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आदिवासी जमीन के लुटेरों को उलगुलान जैसे पवित्र शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए:बाबूलाल मरांडी

रांची:आदिवासी समाज की जमीनों और उनके संसाधनों को लूटने और तबाह करने वालों को उलगुलान जैसे पवित्र शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए तथा इतिहास में झांककर इंडी गठबंधन के साथियों को एक बार उलगुलान विद्रोह को फिर से पढ़ा जाना चाहिए।
उलगुलान विद्रोह मूल निवासियों के संसाधनों, उनकी जमीनों और उनके अधिकारों को जमीदारों और साहूकारों द्वारा छीने जाने के विरोधस्वरूप उत्पन्न हुआ था।

आज इंडी गठबंधन उन्हीं साहूकारों और जमीदारों की तरह आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पकर उलगुलान जैसे शब्दों का उपयोग कर उसका राजनीतिकरण कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है।

उलगुलान विद्रोह को लेकर आदिवासी कवि हरीराम मीणा ने भगवान बिरसा मुंडा जी पर कविता लिखी थी जिसकी चंद पंक्तियां इस प्रकार हैं
“मैं केवल देह नहीं,
मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूं।
पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं
मैं भी मर नहीं सकता
मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता
उलगुलान! उलगुलान!! उलगुलान!!!”
आज हेमंत के नेतृत्व में उन्हीं आदिवासी समाज की पुश्तैनी जमीनों को अवैध तरीके से कब्जा जमाकर बैंक्वेट हॉल बनाने का सपना संजोया जा रहा है, ऐसे व्यक्ति के लिए उलगुलान जैसे क्रांतिकारी शब्द का प्रयोग करके भगवान बिरसा मुंडा जी को अपमानित किया जा रहा है।

ऐसे में इंडी गठबंधन के लिए मुद्दा- सच्चाई, इंसाफ, न्याय न होकर, भ्रष्टाचारी हेमंत को अपराध मुक्त घोषित करना है। शामिल होने वाले इंडी गठबंधन के साथियों के लिए आदिवासी कल्याण कभी मुद्दा था भी नहीं, और आज भी नहीं है। उनके लिए मुख्य विषय यह है कि हेमंत के भ्रष्टाचार को उजागर क्यों किया गया? उसके शोषण और अत्याचार के तरीकों को जनता के पटल पर रखकर बताया क्यों गया?

उन्हें इस बात से परेशानी है कि हेमंत सोरेन जो एक मुख्यमंत्री थे, उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा थी, जो आदिवासी समाज से खुद को ऊपर मान बैठे हैं, समाज के सामने उनकी वास्तविकता को क्यों बताया जा रहा है, उनके भ्रष्टाचार तथा आदिवासी समाज की लूटी हुई जमीनों के सच को उजागर क्यों किया जा रहा है।

मेरा मानना है कि राजनीति में भ्रष्टाचार और परिवारवाद एक दूसरे से दूर नहीं है, बल्कि एक दूसरे का पूरक है। आप पूरे देश में किसी भी परिवारवादी पार्टी को देखेंगे तो यह कथन सर्वथा सत्य होगा, क्योंकि वसीयत स्वरूप परिवारों द्वारा सिर्फ मुफ्त में राजनीतिक पद और प्रतिष्ठा भर नहीं दी जाती, बल्कि साथ में भ्रष्टाचार और उनको छुपाने के नुस्खे भी बताए और दिए जाते हैं।
सबको पता है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जिसके लिए इस रैली का आयोजन किया जा रहा है, उसका हाथ पैर तो दूर, पूरा शरीर ही भ्रष्टाचार के दलदल में पूरी तरह डूबा हुआ है। पिछले 4 साल के कार्यकाल में हेमंत ने आदिवासी समाज के मान, सम्मान और पहचान को न सिर्फ धूमिल किया है, बल्कि आदिवासी धरोहरों को नष्ट करके उनके संसाधनों को बिचौलियों के हाथों बेचने का तथा उनकी जमीनों को अवैध तरीके से कब्जा करने तथा अपने साथियों की मदद से कागजों में भी हेरफेर करने का कुत्सित प्रयास किया है। जिस आदिवासी समाज के हितों का दिखावा कर, झूठे सपने दिखाकर हेमंत ने खुद को सत्ता पर काबिज किया था, वही हेमंत आज आदिवासी समाज की जमीनों को निगलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

