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झारखंडरांची

मुगल सल्तनत खत्म हो गई लेकिन इसकी छाप अभी भी झारखंड में दिखाई पड़ती है:प्रतुल शाह देव

जहांपनाह का दरबार सजता था,अधिकारियों के यहां बालाएं नाचती है,खजाने पर एक परिवार का कब्जा था- ये सब मुगलिया काल की याद दिलाता है

रामलला के अस्तित्व को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट करके नकारने वाले आज राम भक्त होने का नाटक कर रहे हैं

रांची:भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने आज कांग्रेस की पीसी पर पलटवार करते हुए कहा कि ईडी ने हेमंत सोरेन के जमानत के मुद्दे पर जो पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है उससे बहुत चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ऐसा लगता है कि झारखंड में समय थम सा गया है ।मुगल विदा हो गए।लेकिन यहां मुगलिया सल्तनत अभी भी जारी है। ईडी के पिटीशन के अनुसार जहांपनाह का दरबार लगा करता था।सारे सलाहकार जुटते थे और खजाने को लूटने की योजना बनती थी ।उसके बाद सुनियोजित तरीके से खजाने और प्रजा की जमीन की लूट होती थी।यही नहीं जहांपनाह के मातहत काम करने वाले अधिकारियों के यहां भी दरबार लगता था। बालाएं के साथ अधिकारी जाम छलकाते हुए नृत्य करते थे।प्रतुल ने कहा की जिस आदिवासी मूलवासी को इन्होंने सत्ता में भागीदारी का वादा किया था, उसी की गाढ़ी कमाई को पूर्ववर्ती सरकार डकार गई। मौजूदा सरकार में भी इस कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है । ईडी के पिटीशन के पॉइंट 54 में इस पूरे प्रकरण का जिक्र है जिसका डिजिटल एविडेंस भी उपलब्ध है।

ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन के मामले में दिए पिटीशन के प्वाइंट 51 में स्पष्ट उल्लेख है कि सिर्फ ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर में कमीशन का ₹3000 करोड़ का घोटाला हुआ।जिसके तार सीधे तौर पर आलमगीर आलम से जुड़े हैं जो इनके सहयोगियों ने भी लिखित बयानों में स्वीकार किया है।इन सब बातों पर झामुमो और कांग्रेस खामोश है।

प्रतुल ने कहा कि कांग्रेस इस बात पर भी खामोश है कि ईडी ने अपने इसी पिटीशन में यह स्पष्ट किया है कि बढ़गाईं की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का ही कब्जा था। ईडी ने अपने पिटीशन में स्पष्ट किया है कि सर्किल ऑफिसर मनोज कुमार, पिंटू के आप्त सचिव उदय शंकर प्रसाद, पूर्व सीओ शैलेश कुमार और केयरटेकर संतोष पाहन ने गवाही देकर उस जमीन को हेमंत सोरेन की बेनामी जमीन बताया है। प्रतुल ने कहा कि इसे ही संस्थागत भ्रष्टाचार कहा जाता है जब पूरी की पूरी राज्य सरकार एक होकर लूट का खेल करती है।

प्रतुल ने कहा कांग्रेस आज राम भक्त होने का दावा कर रही है।कांग्रेस के प्रवक्ता ने यह स्पष्ट क्यों नहीं किया कि 2007 में उनकी यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट करके रामलला जी को काल्पनिक पात्र और रामायण को काल्पनिक ग्रंथ क्यों बताया था? उसके बाद राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का भी उन्होंने बहिष्कार किया था। यह राम विरोधी लोग है और जनता इन रामद्रोहियों को सबक सिखाएगी।

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