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कन्फ़ेशन के लिए बर्बरता से किया वरिष्ठ CISF कमांडेंट को पुलिस ने टॉर्चर

राजस्थान की महिला आईएएस द्वारा धोखे से भेजा गया था मध्यरात्रि पश्चात थाने; कमांडेंट ने दिल्ली पुलिस एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की शिकायत; उच्च न्यायालय में भी की रिट दायर

न्यूजरूम टीम:नई दिल्ली/जयपुर : यह पूरा मामला दो ऐसे अधिकारियों से जुड़ा हुआ है जो प्रतिष्ठित भारतीय सिविल सेवा में आने के पश्चात बीस वर्ष पहले मसूरी अकादमी में आयोजित कॉमन फ़ाउंडेशन कोर्स के दौरान पहली बार मिले और उसके बाद यद्यपि अपने-अपने करियर में व्यस्त हो गए किन्तु आपस में उनकी मित्रता न केवल बरकरार रही बल्कि समय के साथ बढ़ती ही गई। एक महिला अधिकारी राजस्थान कैडर की आईएएस बन गईं और दूसरे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सीआईएसफ में राजपत्रित अधिकारी के रूप में सेवा देने लगे। दो वर्ष पूर्व एक अत्यंत ही हैरतंगेज़ और सनसनीख़ेज़ मामला सामने आया जिसके तहत दिल्ली पुलिस द्वारा उक्त सीआईएसएफ़ अधिकारी को महिला आईएएस के पति की गाड़ी में चरस प्लांट करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया और यह दावा किया गया कि ऐसा सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा महिला आईएएस से और नज़दीकियाँ बढ़ाने के लिए किया गया था। आईएएस के पति द्वारा भी यह आरोप लगाया गया कि उनके कहने पर उनकी आईएएस पत्नी सीआईएसएफ़ अधिकारी से दूरी बना रही थीं जिसके चलते उनकी गाड़ी में उक्त अधिकारी द्वारा बदले की भावना के तहत चरस प्लांट की गई।

किन्तु अब लगभग दो वर्ष बाद इस हैरतंगेज़ मामले में कुछ और हैरतंगेज़ खुलासे हुए हैं और नए तथ्य ठोस सबूतों के साथ सामने आए हैं जो न केवल इस मामले की दशा ही पलट देते हैं, बल्कि महिला आईएएस अधिकारी मँजू राजपाल के पति अमित सावंत द्वारा सीआईएसएफ़ अधिकारी वरीय कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह पर लगाए गए आरोप को भी झूठा साबित करते हैं। साथ ही साथ पुलिस द्वारा दो वर्ष पहले दी गई ‘थ्योरी’ एवं की गई ‘इन्वेस्टिगेशन’ पर भी सवालिया निशान लगते हैं। सामने आए तथ्यों के अनुसार आईएएस के पति अमित सावंत की गाड़ी से उनकी स्वयं की उपस्थिति में चरस की बरामदगी के लगभग छह-सात घंटे उपरांत महिला आईएएस द्वारा ही सीआईएसएफ़ कमांडेंट को मध्यरात्रि पश्चात फ़ोन करके धोखे से पुलिस थाने भेजा गया था, जहां उन्हें पुलिस द्वारा बर्बरता-पूर्वक पूरी रात मारा-पीटा गया और विभिन्न प्रकार की धमकियों के माध्यम से इच्छित कन्फ़ेशन कराया गया, और जिसे आधार बनाकर सुबह होने से पूर्व ही, यह प्रचारित करते हुए कि सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा आईएएस के पति की गाड़ी में चरस प्लांट करना स्वीकार कर लिया गया है, आईएएस के पति को थाने से ही छोड़ दिया गया। उक्त तथ्य इस सम्भावना की ओर इशारा करते हैं कि महिला आईएएस द्वारा अपने पति को बचाने के लिए ही यह सब प्रपंच रचा गया और आईएएस के कहने पर ही सीआईएसएफ़ कमान्डेंट उनके पति की कुशलक्षेम जानने पुलिस थाने पहुंचे और ‘साज़िश’ का शिकार हो गए।

