नमस्कार! हमारे न्यूज वेबसाइट झारखंड न्यूजरूम में आपका स्वागत है, खबर और विज्ञापन के लिए संपर्क करें +91 6204144174. हमारे यूटूब चैनल को सब्सक्राइब करें, फेसबुक, ट्विटर को लाइक और फॉलो/शेयर जरूर करें।
Headlineझारखंडरांचीराजनीति

राज्य सरकार के किसी भी योजनाओं के शिलान्यास उद्घाटन में शामिल नहीं हो सकेंगे सांसद,संजय सेठ ने किया विरोध

संजय सेठ ने कहा : लोकतंत्र के संघीय ढांचे को तोड़ रही है झारखण्ड सरकार।

मुख्यमंत्री बताएँ कि जब विधायक-सांसद को एक ही जनता चुनती है तो यह भेदभाव क्यों..?

रांची:रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा है कि वर्तमान की झारखंड सरकार लोकतंत्र की मर्यादा व मूल्यों को तार-तार करने पर आमदा है। सांसद श्री सेठ ने कहा कि लोकतंत्र की बनी बनाई व्यवस्था को जिस तरह से सरकार ध्वस्त करने पर लगी हुई है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। झारखंड की कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार सभी प्रकार की योजनाओं के शिलान्यास एवं उद्घाटन को लेकर, जो नया दिशानिर्देश जारी किया है। वह ना सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण भी है। संभवत: पूरे देश में यह पहली सरकार है, जिसने केंद्र व राज्य की योजनाओं के उद्घाटन-शिलान्यास के लिए अलग-अलग मानदंड तय किए हैं। सांसद ने कहा कि सरकार के प्रधान सचिव वंदना दादर के हस्ताक्षर से निकले पत्र में यह जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार की योजना, केंद्र प्रायोजित योजना के उद्घाटन शिलान्यास में राज्य सरकार के मंत्री विधायक रहेंगे। और इसमें सांसद की भी उपस्थिति होगी। जबकि राज्य सरकार की योजनाओं में सांसद की उपस्थिति को दरकिनार कर दिया गया है। इसपर एतराज जताते हुए सांसद श्री सेठ ने कहा कि राज्य सरकार को पहले यह तय करना चाहिए कि केंद्र सरकार से प्रायोजित कितनी योजनाएं राज्य में चल रही है? और राज्य सरकार कितनी योजनाएं खुद से चला रही हैं? सरकार जनता के सामने पहले इस बात का स्पष्टीकरण दें। उसके बाद यह बताएं कि किस नियम के तहत सरकार ने यह फैसला लाया है। यदि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार के प्रतिनिधि रह सकते हैं तो फिर राज्य प्रायोजित योजनाओं में सांसद क्यों नहीं रह सकते? ऐसा निर्देश जारी कर इस सरकार ने अपना मानसिक दिवालियापन दिखाया है। सरकार को अविलंब यह फैसला वापस लेना चाहिए। सांसद श्री सेठ ने कहा सांसद को भी उसी क्षेत्र की जनता चुनती है, जिस क्षेत्र की जनता विधायक को चुनती है। फिर विधायक सांसद से अलग कैसे हो जाते हैं। यह बात राज्य सरकार को बतानी होगी। झारखंड की सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों के गला घोटने का जो काम किया है, वह आने वाले समय के लिए बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण होगा। यह लोकतंत्र के संघीय ढांचे पर सीधा हमला है। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस तरह की बचकानी राजनीति ना करें। लोकतंत्र को लोकतंत्र की व्यवस्थाओं के अनुसार चलने दे ताकि जनहित के कार्य, राज्य के विकास के कार्य निर्बाध रुप से चल सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button