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कोरोना संक्रमित पत्रकारों को फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स की मान्यता व मृत पत्रकारों के परिजन को पेंशन दे सरकार….बाबूलाल मरांडी

कोरोना संक्रमण से 19 पत्रकार का हो चुका है निधन

कोरोना संक्रमण को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश के पत्रकारों के लिए राज्य सरकार से प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराने की व्यवस्था, कोरोना से संक्रमित पत्रकारों के बेहतर ईलाज की व्यवस्था समेत कई सुविधा उपलब्ध कराने की मांग किया है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि पत्रकारों को फ्रन्टलाईन कोरोना वॉरियर्स के रूप में मान्यता दी जाय, जान गंवा चुके पत्रकारों के परिजनों का यथाशीघ कोविड टेस्ट कराने की व्यवस्था, झारखण्ड के विभिन्न जिलों में जान गंवाने वाले पत्रकारों के परिजनों के लिए तत्काल राहत सामग्री उपलब्ध कराया जाए, इनके आश्रितों/परिजनों को एकमुश्त सहायता राशि अविलम्ब दी जाय एवं इनके आश्रितों/परिजनों को भरण-पोषण के लिए सरकार नियम बनाकर मासिक पेंशन देने की व्यवस्था करे।

इस क्रम में झारखण्ड के कई नामी-गिरामी पत्रकार भी कोरोना से संक्रमित होकर अपनी जान गवाँ बैठे हैं

उन्होंने कहा कि कोविड फेज-2 महामारी में झारखण्ड सहित पूरे देश में संक्रमित मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है और मृत्युदर में भी वृद्धि हुई है। इस क्रम में झारखण्ड के कई नामी-गिरामी पत्रकार भी कोरोना से संक्रमित होकर अपनी जान गवाँ बैठे हैं। लोकतंत्र का चौथे स्तम्भ के प्रहरी के रूप में काम करने वाले ये पत्रकार बहुत अल्प वेतन पर काम करते हुए आमजनों को देश-प्रदेश के समाचारों से अवगत कराते रहे हैं। विजुअल मीडिया हो या प्रिन्ट मीडिया, इसमें काम करने वाले सभी पत्रकार अपने जान की परवाह किए बिना समाचार संकलन करते हैं और लोगों तक देश-प्रदेश, एवं समाज के सभी तरह के समाचारों से सरकार और शासन चलाने वाले पदाधिकारियों को अवगत कराते हैं। इस क्रम में कई बार अनेक पत्रकारों के साथ कई घटनाएँ भी हो जाया करती हैं।

झारखण्ड के अलग-अलग जिलों में 19 पत्रकारों की मौत

विशेष कर इस कोरोना महामारी के समय झारखण्ड के अलग-अलग जिलों में 19 पत्रकारों की मौत कोरोना संक्रमित होने की वजह से होना बहुत ही दुखदायी है जो अपने जान की बाजी लगाकर इस महामारी में सरकार और प्रदेश वासियों को कोरोना से लड़ने में अपनी दायित्व निभा रहे थे। खबरों के संकलन एवं जनसरोकर से जुड़ी खबर लाने की कोशिश में आए दिन कई पत्रकार कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गँवा रहे हैं। जान गंवाने वाले कई पत्रकारों का टीकाकरण भी नही हो पाया था, तो कई की जान समय पर बेहतर इलाज नहीं हो पाने के कारण चली गई। अल्प वेतन पर काम करने वाले कई पत्रकारों को बेहतर मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाता है।

इस महामारी में जान गंवाने कई पत्रकारों की आर्थिक हालात भी ठीक नहीं रहने के कारण परिजनों के सामने भरण-पोषण की समस्या उत्पन्न हो गई है, जैसा कि हर दिन

पत्रकारों को फ्रन्टलाईन कोरोना वॉरियर्स के रूप में मान्यता देकर टीकाकरण एवं अनुमान्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है

समाचार पत्रों एवं Social media के माध्यम से पता चलता है। यहाँ तक कि अभी तक सरकार के स्तर पर भी सभी पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण कराने की व्यवस्था नहीं की गई है, वहीं अनेक राज्य सरकारों ने पत्रकारों को फ्रन्टलाईन कोरोना वॉरियर्स के रूप में मान्यता देकर टीकाकरण एवं अनुमान्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। ऐसी विषम परिस्थिती में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के प्रहरी के रूप में कार्य करते हुए इस महामारी में अपने जान गंवाने वाले पत्रकारों के आश्रितों/परिजनों के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

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