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राज्य में किसान बेहाल सरकार मालामाल: रणधीर सिंह

ममता बनर्जी सरकार के नक्शे कदम पर चल रही हेमंत सरकार

केंद्र की योजनाओं को धरातल पर नही उतार रही राज्य सरकार।

रांची:भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए सारठ विधायक एवं पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि कृषि, पशुपालन विषय पर राज्य सरकार विफल साबित हुई है।
श्री सिंह ने कहा कि किसानों के कल्याण एवं उनके विकास के नाम पर राज्य सरकार पूर्ण रूप से विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की अपने विभाग और अधिकारियों पर पकड़ ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछली रघुवर सरकार के समय मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत मिलनेवाले लाभ को हेमन्त सोरेन सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट में बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि हेमन्त सरकार ने सत्ता में आने के बाद घोषणा की थी कि हम किसानों के ऋण माफ करेंगे। परंतु इस मामले में भी यह सरकार विफल नजर आ रही है।केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की ओर से इस विभाग के लिए योजनाएँ बन रही हैं, राशि दी जा रही है, परंतु वे योजनाएँ धरातल पर नहीं उतर रही हैं।

उन्होंने कहा कि 2 लाख तक कृषि ऋण माफ करने की बात करने वाली सरकार 50 हजार की सीमा पर ही अटक गयी।
उन्होंने कहा कि 11 लाख में से 4 लाख किसानों को ही अब तक सरकार ढूंढ़ सकी है।
केंद्र की ओर से किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपये सालाना दिया जा रहा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे किसानों के खाते में 6000 रुपए सालाना और हर 4 महीने में दो-दो हजार रुपए डालने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना चलाई है। उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरुआत से अबतक झारखंड के किसानों के खाते में 10 किस्त आ चुकी है। उन्होंने बताया कि पूरे झारखंड में 31 लाख 51 हजार किसानों का डेटा अपलोड करने का काम हुआ था और उनके खाते में हर 4 महीने पर दो-दो हजार रुपए डाले जा रहे थे।

श्री सिंह ने आरोप लगाया कि झारखंड की मौजूदा सरकार ने इस सूची में से 4 लाख किसानों का नाम हटा दिया। उन्होंने हेमंत सरकार से प्रश्न पूछा कि सरकार ने इन 4 लाख किसानों का नाम किस आधार पर हटाया क्योंकि उन्हें पैसा तो झारखंड सरकार दे नहीं रही थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि यह सरकार ममता बनर्जी की सरकार की राह पर चल रही है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार नहीं चाहती है कि भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ झारखंड के किसानों को मिल सके।
उन्होने कहा कि किसानों को सहायता के नाम पर उन्हें बीच मझधार में छोड़ दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हेमन्त सरकार धान क्रय केंद्र की संख्या कम कर दी है, जिसके कारण किसान अपने धान को औने पौने दाम में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर है। यदि किसान किसी तरह अपने धान को सरकार को बेच रहे है उसमें भी उसे एकमुश्त पैसा नही देकर किस्तो में पैसा दिया जा रहा है, जबकि पूर्व की रघुवर सरकार में एकमुश्त राशि दिया जाता था।
आगे उन्होंने कहा कि 2021 में दो-दो तूफान से लाखों किसानों को नुकसान हुआ, लेकिन आज तक सरकार ने प्रभावित किसानों को एक पैसा भी मुआवजा नही दिया।
उन्होंने कहा कि बारिश में हज़ारो किसानों के घर भी गिरे है लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग ने गिरे हुए घर के मरम्मतों के लिए भी कोई मुवावजा नही दिया।

आगे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 40 फीसदी राशि भी जारी वित्तीय वर्ष में व्यय नहीं कर सकी है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 31 दिसंबर, 2019 तक कृषि विभाग के निर्धारित बजट का 40 फीसदी से अधिक खर्च हुआ परंतु 31.12.20 में यह 4.20% और 31 दिसंबर 2021 तक 38.64% ही खर्च कर पायी है।

श्री सिंह ने कहा कि राज्य में 11 लाख से अधिक किसान हैं परंतु राज्य सरकार के स्तर से ऋण माफी का लाभ नहीं मिल पाने से 4 लाख से ज्यादा किसानों का खाता एनपीए हो गया है।और इसका नतीजा यह है कि किसान कर्जदार होते जा रहे हैं।राज्य के 7 लाख से अधिक किसान ऋण माफी के इंतजार में बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि बीज वितरण के लिए हेमंत सरकार ने 25 करोड़ का बजट रखा। इसमें से मात्र 3.30 करोड़ का ही उपयोग हो पाया है।उन्होंने कहा कि बंजर भूमि राइस तालाब जीर्णोद्धार योजना के लिए 210 करोड़ में से एक रुपये भी खर्च नहीं किया जा सका है। तालाब पुनरोद्धार योजनाओं पर 360 करोड़ का बजट तय किया जिसमें से एक प्रतिशत भी व्यय नहीं हुआ है। इससे किसानों के सामने सिंचाई सुविधाओं का संकट बना हुआ है।

श्री सिंह ने कहा कि कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 75 करोड़ रुपये तय किये। इसमें भी एक प्रतिशत तक खर्च नही हुआ।ओफाज योजना के माध्यम से राज्य में ऑर्गेनिक कृषि को प्रोत्साहित करने की योजना है।रघुवर सरकार में सिक्किम, इजरायल के दौरे पर किसानों को भेजा गया था। 150 करोड़ रुपये सरकार ने इस योजना के लिए रखे हैं जिसमें से 34 लाख रुपये ही खर्च कर सकी है।

आगे उन्होंने कहा कि शोध प्रशिक्षण के लिये 52 करोड़ रुपये रखे गये हैं पर इसमें से एक रुपया भी बिरसा एग्रीकल्चर और अन्य को रिलीज नहीं किया गया है।बिरसा ग्राम विकास योजना के तहत 61 करोड़ में से खर्च शून्य है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन, पीएम कृषि सिंचाई योजना और अन्य योजनाओं पर व्य्य के मामले में हेमन्त सरकार का रिकॉर्ड खराब है।

प्रेस वार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक उपस्थित थे।

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