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शिबू सोरेन 10वीं बार बने JMM के अध्यक्ष, हेमंत सोरेन बने कार्यकारी अध्यक्ष,ओबीसी को 27% आरक्षण का संकल्प दोहराया गया

रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा का 12 वां महाधिवेशन रांची में संपन्न हो गया. महाधिवेशन में एक बार फिर सर्व सम्मति से शिबू सोरेन को पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष और हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष चुन लिया गया है. वहीं, केंद्रीय कार्य समिति में विधायक विकास सिंह मुंडा को भी शामिल कर लिया गया. पार्टी के संविधान में संशोधन कर केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य 451 से 351, उपाध्यक्ष 11 से 09, महासचिव 15 से 11, सचिव 25 से 15 कर दिया गया है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने लगातार दसवीं बार शिबू सोरेन को पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया है. जबकि हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है. रांची के हरमू स्थित सोहराय भवन में शनिवार को JMM के 12वें केंद्रीय महाधिवेशन में यह फैसला सर्वसम्मति से किया गया. हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं. पार्टी की नयी केंद्रीय कमिटी बनाने की शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन को दी गई है.

तीन साल बाद हुए JMM के महाधिवेशन में झारखंड के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम के करीब 700 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. दसवीं बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा का जन्म आंदोलन की बदौलत हुआ है. राज्य में अब उनकी सरकार है, जिन्होंने आंदोलन कर अलग राज्य बनाया. इस राज्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब हमारी है. सरकार को गांवों के विकास की योजनाएं गांव के लोगों से पूछकर बनानी चाहिए. इस दौरान उन्होंने लोगों से शराब नहीं पीने की भी अपील की.

इस मौके पर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पार्टी ने लंबे संघर्ष के बाद राज्य में सरकार बनायी है. इस दौरान पार्टी ने कई उतार चढ़ाव पार्टी देखे. यही कारण है कि राज्य में सरकार बनाने का उन्हें मौका मिला है. लेकिन ये आखिरी मंजिल नहीं है. हम न तो कभी रुकने वाले हैं, न झुकने वाले हैं और न ही थकने वाले हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में 28 से 30 योजनाएं पिछले छह महीने में शुरू हुई हैं. इन योजनाओं की देश भर में चर्चा हो रही है. विपक्षियों के पास कोई मुद्दा नहीं है. हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं है. अगर उनकी सरकार नहीं होती और विपक्ष सत्ता में होते तो वे राज्य को गटर बना देते.

12 वें महाधिवेशन में पारित राजनीति प्रस्ताव में जहां भाजपा की नीतियों पर प्रहार किया गया. वहीं, यह बताया गया कि भाजपा कैसे संविधान में दी गयी अधिकार का हनन कर रही है. राजनीतिक प्रस्ताव में राज्य में ओबीसी को 27% आरक्षण का संकल्प दोहराया गया.

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