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झारखंड की अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार करेगा ‘जस्ट ट्रांजिशन’

आजीविका सुरक्षा और आर्थिक तेजी को गति देने के लिए सीड ने की ‘जस्ट ट्रांजिशन रिसोर्स सेंटर’ की शुरुआत

JSLPS की सीईओ नैंसी सहाय ने कहा, वैकल्पिक क्षेत्रों की पहचान कर नए तरह के कार्यक्रमों और योजनाओं को किया जा रहा तैयार, ताकि लोगों को मिल सके समुचित रोजगार

रांची: सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा “झारखंड में जस्ट ट्रांजिशन” पर वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर आधारित विकास ढांचे से अलग स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित अर्थव्यवस्था की तरफ बदलाव के कारण आनेवाले सामाजिक-आर्थिक व्यवधानों के बेहतर प्रबंधन और ठोस नीतिगत पहल के लिए सार्थक संवाद करना था। राज्य में कोयला जैसे महत्वपूर्ण संसाधन की समाप्ति के परिदृश्य में ‘जस्ट ट्रांजिशन’ बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका व्यापक उद्देश्य यह है कि जो लोग जीवनयापन के लिए जीवाश्म ईंधन से संचालित अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं, उनकी व्यापक परिवर्तन में अनदेखी नहीं की जाये और उनके रोजगार और सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाये। इसी कड़ी में सीड ने ‘जस्ट ट्रांजिशन रिसोर्स सेंटर’ की शुरुआत की है, जिसका मकसद सब-नेशनल स्तर पर सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच एक मजबूत आम सहमति तैयार करना, शोध-अध्ययन और लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप एक विजनरी नीतिगत ढांचा और क्रियान्वयन रोडमैप तैयार करने में मदद करना, और राज्य एवं क्षेत्रीय स्तर पर सततशील विकास को प्रोत्साहित करना है।कई अध्ययनों का निष्कर्ष है कि देश में कोयले का भंडार सीमित है और एक आकलन है कि इसकी खपत वर्ष 2030 तक चरम पर पहुंचने के बाद कम होने लगेगी। जीवाश्म ईंधन पर देश के 120 जिलों की अर्थव्यवस्था निर्भर है, जहां लगभग 30 करोड़ लोग रहते हैं और इस जीवाश्म संसाधन की समाप्ति के परिदृश्य में इसके बड़े सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे। झारखंड जैसा संसाधन संपन्न राज्य भी इसका अपवाद नहीं है क्योंकि आठ जिलों की अर्थव्यवस्था कोयला पर आधारित है और इस संसाधन की समाप्ति का दूरगामी असर इस पर आधारित उद्योगों के श्रमिकों और स्थानीय समुदायों के जीविकोपार्जन पर पड़ेगा। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, रांची, बोकारो आदि क्षेत्रों को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ेगा।जस्ट ट्रांजिशन से जुड़ी पहल के व्यापक संदर्भ और उद्देश्य के बारे में सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि, “राज्य में जस्ट ट्रांजिशन को प्रोत्साहित करने के लिए सीड ने एक रिसोर्स सेंटर की शुरुआत की है, जो सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिल कर काम करेगा और राज्य सरकार को इस अनुरूप नई नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में सहायता प्रदान करेगा। मैं राज्य सरकार से ‘जस्ट ट्रांजिशन मिशन’ शुरू करने का आग्रह करता हूं, जो आवश्यक पॉलिसी फ्रेमवर्क, फाइनेंसिंग मैनेजमेंट और इम्प्लीमेंटेशन रोडमैप तैयार करने के लिए सभी प्रमुख विभागों के साथ कंवर्जेंस एप्रोच में काम करे, ताकि राज्य में आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के साथ समावेशी विकास का एक नया दौर शुरू किया जा सके।”ज्ञात हो कि 2015 में यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के तहत पेरिस समझौते में ‘जस्ट ट्रांजिशन’ के विचार को आधिकारिक तौर पर शामिल किया गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जीवाश्म ईंधन अर्थव्यवस्था पर निर्भर संगठित और असंगठित श्रमिकों और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को पूरा करने के दौरान होनेवाले बदलावों के कारण कोई नुकसान न हो। जस्ट ट्रांजिशन सामाजिक रूप से जवाबदेह पुनर्वास और आजीविका व्यवस्था का समर्थन करता है और यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल समाज के निर्माण के लिए एनर्जी ट्रांजिसन का भी पूरक है।इस मौके पर झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की सीईओ सुश्री नैन्सी सहाय (आईएएस) ने कहा कि “इस बदलाव के दरम्यान नौकरियों और आजीविका के ह्रास की चुनौती को दूर करने के लिए हम तैयार हैं। हम वैकल्पिक क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं और नए तरह के कौशल विकास कार्यक्रमों और योजनाओं को तैयार कर रहे हैं, ताकि प्रभावित लोगों को समुचित रोजगार के लिए सक्षम बना कर समायोजित किया जा सके। जेएसएलपीएस राज्य में जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया को बेहतर करने और आजीविका सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान श्रमबल के पुन: कौशल और क्षमता वृद्धि में एक अग्रणी भूमिका निभाएगा।”एक समन्वित दृष्टिकोण की जरूरत पर बल देते हुए प्रो एसके समदर्शी, डायरेक्टर, सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन ग्रीन टेक्नोलॉजी एंड एफीशिएंट टेक्नोलॉजी (झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने कहा कि, “इस विषय पर योजना निर्माण और व्यापक सहमति बनाने के लिए मल्टी-स्टेकहोल्डर्स एप्रोच के साथ निरंतर संवाद और समाधानपरक शोध-अध्ययन की आवश्यकता है। सभी प्रमुख विभागों के बीच समन्वय और कन्वर्जेन्स तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि जस्ट ट्रांजिशन केवल ऊर्जा और पर्यावरण क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसलिए प्रभावी योजना निर्माण और क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों और एजेंसियों को एक स्पष्ट विजन के साथ काम करने की आवश्यकता है।” वेबिनार को संबोधित करते हुए झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री बिजय कुमार सिन्हा ने कहा कि, “जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया में ऊर्जा एक प्रमुख तत्व है और हम अर्थव्यवस्था के हरेक क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक स्टेट नोडल एजेंसी के रूप में हम राज्य में सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर ऊर्जा, हाइड्रो, बायोमास आदि के व्यापक इस्तेमाल तथा इसके लिए जरूरी प्रशिक्षण और क्षमता विकास का मजबूत तंत्र विकसित कर रहे हैं ताकि जस्ट ट्रांजिशन के जरिए क्लीन और ग्रीन इकोनोमिक मॉडल स्थापित हो।”वेबिनार को प्रो रमेश शरण (पूर्व कुलपति, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी एवं प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री समेत अन्य प्रमुख वक्ताओं ने भी संबोधित किया और इस परिचर्चा में प्रमुख विभागों और एजेंसियों, रिसर्च थिंकटैंक, शिक्षाविदों और सिविल सोसाइटी संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही। एक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य की मशहूर हस्तियों, राज नेताओं और रोल मॉडल ने वीडियो संदेश के माध्यम से जस्ट ट्रांजिशन का समर्थन किया है, जिनमें *पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मरांडी, भाजपा प्रवक्ता श्री प्रतुल शाहदेव एवं श्री कुणाल षाड़ंगी, झामुमो सांसद श्री विजय हांसदा, पूर्व मंत्री श्री अमर कुमार बाउरी, डॉ विनय भरत, डॉ नितीश प्रियदर्शी, लोक कलाकार नंदलाल नायक, चंदन तिवारी आदि प्रमुख है

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