ऐसे हुई साज़िश की शुरुआत

9 अक्टूबर 2019 की शाम लगभग 6:40 पर सीआईएसएफ के वरीय कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह, जो कि उस समय विदेश मंत्रालय में निदेशक (सुरक्षा ब्यूरो) के तौर पर प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएँ दे रहे थे, के मोबाइल पर पिछले बीस वर्षों से उनकी मित्र रही और राजस्थान सँवर्ग की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मंजू राजपाल ने फोन किया और बताया कि उनके पति अमित सावंत की कार से कुछ संदिग्ध सामान की बरामदगी सीआईएसएफ द्वारा की गयी है जब उनकी कार नई दिल्ली लोधी रोड स्थित इलेक्ट्रॉनिक निकेतन भवन, जहां उनके पति कंसलटेंट के तौर पर कार्यरत थे, की पार्किंग में खड़ी थी और कार को सीआईएसएफ़ के कहने पर उनके पति द्वारा ही स्वयं अपनी चाबी से खोला गया था। कार अमित सावंत खुद इस्तेमाल किया करते थे। उक्त सूचना देते हुए मँजू राजपाल ने सीआईएसएफ़ कमांडेंट से पड़ताल करने के लिए कहा। सीआईएसएफ़ कमांडेंट ने अपने स्तर से पता लगाने का प्रयास किया और पता लगाकर बताया भी कि मामला दिल्ली पुलिस के संज्ञान में दिया जा चुका है। हालांकि इस बीच दो-तीन बार और मंजू राजपाल की बात सीआईएसएफ़ कमांडेंट से हुई, जिस दौरान मंजू राजपाल द्वारा तथाकथित तौर पे यह कहा गया कि वो फोन से कुछ ‘वरिष्ठ अधिकारियों’ के सम्पर्क में हैं और इस मामले को ‘मैनेज’ करने की कोशिश कर रही हैं।

चरस बरामदगी के बावजूद नहीं बनाया आईएएस पति को प्रथम द्रष्टया आरोपी

सीआईएसएफ़ द्वारा चरस बरामदगी की सूचना पर कार्रवाई करते हुए थाना लोदी कॉलोनी पुलिस ने बरामदगी स्थल पर पहुँचकर कार और चरस को ज़ब्त कर लिया और इस सम्बंध में सीआईएसएफ़ द्वारा दी गयी लिखित शिकायत और प्रारम्भिक जाँच के उपरांत एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत मामला भी दर्ज कर लिया। किन्तु आश्चर्यजनक तौर पर इस मामले में कार मालिक अमित सावंत को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही उन्हें एफ़आईआर में प्रथम दृष्टया आरोपी बनाया गया। मध्य रात्रि बाद लगभग 1:15 बजे पुनः महिला आईएएस अधिकारी मंजू राजपाल का फोन सीआईएसएफ़ कमांडेंट के पास आया और उन्होंने यह आग्रह किया कि वे लोदी कॉलोनी पुलिस स्टेशन जाकर उनके पति की कुशलक्षेम के बारे पता करें और सम्भव हो तो मदद भी करें। इन परिस्थितियों में महिला आईएएस मित्र के कहने पर सीआईएसएफ़ कमांडेंट खुद अपनी कार चलाते हुए रात करीब 2:00 बजे लोदी कॉलोनी पुलिस थाने पहुंचे, जहां उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद इंस्पेक्टर राजेश शर्मा से अमित सावंत की कुशलक्षेम लेनी चाही। किन्तु कोई जानकारी देने के बजाय पुलिस द्वारा उल्टा सीआईएसएफ़ कमांडेंट से ही पूछताछ शुरू कर दी गई। यह पूछताछ अमित सावंत के साथ उनका कनेक्शन, विगत दिनों में उनकी उपस्थिति, कार्य-स्थल, आवास, दैनिक रूटीन इत्यादि के बारे में कुछ इस प्रकार प्रारम्भ हुई कि सीआईएसएफ़ कमांडेंट के मन में यह आशंका उमड़ने लगी कि उन्हें किसी मामले में शायद फसाया जा रहा है। इसी बीच आईएएस के पति अमित सावंत द्वारा भी सीआईएसएफ़ कमांडेंट पर यह आरोप मढ़ दिया गया कि यह सारी साजिश सीआईएसएफ़ कमांडेंट की ही है और सीआईएसएफ़ कमांडेंट की ही खुफिया सूचना पर सीआईएसएफ़ द्वारा चरस की बरामदगी की गई है। सावंत ने यह भी कहा कि उनकी आईएएस पत्नी के प्रति सीआईएसएफ़ कमांडेंट की नजर ठीक नहीं थी और उन्होंने अपनी पत्नी को उससे दूर रहने के लिए कहा था, जिसका वो पूरी तरह से पालन कर रही थीं और जिसका बदला लेने के लिए उनकी गाड़ी में सीआईएसएफ़ कमांडेंट द्वारा चरस प्लांट की गई।

