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शिक्षित, संगठित और जागरुक समाज ही अधिकार और न्याय पा सकता है : सुदेश महतो

जातिगत जनगणना ही हो आरक्षण का आधार

रांची:आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि शिक्षित, संगठित और जागरुक समाज ही अधिकार और न्याय पा सकता है। शिक्षा हासिल करना, सम्मान पाना और अधिकार लेना, इन तीन चुनौतियों के साथ हमें आगे बढ़ना है।रविवार को गुरुद्वारा हॉल, टेल्को, जमशेदपुर में अखिल झारखण्ड पिछड़ा वर्ग महासभा द्वारा आयोजित सामाजिक न्याय सम्मेलन में उन्होंने ये बातें कही।उन्होंने कहा कि लोकहित से लोकतंत्र मजबूत होता है। लेकिन व्यक्तिहित से लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन होता है। व्यक्तिहित के लिए सत्ता का इस्तेमाल खतरनाक संकेत है। इसलिए हमें डिमांडिंग स्थिति से निकलते हुए कमांडिंग बनना होगा। राजनीतिक गोलबंदी ही इसका विकल्प है। फुले, अंबेडकर, बाबू जगदेव प्रसाद के आदर्श एवं विचारों पर चिंतन करना मौजूदा जरूरत है।आजसू प्रमुख ने कहा कि सामाजिक न्याय का रास्ता सामाजिक परिवर्तन से ही निकलता है और सामाजिक परिवर्तन बिना राजनीतिक चेतना के संभव नहीं। हमें इतिहास से सबक लेकर हल ढूंढना होगा। दबे-कुचले परिवारों में हिम्मत भरने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। हमें एकजुट होकर सामाजिक न्याय की निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी।श्री महतो ने कहा कि शोषितों-वंचितों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उत्थान व सत्ता में हिस्सेदारी के लिए संघर्ष करते हुए अपनी प्राणों की आहुति देनेवाले महान क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले, बाबा साहेब अंबेडकर, बाबू जगदेव प्रसाद सहित अन्य क्रांतिकारियों की शहादत को तो हमने याद रखा, लेकिन उनके विचारों से दूर होते गए।उन्होंने कहा कि राजनेताओं को संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठना होगा और जिसकी जितनी आबादी है, उसको उतनी हिस्सेदारी देनी होगी। यह भी सुनिश्चित हो कि हिस्सेदारी का आधार जातिगत जनगणना से ही तय हो। आरक्षण सिर्फ आर्थिक नहीं प्रतिनिधित्व और भागीदारी का सवाल है।जातिगत जनगणना से ही सामाजिक न्याय मिल सकता है।

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