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झारखंड

ग्रामीण आदिवासियों ने निर्माण रोकने की मांग की

“बिना ईआईए और एसआईए कराये और पारँपरिक अगुओँ को जानकारी दिये बिना जमीन अधिग्रहण गैरकानूनी”- रतन तिर्की

“पड़हा पारँपरिक अगुओँ को जानकारी दिये बिना निर्माण गैरकानूनी”- अशोक उराँव

-ग्रामीण जतरा टाना भगत छात्रावास के विरोधी नहीँ हैँ न ही सरकार के विकास कार्यों और कार्यक्रम का विरोध कर रहेँ हैँ. हमारा विरोध इस बात का है कि कोई भी कार्य सरकार करती है तो हमारे पारँपरिक अगुओँ पड़हा प्रधान, पाहन कोटवार न ही पनभरवा आदि पारँपरिक अगुओँ को दी गई.
उक्त बातेँ नवाटोली बाढ़ू आम बगैचा मेँ आयोजित बैठक मेँ जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) के पूर्व सदस्य ने कही.
रतन तिर्की ने कहा कि पेसा कानून मेँ स्पष्ट कहा गया है कि गाँव मेँ किसी भी योजनाओंँ और कार्यक्रम़ोँ की जब भी शामिल किया जायेगा तो इसकी विधिवत लिखित जानकारी पारँपरिक अगुओँ को भी दी जानी है और साथ ही साथ जमीँ अधिग्रहण से पहले नियमानुसार सामाजिक अँकेक्षण और पर्यावरण अँकेक्षण कराना जरूरी है. लेकिन ऐैसा नहीं किया जाता है. इसी कारण गाँव मेँ जमीन की लूट हो रही है और अँधाधुँध माफियाओं का समुह अवैध तरीक़े से जमीँ पर कब्जा कर रहेँ है.
रतन तिर्की ने कहा कि भवन निर्माण विभाग झाड़खँड सरकार को जतरा टाना भगत छात्रावास बनाने से पहले( EIA और SIA) सोशल इँपैक्ट असीसमेँट और ईँनवायरमेँट इँपैक्ट असीसमेँट कराना चाहिए था. ज़ो जमीन अधिग्रहण कानून २०१३ का खुल्लमखुल्ला उलँघन है.

पड़हा प्रधान साधु लाल ने भी कहा है कि उसे इस निर्माण की कोई जानकारी अभी तक नहीँ दी गई.

ग्राम प्रधान जगदीश पाहन ने कहा कि सँविधान कानून के अनुसार जतरा टाना भगत छात्रावास बनाने से पहले गाँव के पड़हा राजा, दीवान, पाहन कोटवार पनभरवा आदि को जानकारी नहीँ दी गई. इसलिए अभी निर्माण नहीँ करने दिया जायेगा.
उधर क़ोटवार साईनाथ महली ने भी कहा कि हमेँ भी जानकारी नहीँ दी गई न ही हमने गाँव मेँ हकवा लगाया. यह कानून का उलँघन है. इसलिये काम अविलँब रोका जाये.
राँची विश्वविद्यालय बिस्थापन विरोधी आँदोलन के अगुआ और सिँगबोँगा जतरा समिति के सरँक्षक अशोक उराँव ने कहा कि विकास हो पर गाँव समाज की पारँपरिक व्यवस्था को जानकारी दिये बिना नहीं.
इस बैठक मेँ शामिल पुनीता की अगुवाई मेँ आई आदिवासी महिलाओं ने भी कहा कि एक को जमीँ देने से आगे भी और जमीँ अधिग्रहण कर गाँव की गैरमजरूआ और जँगल जमी की लूट जारी हो जायेगी. इसलिये हम सभी गाँव की महिलायेँ इसका विरोध करते हैँ.

इस बैठक मेँ अशोक उराँव, ग्राम प्रधान जगदीश पाहन, कोटवार साईँनाथ महली, योगेंद्र उराँव,मनीष उराँव, अनु उराँव, एतवा उरांव, भक्तू उराँव,विजय उराँव, इँद्रदेव उराँव, विश्वनाथ उराँव,किशोर लोहरा मनोज उराँव. महिलाओं मेँ पुनीता उराँव, करमी देवी, जवरी देवी, पार्वती देवी,मँजरी देवी,पुनम देवी, लालो देवी और सीमा देवी आदि उपस्थित थे.

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