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पत्रकारों ने कहा मॉनिटरिंग सिस्टम बढ़ाया जाए, उसका डेटा पत्रकारों के साथ साझा किया जाए
रांची:झारखंड में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. यह हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. नियंत्रण के उपाय नाकाफी हैं. इस पर नियंत्रण के लिए जो बोर्ड बनाया गया है, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, उसका काम बस कंपनियों को एनओसी देने और उसे रोकने मात्र भर का रह गया है. जबकि उसका मुख्य काम प्रदूषण कंट्रोल करना होना चाहिए. यह कहना है वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का.वह शनिवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसका आयोजन असर और सीड के साथ मिलकर रांची प्रेस क्लब ने किया था. कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे पर होनेवाले कवरेज, उसकी परेशानी और उससे निकलने का रास्ता तलाशना था. इसमें रांची के अलावा कई जिलों के पत्रकार शामिल हुए.इस अवसर पर रामेश्वर उरांव ने कहा कि उद्योग और विकास से संबंधित अन्य कार्यक्रमों को रोका नहीं जा सकता. लेकिन इंसानों की जरूरतों और उत्पादन के बीच की रेखा को तय करना होगा. प्रोडक्शन और पॉपूलेशन के बीच तालमेल बिठाना होगा, तभी प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है.उन्होंने यह भी कहा कि अगर इंसान खुद इसपर नियंत्रण नहीं कर पाता है तो कई बार प्रकृति इसपर नियंत्रण लगाती है. कोरोना वही है. साथ ही बड़े उद्योगों से निकलनेवाले प्रदूषण पर नियंत्रण के साथ ग्रामीण स्तर पर होने वाले प्रदूषण पर भी ध्यान देना होगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे यह स्वीकार करने में को गुरेज नहीं है कि आज प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अपना मुख्य काम भूल चुका है.कार्यक्रम में असर संस्था के सीओओ बृकेश कुमार ने कहा कि पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे केवल बड़े शहरों के लिए नहीं है. यह छोटे शहर को भी उतना ही प्रभावित कर रहा है. ऐसे में रांची प्रेस क्लब की ये पहल आनेवाले समय में समाज के हित में अच्छे परिणाम देंगे. जब पत्रकार इस विषय की गंभीर को अच्छे तरीके से परोसेंगे तो लोगों के बीच जागरुकता बढ़ेगी.सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (सीस्टेप) की वैज्ञानिक प्रतिमा सिंह ने प्रदूषण कारकों के बारे में पत्रकारों को जानकारी दी. साथ ही उससे होनेवाले बीमारियों और उसको समझने के तौर-तरीकों के बारे में बताया. वहीं डॉ अत्री गंगोपाध्याय ने बताया कि हाल के वर्षों में उनके बाक सांस से संबंधित बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में आए हैं. जो रिसर्च हमने किया है उसके आधार पर कह सकते हैं कि इसमें 30 गुणा बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.वहीं सीड संस्था के रमापति ने बताया कि नेशनल क्लीन एयर एक्शऩ प्लान में झारखंड के तीन शहर धनबाद, रांची और जमशेदपुर शामिल हैं. लेकिन झारखंड सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर छह अन्य शहरों को इस एक्शन प्लान में अपनी तरफ से शामिल किया है. इसमें दुमका, पाकुड़, रामगढ़, हजारीबाग, चाईबासा और साहेबगंज हैं. यहां प्रदूषण कम करने के लिए माइक्रो एक्शन प्लान बनाया गया है.वहीं हिन्दुस्तान अखबार के नेशऩल ब्यूरो चीफ मदन जैड़ा ने रिपोर्टिंग के दौरान आनेवासी समस्याओं और उससे उबरने को तरीकों के बारे में पत्रकारों को बताया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले शोध का संदर्भ अगर स्थानीय स्तर पर खोजते हैं, तो बड़ी खबर बना सकते हैं. साथ ही छोटे जगहों की खासियत यह है कि यहां प्रदूषण के मुद्दे पर भी ग्राउंड रिपोर्ट बेहतर तरीके से की जा सकती है.वहीं पत्रकारों ने मंत्री के सामने मांग उठाई कि प्रदूषण पर नजर रखने के लिए जिस मॉनटरिंग सिस्टम को कुछ जगहों पर लगाया गया है, उसकी संख्या बढ़ाई जाए. साथ ही प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से कहा जाए कि समय-समय पर डेटा पत्रकारों संग साझा किया जाए.मौके पर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह, सचिव अखिलेश सिंह, कोषाध्यक्ष जयशंकर, असर के कम्यूनिकेशन स्ट्रैटजिस्ट मुन्ना झा, प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्र सहित बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित रहे.