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सेंटाविटा अस्पताल में मौत की होगी जाँच,प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कारवाई की जाएगी:कांग्रेस राहत निगरानी समिति

रांची:झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी राहत अस्पतालों द्वारा आपदा में अवसर विषय को लेकर रांची प्रेस क्लब में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह, मुख्य वक्ता रांची विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर व समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ प्रभात कुमार सिंह, रामगढ़ कॉलेज के प्रिंसिपल मिथिलेश कुमार सिंह ने अपने विचार प्रकट किये।विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस कमिटी राहत निगरानी समिति के सदस्य आलोक कुमार दूबे ने किया जबकि संचालन लाल किशोर नाथ शाहदेव ने किया एवं स्वागत भाषण डा.राजेश गुप्ता छोटू ने किया।विचार गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह ने कहा कि कोरोना काल में प्राइवेट अस्पतालों के कहर से हर घर और हर परिवार ग्रसित रहा है, यह एक छोटा विषय नहीं है, सरकार तक पूरे वस्तु स्थिति की जानकारी पहुंचाने की आवश्यकता है। लोक कल्याणकारी सरकार हमसे टैक्स वसूलती है और हमें सुविधाएं देने का वचन देती है, कोविड-19 जिस तरह से निजी अस्पतालों का रवैया रहा वह काफी दुखद था, मैं खुद ही बहुत मुश्किल से वापस लौटा हूँ,सरकार हमें मूल मुद्दों से भटका कर दूसरे चीजों में फंसाने की कोशिश करते हैं। निजी अस्पताल सिर्फ लूट के लिए के लिए ही बने हुए हैं, सरकारी अस्पताल इस देश के लाइफ लाइन है जो इस महामारी में साबित हुआ है। उन्होंने कहा गठबंधन के तीनों साथियों को साहस के लिए हम धन्यवाद देते हैं।सभागार में मौजूद युवाओं को संबोधित करते हुए राजेश सिंह ने कहा कि भविष्य आपका है और चुनौतियों का सामना भी आपको करना है, समाज के अंदर कुरीतियों के खिलाफ खड़े होइये और बोलिए,अच्छे-अच्छे बुद्धिजीवी भी तथ्य पर बात नहीं करते हैं, बड़े बड़े पूंजीपति और अधिकारी अस्पताल खोलकर अपना व्यापार कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है।मुख्य वक्ता के रूप में रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था के लिए भारतीय शासक दोषी हैं,भारतीय जनता कहीं से भी जिम्मेवार नहीं है,प्राइवेट अस्पतालों को खुलने के पहले मापदंड बने हुए है उन मापदंडों का पालन किये बगैर सरकार उन्हें खोलने की अनुमति देती है जो सरासर गलत है। उन्होंने कहा झारखंड के प्राइवेट अस्पताल और देश के दूसरे हिस्सों के प्राइवेट अस्पतालों में आसमान जमीन का फर्क है। उन्होंने आपबीती घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैं यहां बीमार पड़ा और रांची के बड़े अस्पताल मे इलाज कराने गया तो कोई मुझे देखने वाला नहीं था वहीं जब मैं दिल्ली गया वहां घुसते ही मेरी बीमारी दूर हो गई। झारखंड के निजी अस्पतालों के अत्याचार से पूरी जनता कराह रही है जिससे बाहर निकालने की जरूरत है। शासकों को चाहिए कि निजी अस्पतालों पर अंकुश लगे और जरूरत से ज्यादा भयादोहन बंद होना चाहिए।विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए रामगढ़ कॉलेज के प्रिंसिपल मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कोनोना काल में जान पहचान के लोग भी गए, सहकर्मी और रिश्तेदार भी गुजर गए यह पीड़ा हम सबकी है और उस पीड़ा को नियंत्रित करने का काम राहत निगरानी समिति कर रही है,हमारा पहला दायित्व बनता है कि यह कदम आगे उठता रहे और हम जैसे गिलहरी योगदान दे सके तभी बात आगे बनेगी। आपदा में अवसर हमेशा मिलता रहा है लेकिन कोविड-19 आपदा और बाकी महामारी में बड़ा फर्क है,अगर हम इस अंतर को समझते हैं तो यह बातें सामने आई हैं कि सरकारी अस्पताल रिम्स और सदर की जितनी नकारात्मक खबरें बाहर आती है इनकी खूबियाँ बाहर नहीं आने दी जाती है यह सब इन प्राइवेट अस्पतालों की बड़ी साजिश का परिणाम है। सरकारी अस्पताल व सरकारी कॉलेज बहुत अच्छे हैं, लेकिन निजी अस्पतालों द्वारा दी जा रही पीड़ा असहनीय और अवर्णनीय है, जिसकी आवाज शासकों व रहनुमाओं तक पहुंचाना जरूरी है।विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए आलोक कुमार दूबे ने कहा निजी अस्पतालों ने सरकार के आदशों की अवहेलना की,मरीजों के घर,जमीन,जायदाद, गहने बेचने तक के लिए मजबूर किया,सात हजार करोड़ रुपये कमाये हैं जिसका हिसाब निजी अस्पतालों को देना होगा और सत्रह महीने के आय व्यय का ब्यौरा अगर नहीं दिया गया तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।

विचार गोष्ठी में प्रस्ताव पारित किए गये जिससे सरकार को अवगत कराया जाएगा।पारित प्रस्ताव में सरकार से मांग की गई है कि 17 महीने के आय व्यय का ब्यौरा निजी अस्पताल सार्वजनिक करे,सभी अस्पतालों में आईसीयू,आईसीसीयू में सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से वेटिंग रुम में परिजनों को मरीजों को देखने का मौका मिले,सभी अस्पताल हर इलाज का दर डिस्प्ले करे,राहत निगरानी समिति ने डॉक्टर, नर्स,पारा मेडिकल स्टाफ के प्रति दिल की गहराइयों से कृतज्ञता प्रकट करती है,मरीजों के निधन के बाद भी भयादोहन के लिए परिजनों से जीवित रहने की घटना की जांच हो,रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना की जाए एवं अस्पतालों पर निगरानी रखी जाए।
संचालन करते हुए लाल किशोर नाथ शाहदेव ने बताया कि पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि निजी अस्पताल अगर स्पष्ट नहीं करते तो छठ पूजा के बाद निजी अस्पतालों में जाकर उनके गलत कृत्यों का पर्दाफाश किया जाएगा एवं नवम्बर के अंतिम सप्ताह में मोराहाबादी मैदान में जनता दरबार लगाकर कोरोना मरीजों के परिजनों से उनकी आपबीती बताई जाएगी,सेंटाविटा अस्पताल में महिला की हुई मौत की जाँच की जाएगी एवं प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कारवाई की जाएगी।स्वागत संबोधन करते हुए राहत निगरानी समिति के सदस्य डा.राजेश गुप्ता छोटू ने कहा निजी अस्पतालों की मनमानी को लेकर सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है जहाँ हम तथ्यों को सामने रख सकते हैं।विचार गोष्ठी में एनएसएस के छात्र दिवाकर आनंद,रोजी शर्मा, प्रिंस तिवारी, सुजीत कुमार, लहू बोलेगा के नदीम खान,फिरोज रिजवी मुन्ना,सोनी नायक,पासवा के अरविन्द कुमार,डा.सुषमा केरकेइ,संजय कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थित असंवेदनशील और लापरवाह हो चुकी है।

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