क्रूरतम तरीके से पुलिस थाने में किया गया सीआईएसएफ़ कमांडेंट को टॉर्चर; मेडिकल रिपोर्ट्स में भी चोटों का साफ़ साफ़ जिक्र

इसके बाद दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राजेश शर्मा ने सीआईएसएफ़ कमांडेंट पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह स्वीकार करें कि कार में उन्होंने ही चरस प्लांट की है। सीआईएसएफ़ कमांडेंट ने पुलिस को बताया भी कि वह विगत चार-पांच दिनों से शहर में ही नहीं थे और इस मामले में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपनी आईएएस मित्र के कहने पर ही पुलिस थाने पहुंचे हैं। लेकिन पुलिस द्वारा उनकी एक न सुनी गई और उनका कन्फ़ेशन लेने के लिए बर्बरतापूर्वक उनके साथ मारपीट की गई। एसएचओ अनिल शर्मा और इन्स्पेक्टर राजेश शर्मा के सामने व उनके निर्देशों पर सीआईएसएफ़ कमांडेंट को लाठी-डंडे और पट्टे से बुरी तरह मारा-पीटा गया और भयावह तरीके से टॉर्चर किया गया। उन्हें जान से मारने, उनके अंगों को स्थाई रूप से भंग करने, उनके पास से बड़ी मात्र में ड्रग्स की बरामदगी दिखाकर उन्हें ड्रग डीलर साबित कर आजीवन जेल में सड़ाने और उनकी पत्नी को भी इस मामले में घसीटने और थाने लाकर टॉर्चर करने की धमकी दी गई। पुलिस के इस बर्बरतापूर्ण रवय्ये और उनकी पत्नी के साथ भी पुलिस द्वारा वही बर्बर व्यवहार की आशंका के चलते सीआईएसएफ़ कमांडेंट पूरी तरह से टूट गए और मानसिक रूप से बेहद दबाव में आ गए, जिसके बाद पुलिस द्वारा उनके हस्ताक्षर जहां-तहाँ ले लिए गए। कुछ घंटों बाद सीआईएसएफ़ कमांडेंट से एडिशनल डीसीपी, डीसीपी और यहाँ तक कि जोईंट सीपी ने भी पूछताछ की लेकिन उनकी चोटों पर साफ़ तौर पर शिकायत करने के बावजूद जरा भी ध्यान नहीं दिया। पुलिस द्वारा सीआईएसएफ़ के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ की गई यह क्रूरता सीआईएसएफ़ अधिकारी की चिकित्सा जाँच में भी खुल कर सामने आई है, जिसकी पुष्टि लगातार तीन दिनों तक उनके चिकित्सीय परीक्षण के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा जारी एमएलसी रिपोर्ट्स, जिसमें साफ़ तौर पर बाहरी चोटों का उल्लेख किया गया है, से होती है।

मीडिया ट्रायल में बनाया गया “खलनायक” और “एकतरफ़ा आशिक़”

