![](https://jharkhandnewsroom.com/wp-content/uploads/2024/05/5882c87d-4887-4daf-9fb0-0c8c0fa0d4a2-1.jpg)
रांची:झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखण्ड में आयोजित अपनी चुनावी सभाओं में केवल भ्रष्टाचार का नाम लेकर झारखण्ड के लोगों को डराने, भड़काने और भटकाने से भाजपा को कोई चुनावी लाभ नहीं मिलनेवाला इसलिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी ऐसी कोशिशों को बंद कर देना चाहिये. उन्होंने कहा कि झारखण्ड के साथ ही देश की जनता भी उन्हें और भाजपा को सत्ता से हटाने का मन बना चुकी है.
श्री तिर्की ने कहा कि श्री मोदी को झारखण्ड के लोगों की यदि इतनी ही अधिक चिन्ता है और वे झारखण्ड के लोगों का हित चाहते हैं तो उन्हें झारखण्ड की केन्द्र सरकार के पास बकाया 1 लाख 36 हज़ार करोड रुपये की राशि का भुगतान अविलंब कर देना चाहिये. श्री तिर्की ने कहा कि झारखण्ड के लोग एक बात को बहुत अच्छी तरीके से जान चुके हैं कि केन्द्र सरकार एक वैसे भ्रष्टाचार पूर्ण वातावरण को प्रोत्साहन दे रही है जहाँ भले ही ऊपरी तौर पर पकड़ में ना आये लेकिन सभी लोग इस बात को जानते हैं कि मोदी सरकार की कार्यप्रणाली में केवल और केवल कुछेक लोगों को ही फायदा पहुँचाने की बात होती है. आम लोगों को महँगाई, बेरोजगारी और अन्य अनेक वैसी जटिल समस्याओं से जूझना पड़ रहा है जिसपर ना तो प्रधानमंत्री मोदी का, न ही केन्द्र सरकार और ना ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का ध्यान है.
श्री तिर्की ने कहा कि अपनी चुनावी सभाओं में जोहार और जय श्री राम करने के साथ ही प्रधानमंत्री महोदय को जय सरना कहकर भी अभिवादन करना चाहिये और उन्हें यह बताना चाहिये कि आखिर सरना धर्म कोड को सरकार क्यों नहीं लागू करना चाहती है? इसके पीछे भाजपा का आखिर वैसा कौन-सा डर है? श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिखाया जा रहा प्रेम और मीठी-मीठी बातें केवल दिखावा, छलावा और सीधे-साधे आदिवासियों एवं मूलवासियों को भटकाने की चाल है. श्री तिर्की ने कहा कि डीएमएफटी फंड के मामले में भी केन्द्र सरकार निष्पक्ष नहीं है और सही बात यह है कि उन सभी राज्यों के साथ केंद्र सरकार का सौतेला व्यवहार जगज़ाहिर है जहाँ विपक्ष के किसी दल, विपक्षी गठबंधन या इंडिया गठबंधन की सरकार है. श्री तिर्की ने कहा कि सौ बात की एक बात यही है कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के हित में अनेक वैसे कानून बनाये जिसमें आदिवासियों का हित सुरक्षित और संरक्षित था साथ ही उन कानूनों के निर्माण में आदिवासियों एवं मूलवासियों की जीवन पद्धति, जल, जंगल और जमीन को पूरा-पूरा महत्व देने के साथ ही प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना को समझा गया. लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है तभी से एक ओर वन संरक्षण कानून को कमजोर किया गया वहीं दूसरी ओर वनाधिकार कानून के मामले में भी उसका रवैया ढीला-ढाला है और केन्द्र सरकार के पास 20 लाख से ज्यादा आवेदन लंबित पड़े हैं. श्री तिर्की ने प्रधानमंत्री से अपनी संवैधानिक मर्यादा का ध्यान रखने की अपील करते हुए कहा कि चुनाव आते-जाते रहते हैं लेकिन प्रधानमंत्री के द्वारा किये जा रहे व्यवहार और उनकी भाषा के कारण संवैधानिक मर्यादा तार-तार हो रहा है.