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अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर हेमंत सरकार गंभीरता दिखाएं:अवामी इंसाफ़ मंच

रांची: झारखंड के मुस्लिम समाज समेत अल्पसंख्यकों के संवैधानिक एव बुनियादी ज्वलंत मुद्दों पर सामाजिक- मानवाधिकार कार्यकर्ताओं/आंदोलनकारियों/अधिवक्ताओं/लेखकों/रंगकर्मियों के साथ दो दिवसीय ऑनलाइन मीटिंग हुई.बैठक में मुस्लिम एव अल्पसंख्यकों के संवैधानिक एव बुनियादी ज्वलंत मुद्दों पर हेमंत सरकार एव सत्ताधारी पार्टियों को सत्ता संभाले लगभग पौने दो साल के बाद भी आपने ही चुनावी घोषणा पत्र पर सुध तक नही ली है,जो दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है.मुस्लिम समेत अल्पसंख्यक समाज में चर्चा जोरों की है,यह भी चर्चा जारी है कि सरकार आपने कार्यों एव अन्य कार्यों को बख़ूबी अंज़ाम दे रही है लेकिन अल्पसंख्यकों से किए वादें अभी भी हाशिये पर है,ऊपर से सांप्रदायिक नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन एव उसके बाद छुटपुट जगहों पर सुनियोजित सांप्रदायिक फ़साद समेत आंदोलनकारियों पर राज्य भर में फ़र्ज़ी मुकदमें में सैकड़ों मुस्लिम नौजवान परेशान जिसकी अब सरकार को समीक्षा करनी चाहिए,रांची समेत झारखंड में तबलीग़ ज़मात पर हिंदपीड़ी थानें समेत राज्य के विभिन्न थानों में नफ़रती एफआईआर में काफ़ी परेशानी के बाद न्यायालय द्वारा राहत मिली है पर इस केस को एक साल हो गए,अब हेमंत सरकार की पुलिस द्वारा किए एफआईआर को रद्द करते हुए तबलीग़ जमात एव पीड़ित हुए विदेशी नागरिकों को सम्मानजनक सम्मान देते हुए पूरे केस से बरी करना चाहिए,रघुवर एव हेमंत सरकार के कार्यकाल में 44 मोब लिंचिंग हो चुकी है,अभी हाल ही में रांची में तीन मोबलिंचिंग से हत्या हुई जिसमें अनगड़ा ब्लॉक स्थित महेशपुर गांव के मोबारक खान,नगड़ी के मोख्तार अंसारी एव रांची के कोतवाली में सचिन वर्मा शामिल है.

जिसमें अभी तक किसी को आज तक सरकार द्वारा इंसाफ़ नही मिला है और न ही क़ानून बना है,देश के जिस राज्य झारखंड में सबसे ज़्यादा मोब लिंचिंग हुई, मानवाधिकार को खुला उल्लंघन हुआ,जहां सरकारी कार्यों की पारदर्शिता नही हुई वहां सालों समेत महीनों- महीनों से झारखंड अल्पसंख्यक आयोग, मानवाधिकार आयोग,महिला आयोग,सूचना आयोग ही नही.

रघुवर सरकार के समय हुए लोकसभा चुनाव में यूपीए गठबंधन से एक मुस्लिम उम्मीदवार देने की मांग को लेकर रांची के 16 मुस्लिम नौजवानों पर सुनियोजित फ़र्ज़ी एफआईआर हुए जिसकी समीक्षा कर रद्द करना चाहिए, झारखंड में उंगलियों में गिनेचुने मुस्लिम अधिकारियों को पूर्व की रघुवर सरकार की तरह इस हेमंत सरकार में भी कुछ अधिकारियों द्वारा जानबूझकर कर समय के काफ़ी पूर्व तबादला, सेंडिंग पोस्ट,फ़ील्ड से वंचित जैसी धर्मविशेष से संबंधित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनर्विर्ति हो रही है,जो हेमंत सरकार को कुछ अधिकारियों द्वारा बदनाम कर कटघरे में खड़ा कर रही है.इन सभी मुद्दों पर हेमंत सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार के साथ उचित और जल्द आदेश देना चाहिए,जिससे झारखंड के अल्पसंख्यकों में भी यह एहसास हो सके ” हेमंत है तो हिम्मत है ” जैसे नारों को जीवंत और बल मिल सके साथ ही अल्पसंख्यकों को उनका संवैधानिक बुनियादी हक मिल सके.

ऑनलाइन बैठक के माध्यम से सभी साथियों के सर्वसम्मति से अवामी इंसाफ़ मंच का पुनर्गठन किया गया.

अवामी इंसाफ़ मंच झारखंड का 21 सदस्यीय कमेटी बनाई गई,जिसमें नदीम खान को संयोजक,अधिवक्ता इम्तेयाज़ अशरफ़ एव पूर्व एएमयू छात्र नेता शारिक अहमद को सह संयोजक बनाया गया.

इसके साथ कई सब कमेटियों का गठन हुआ.
संगठन को संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के मूल नारें “शिक्षित हो,संगठित हो,संघर्ष करो” पर आगे बढ़ेगा.
आगामी योजना में कई योजनाएं श्रंखलाबद्ध हुई है.
एआईपीएफ़ के झारखंड राज्य समन्वयक अनिल अंशुमान के बहुमूल्य सुझावों के साथ बैठक संम्पन्न हुई.

बैठक में मुख्य रुप से संयोजक मंडली टीम के नदीम खान,अधिवक्ता इम्तेयाज अशरफ़,शारिक अहमद,नौशाद आलम,इफ़्तेख़ार अहमद,मोईन रज़ा अंसारी,अधिवक्ता निशाद खान,इंजीनियर शाहनवाज़ अब्बास,मो ख़ुर्शीद आलम,अकरम राशिद,नवाब चिश्ती,मतीउर रहमान पप्पू, असफ़र खान, अधिवक्ता मो फ़ैज़,अधिवक्ता सोहैल अंसारी,मो फ़िरोज़ अंसारी,मो अल्तमस, डॉ दानिश रहमानी,मो आज़ाद दानिश,मो कलीम अंसारी,मो मोईन अंसारी,मो सैफ़,साज़िद उमर, मो बब्बर,मो आदिल,अब्दुल ज़हीर,आदिल हुसैन समेत अन्य साथी उपस्थित थे.

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