आईएएस के पति अमित सावंत को बिना देरी और बिना किसी जाँच के पुलिस द्वारा क्लीन चिट दिए जाने और उनकी आईएएस पत्नी मँजू राजपाल के सकुशल हवाले करने के बाद आनन फ़ानन में सीआईएसएफ़ कमांडेंट को आईएएस के पति की गाड़ी में चरस प्लांट करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। चूँकि सीआईएसएफ़ कमांडेंट पिछले पाँच दिनों से दिल्ली में ही नहीं थे, कहा ये गया कि गाड़ी में चरस प्लांट पाँच दिन पहले अर्थात् 4 अक्तूबर 2019 को ही कर दी गई थी, जो कि अजीब ही नहीं आश्चर्यजनक भी प्रतीत होता है क्योंकि गाड़ी का इस्तेमाल गाड़ी मालिक अमित सावंत स्वयं करते थे और इन दिनों में भी गाड़ी का इस्तेमाल उन्ही के द्वारा किया जा रहा था। पुलिस द्वारा यह भी कहा गया कि अमित सावंत की ह्युंदाई मॉडल i20 कार की डूप्लिकेट चाबी एक राह चलते चाबी बनाने वाले को कार के पास लाकर बनवाई गई थी। पुलिस द्वारा मीडिया में झूठी, सनसनीख़ेज़ और मसालेदार खबरें प्रसारित और प्रचारित की गई जिनके तहत यहाँ तक कहा गया कि पुलिस के पास अमित सावंत की गाड़ी में सीआईएसएफ़ कमांडेंट द्वारा चरस प्लांट करने का सीसीटीवी फ़ुटेज तक है। किन्तु विश्वस्त सूत्रों की मानें तो ऐसा कोई सीसीटीवी फ़ुटेज पुलिस द्वारा आज तक सामने नहीं लाया जा सका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दो वर्ष से भी ज़्यादा का समय बीत जाने के बावजूद भी आज तक आरोप पत्र को भी पूर्ण नहीं किया जा सका है और कुछ रिपोर्ट्स अभी तक पुलिस द्वारा न्यायालय में दाखिल नहीं की गई हैं। मामला विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस), साउथ-ईस्ट दिल्ली, साकेत कोर्ट परिसर में लम्बित है।

“अरे साहब, आपने क्यों पंगा ले लिया आईएएस मैडम से; वो तो हमारे जवाइंट साहब की फ़ैमिली फ़्रेंड हैं और आपको उन्ही ने थाने भेजा था।”

सीआईएसएफ़ अधिकारी ने हाल ही में दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दी गई अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि दिनांक 10 अक्तूबर 2019 को जब थाने में उन्हें भोजन दिया जा रहा था तब कुछ पुलिसकर्मी आपस में हंसते हुए फुसफुसा रहे थे कि “सेक्रेटरी मैडम ने ‘गोली’ खिला दी है सुबह-सुबह; साहेब का तो भगवान ही मालिक है।” सीआईएसएफ़ कमांडेंट ने यह भी कहा है कि एक पुलिसकर्मी ने तो उनसे सहनुभुतिपुर्वक यह तक कहा था कि “अरे साहब, अपने क्यों पंगा ले लिया आईएएस मैडम से; वो तो हमारे जवाइंट साहब की फ़ैमिली फ़्रेंड हैं और आपको उन्ही ने थाने भेजा था।” सीआईएसएफ़ अधिकारी ने अपनी पत्नी के हवाले से भी कहा है कि कुछ पुलिसकर्मी उनकी पत्नी से कह रहे थे कि “जवाइंट सेक्रेटेरी लेवल पे लगता है खेला हो गया है।” इन सभी बातों के मद्देनज़र सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा दिल्ली पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आईएएस मँजू राजपाल द्वारा उन्हें छल-प्रपंच एवं षड्यंत्र के तहत मध्य रात्रि पश्चात थाने भेजने, उन्हें थाने में पुलिसकर्मियों द्वारा बर्बर तरीक़े से थर्ड डिग्री टॉर्चर किए जाने और बलपूर्वक एवं उंनकी पत्नी का अहित करने का भय दिखाकर उस अपराध की स्वीकारोक्ति करने के लिए बाध्य किए जाने का आरोप लगाया है, जो अपराध एनडीपीएस ऐक्ट 1985 की धारा 20 / 35 / 54 के तहत आईएएस पति अमित सावंत पर प्रथम दृष्टया बनता था। किन्तु सीआईएसएफ़ अधिकारी की उक्त शिकायत पर, जिसमें संज्ञेय अपराधों का सबूतों के साथ उल्लेख किया गया है, दिल्ली पुलिस द्वारा लगभग एक माह बीत जाने के बावजूद भी अब तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा इस सम्बंध में माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका पर हाल ही में हुई सुनवाई के उपरांत दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें निचली अदालत में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत याचिका दायर करने के लिए निर्देशित किया गया है। बहरहाल मामला जो भी हो, किसी व्यक्ति की गाड़ी से उसकी स्वयं की उपस्थिति में मादक पदार्थों की बरामदगी के बावजूद उसे बिना आरोपी बनाए और बिना न्यायाधीश के सम्मुख प्रस्तुत किए थाने से ही छोड़ दिए जाने का यह एनडीपीएस ऐक्ट के तहत देश में अब तक का पहला ही मामला प्रतीत होता है।

