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आज से पितृपक्ष श्राद्ध आरंभ,6 अक्टूबर को होगा समाप्त

Newsroom:आज से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है जो 06 अक्टूबर तक रहेंगे. कुंडली के पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आर्शीवाद पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं.पितृ दोष होने पर क्या होता है जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उन लोगों को संतान सुख आसानी से नहीं मिलता है. या फिर संतान बुरी संगत में पड़ जाता है.mtg इन लोगों को नौकरी या व्यापार में हमेशा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. काम में बार-बार बाधा आती है. घर में ज्यादा क्लेश-झगड़े होते हैं. घर में सुख-समृद्धि नहीं आती है. गरीबी और कर्ज बना रहता है. अक्सर बीमार रहते हैं और बेटी या बेटे की शादी में रुकावट आती है.गया में बालू से क्यो किया जाता है पितृओ को पिंडदान आपने सुना ही होगा क‍ि गया में बालू से प‍िंडदान क‍िया जाता है. लेक‍िन यह प‍िंडदान क्‍यों क‍िया जाता है? क्‍या प‍ितृगण बालू खाते है.श्राद्ध के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं। इन दिनों मिले अन्न और जल से पितरों को बल मिलता है और इसी से वह परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं। इन्हीं की शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण भी करते हैं.mtg

इसल‍िए गया में बालू से करते हैं प‍िंडदान

गया में बालू से प‍िंडदान को लेकर वाल्‍मीक‍ि रामायण में एक उल्‍लेख म‍िलता है। इसके अनुसार वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्‍मण और माता सीता के साथ पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे तो श्राद्ध के लिए कुछ सामग्री लेने के लिए नगर की ओर गए। उसी दौरान आकाशवाणी हुई कि पिंडदान का समय निकला जा रहा है। इसी के साथ माता सीता को दशरथजी महाराज की आत्‍मा के दर्शन हुए, जो उनसे पिंडदान के लिए कह रही थी। इसके बाद माता सीता ने फल्‍गू नदी, वटवृक्ष, केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाकर फल्‍गू नदी के किनारे श्री दशरथजी महाराज का पिंडदान कर दिया। इससे उनकी आत्‍मा प्रसन्‍न होकर सीताजी को आर्शीवाद देकर चली गई। मान्‍यता है क‍ि तब से ही गया में बालू से प‍िंडदान करने की परंपरा की शुरुआत हुई

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