इंडी-गठबंधन के आए हुए साथियों की वंशावली निकाल कर आप सभी देख सकते हैं, समझ सकते हैं कि इनका रैली में आने का अभिप्राय- परिवारवाद की राजनीति को और आगे तक बढ़ाने और अत्याचार तथा शोषण के नए नए तरीकों से जनता को गुमराह करने के लिए नई कुनीतियों के निर्माण से है।
इंडी गठबंधन के साथियों का मानना है कि जनता के दुख दर्द को अनदेखा कर कैसे परिवारवादी राजनीति के माध्यम से सत्ता पर हमेशा के लिए काबिज रहा जाए, इससे यह बात तो स्पष्ट है कि ये जुटान किसी आदिवासी समाज के हितों को ध्यान देने के लिए नहीं, अपितु अपनी परिवारवादी राजनीति को कैसे सुरक्षित रखा जा सके, उसके लिए है।

गौर से देखिए, इन भ्रष्टाचारी, अत्याचारी और परिवारवादी चेहरों को जिनके कदम कभी हवाई जहाज तथा चार्टर प्लेन से नीचे जमीन पर नहीं पड़े, आज ये नाटक कर नंगे पैर चलने वालों का कष्ट समझने आए हैं, दरसल ये जुटाव एक समाज का अपमान करने के लिए, उनका मजाक बनाने के लिए तथा अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए है।

आइए इस बात को समझते हैं कि जिस रैली का आयोजन आज किया जा रहा है, उसके मुद्दे, जनता के मुद्दों से किस प्रकार अलग हैं। जहां झारखंडवासियों के लिए बेरोजगारी, भुखमरी, बुनियादी जरूरतों की कमी(बिजली,पानी, और आवास) तथा पलायन जैसी गंभीर समस्याएं हैं, वहीं इंडी गठबंधन के लिए मुख्य विषय – परिवारवादी तथा तुष्टिकरण की मानसिकता को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार करना और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देना, कुशासन की सारी हदों को पार करना, आदिवासी जमीनों एवं संपदाओं को लूटने के नए तरीके ढूंढना, ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर अधिकारियों से मनमानी वसूली करना, युवाओं के भविष्य को अंधकार में रखकर अपने और अपने परिवार के भविष्य को बेहतर बनाना, महिला सुरक्षा के नाम पर राज्य में डर और भय का माहौल स्थापित करना, और जनता को लूटकर,उनके ही नाम पर, उनसे ही सहानुभूति बटोरना है।
अंत में यह समझा जाना बहुत आवश्यक है कि यह सम्मलेन भ्रष्टाचारियों का, भ्रष्टाचारियों के लिए तथा भ्रष्टाचारियों के द्वारा आयोजित किया गया है।

इसी तरह यह भी समझना चाहिए कि कैसे समाज में दो तरह को राजनीति हो रही है।
एक तरफ इंडी गठबंधन, जो अपनी हिंदूविरोधी मानसिकता के साथ परिवारवाद,भ्रष्टाचार तथा तुष्टिकरण को बढ़ावा देकर अपने स्वार्थों की पूर्ति कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार जिसका मुख्य उद्देश विकसित भारत के संकल्प के साथ, देश की एकता तथा अखंडत को मजबूत करना और देश की सांस्कृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करके देश का गौरव बढ़ाना, समाज के सभी वर्गों की बराबर भागीदारी सुनिश्चित कराना, आदिवासी समाज के खोए हुए मान, सम्मान और अभिमान को वापस लौटाना, महिलाओं के सशक्तिकरण तथा चारों अमृत स्तंभों को मजबूत कर सबका साथ,सबका विकास और सबके प्रयास से विकासयुक्त तथा आरोपमुक्त जनकल्याणकारी सरकार का गठन करना है। मुझे झारखंड की जनता पर पूरा विश्वास है कि मेरे परिवारजन इस फर्क को अच्छी तरह से समझते हैं, और उन्हें पता है कि अपने बहुमूल्य वोट का सही इस्तेमाल कब और कैसे करना है।

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