सीआईएसएफ़ अधिकारी द्वारा करवाया गया है महिला आईएएस का सीडीआर संरक्षित

अमूमन देखा गया है कि पुलिस द्वारा बनाए गए आरोपी सबूतों को सुरक्षित करने के लिए नहीं कहते, किन्तु इस मामले में देखा गया है कि न केवल आरोपी द्वारा कुछ सबूतों को सुरक्षित करने की याचिका का पुरज़ोर विरोध दिल्ली पुलिस द्वारा किया गया है, बल्कि कुछ अहम सबूतों को या तो सुरक्षित ही नहीं किया गया या जानबूझकर सामने नहीं लाया गया है। सूत्रों के अनुसार ये अहम सबूत सीआईएसएफ़ अधिकारी के घर के बाहर और उनके ऑफ़िस में लगे हुए सीसीटीवी कैमरे के फ़ुटेज के रूप में थे, जिन्हें न देखा गया और न संरक्षित किया गया। महिला आईएएस अधिकारी के सीडीआर को संरक्षित कराने के लिए भी सीआईएसएफ़ आधिकारी को माननीय उच्च न्यायालय का दरवाज़ा तक खटखटाना पड़ा, जबकि पुलिस की मानें तो वो इस पूरी कहानी का अहम ही नहीं बल्कि केंद्रीय किरदार रही हैं।

सीआईएसएफ़ कमांडेंट की पत्नी को नहीं है दिल्ली पुलिस पर भरोसा; सिर्फ़ न्यायालय से है न्याय की उम्मीद

सीआईएसएफ़ कमांडेंट ने सम्पर्क करने पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया किन्तु उनकी पत्नी से अलग से सम्पर्क स्थापित करने पर उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस पर उन्हें रत्ती भर विश्वास नहीं है कि वे अपने भाई-बंधुओं और एक शक्तिशाली आईएएस अधिकारी के विरुद्ध कोई भी निष्पक्ष जाँच एवं ठोस कार्यवाही करेंगे और इसलिए उनके पति ने सम्मान और प्रतिष्ठा की इस लड़ाई के लिए न्यायालय का रास्ता चुना है। विदित है कि वर्ष 2000 में सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से सीआईएसएफ़ में आए वरीय कमांडेंट रंजन प्रताप सिंह का सर्विस रिकार्ड शानदार और बेदाग़ रहा है और वह अपने अब तक के सेवाकाल के दौरान सीआईएसएफ़ की विभिन्न इकाइयों, जिनमें दिल्ली और राँची एयरपोर्ट भी शामिल हैं, के साथ साथ नेपाल में भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय में भी सुरक्षा से जुड़े अहम एवं संवेदनशील पदों पर सेवारत रहे हैं।

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