुमार इस जांच कमिटी के सदस्य बनाये गए हैं। कमिटी को 25 फरवरी तक सभी सम्बद्ध पक्षों से जानकारी प्राप्त कर मामले की जाँच करनी है और विभाग को प्रतिवेदन सौंपना है।  इस सम्बन्ध में विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने आदेश जारी कर दिया है। वहीँ, जाँच कमिटी के अध्यक्ष प्रसाद कृष्ण वाघमारे ने एड्स कंट्रोल के परियोजना निदेशक राजीव रंजन को शिकायतों से सम्बंधित फाइलें और अभिलेख अविलम्ब उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। इस जांच कमिटी के बनने और आदेश जारी होने के बाद एड्स कंट्रोल ऑफिस में हड़कंप मचा हुआ है। वहीँ, परियोजना निदेशक से प्रताड़ित कर्मी बेहद आशान्वित हो गए हैं। जाँच कमिटी बन जाने के बाद अभी और भी कई शिकायतें सामने आने की संभावना है। एनजीओ के चयन में हुई मनमानी के सम्बन्ध में कई ऑडियो क्लिप्स भी वायरल हुए हैं, जिसमें राजीव रंजन द्वारा पैसे मांगे जाने की बातें की जा रही हैं।

निदेशक के करीबी उत्पल दत्त और अमृता कुमारी सिंह के नामों का भी उल्लेख

इधर, सिविल सोसाइटी ने अपनी शिकायत में एड्स कंट्रोल में नवचयनित एनजीओ के कर्मी उत्पल दत्त और अमृता कुमारी सिंह के नामों का भी उल्लेख किया है। इन्हें राजीव रंजन का बेहद करीबी बताते हुए इनके द्वारा ही भ्रस्टाचार की शिकायत की गयी है। अमृता कुमारी सिंह को परियोजना निदेशक ने डिप्टी डायरेक्टर, आईईसी के पद पर भी नियुक्त करना चाहा था, लेकिन साक्षात्कार कमिटी के अन्य सदस्यों के विरोध के बाद उसे वेटिंग एक में रखा गया है। मालूम हो कि परियोजना निदेशक ने नवंबर महीने में 8 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था, जिसमें से 3 पदों पर नियुक्ति की गई है। तीनों नियुक्तियों में NACO के गाइडलाइंस का उल्लंघन कर लोगों को रखने के आरोप हैं।

राजीव रंजन पर हमेशा लगते रहे हैं बुरा बर्ताव, कर्मियों की प्रताड़ना, कार्य में लापरवाही और भ्रस्टाचार के आरोप

राजीव रंजन वर्ष 2020 बैच के अधिकारी हैं और सबसे अधिक विवादों में रहे हैं। हमेशा इनपर लोगों से बुरे बर्ताव, कर्मियों की प्रताड़ना, कार्य में लापरवाही और भ्रस्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। पिछली सरकार में इनको अपने घर बुलाकर एक महिला डॉक्टर से दुर्व्यवहार करने के बाद साहेबगंज के उपायुक्त पद से हटा दिया गया था। वहीँ, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से भी इन्हें कर्मियों से दुर्व्यवहार के बाद हटाया गया था। आरोप है कि पिछले लोकसभा चुनावों में इन्हें चुनाव आयोग ने ऑब्ज़र्वर बनाकर उत्तराखंड भेजा था, जहाँ इन्होंने अधिकतर समय घूमने में ही बिताया और बड़ी संख्या में चीजों की खरीदारी की और उसके पैसे तक नहीं दिए।

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