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रांची:प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन पासवा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय शिष्टमंडल अरविन्द कुमार, संजय कुमार ने आज रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर पिछले 16 महीने से बंद पड़े स्कूलों को खोलने के लिए किसी ऐसे मैकेनिज्म पर विचार करने का आग्रह किया गया, जिससे बच्चों का पठन-पाठन भी शुरू हो सके।
पासवा के अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने मुख्यमंत्री को बताया कि लंबे समय से स्कूल बंद रहने से घरों में रह रहे बच्चे कुंठित हो रहे है, जबकि मोबाइल और ऑनलाइन माध्यम उनकी अच्छी तरह से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इसलिए किसी ऐसे मैकेनिज्म पर अब विचार करने का वक्त आ गया है, जिससे फिलहाल कम से कम आठवीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों का खोला जा सके। उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों ने इस दिशा में कदम भी उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि रोटेशन के आधार पर या 50 प्रतिशत अथवा 30 प्रतिशत विद्यार्थियां की उपस्थिति और कोविड-19 को लेकर जारी अन्य गाइडलाइन के अनुरूप स्कूल खोलने पर विचार किया जाना चाहिए।
आलोक कुमार दूबे ने बताया कि राज्य में करीब 45 हजार निजी स्कूल संचालित है, कोरोना काल में इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियों, बस चालक और खलासी समेत अन्य कर्मियों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमत्री से यह भी आग्रह किया कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन किया गया था, जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में 75 डिसमिल और ग्रामीण क्षेत्रांं 1 एकड़ जमीन में ही संचालित निजी स्कूलों में को मान्यता देने की बात कही गयी थी,लेकिन आज के समय में बड़े शहरों में इतना जमीन मिलना मुश्किल है, जबकि कानून जिस तिथि से लागू होता है,उसी तारीख से प्रभावी होना चाहिए,उससे पहले से संचालित स्कूलों पर इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बाधित होने की बात स्वीकार की। उन्होंने शिक्षा विभाग के सचिव को भी मौके पर बुलाया और इस दिशा में समुचित कदम उठाने का निर्देश दिया।