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बोकारो सेल परिसर में 1000 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने की तैयारी

यह कलस्टर तैयार हो जाता है तो राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होगा

Newsroom:बोकारो सेल परिसर में खाली पड़े क्षेत्र के 1000 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने की तैयारी शुरू हुई है। कोलकाता-अमृतसर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट के तहत इसके निर्माण का एक प्रस्ताव तैयार हुआ है। उद्योग विभाग ने केंद्र के डिपार्टमेंट आफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) को पत्र भेजकर बोकारो सेल परिसर में 1000 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके बाद डीपीआईआईटी ने राज्य सरकार से इस मामले में संबंधित पक्षों के साथ मीटिंग करने की सलाह दी है। राज्य उद्योग विभाग जल्द ही बोकारो स्टील लि. सेल, केंद्र के साथ बैठक करेगी, जिसमें इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाने पर औपचारिक सहमति बनेगी और उसका स्वरूप तय होगा। बोकारो सेल परिसर 3300 एकड़ का है। इसमें एक बड़ा भू भाग अभी भी खाली पड़ा है। खाली पड़े क्षेत्र में ही 1000 एकड़ जमीन चिन्हित होगा। अगर यह क्लस्टर बना तो राज्य का सबसे बड़ा होगा।

पहले बरही में बनना था इंडस्ट्रियल क्लस्टर, लेकिन ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया तो रुका

वर्ष 2017 में बरही में कोलकाता-अमृतसर कॉरिडोर का क्लस्टर बनना तय हुआ था। तत्कालीन मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग की टीम के साथ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर निर्माण के लिए भूमि का निरीक्षण भी किया था। केन्द्र सरकार की इंडस्ट्रियल कॉरिडोर प्लान के तहत बरही के देवचंदा समेत कजरा, केदारुत, डुमरडीह, कटिऔन, खैरोन और खोड़ाहार गांव मिलकर 2500 एकड़ जमीन में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की बात थी। लेकिन देवचंदा गांव के अधिकांश लोगों ने इसका यह कहकर विरोध कर दिया कि जमीन चली जाएगी तो वे क्या खाएंगे।

क्या है योजना

केन्द्र सरकार के अनुसार अमृतसर से कोलकाता तक झारखंड समेत सात राज्यों में इंडस्ट्रियल कॉरीडोर बनाया जाना है उसमें बोकारो भी शामिल है। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में छोटे-बड़े इंटिग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर बनाए जाएंगे। इसका उद्देश्य कॉरिडोर के मार्ग के साथ राज्यों में बुनियादी ढांचे और उद्योगों को बढ़ावा देना है। एडीकेआईसी का विकास फ्रेट कॉरिडोर के दोनों ओर 150-200 किमी के दायरे में होना है।

पीपीपी और गैर पीपीपी, दोनों ही मोड पर विकसित होगा

क्षेत्र को एकीकृत क्लस्टर (आईएमसी) में 40% क्षेत्र विनिर्माण और प्रसंस्करण के लिए निर्धारित किया जाएगा। एडीकेआईसी सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और गैर-पीपीपी दोनों का उपयोग करेगा। गैर-पीपीपी योग्य ट्रंक बुनियादी ढांचे को विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) या कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा विकसित किया जाएगा।

बोकारो का चयन इसलिए क्योंकि यहां जमीन उपलब्ध

झारखंड में अभी तक फ्रेट कॉरिडोर को लेकर क्लस्टर या अलग कॉरिडोर तय नहीं हो सका है। एक मुश्त बड़े क्षेत्र का रैयती जमीन मिलना मुश्किल हो रहा है। बोकारो एडीकेआईसी के समीप है। बोकारो सेल परिसर में एक मुश्त सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन खाली पड़ी है। औद्योगिक आधारभूत संरचना और औद्योगिक वातावरण उपलब्ध है।

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