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टीएसी की बैठक में भाजपा विधायकों का शामिल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण और जनजातीय समुदाय के हितों के प्रतिकुल: कांग्रेस

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आज हुई टीएसी की बैठक में भाजपा विधायकों द्वारा हिस्सा नहीं लेने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और जनजातीय समुदाय के हितों के प्रतिकुल बताया है। उन्होंने कहा कि जब-जब गठबंधन सरकार आदिवासियों-मूलवासियों के संरक्षण और उनके विकास की बात करती है, तो भाजपा नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है और किसी भी तरह से विकास के काम में अड़ंगा लगाना शुरू कर देते हैं।

पहले भाजपा नेताओं के इशारे पर इसे राजभवन द्वारा महीनों दबा कर रखा गया है

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि जनजातीय समाज के विकास में टीएसी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, पहले भाजपा नेताओं के इशारे पर इसे राजभवन द्वारा महीनों दबा कर रखा गया है और जब राज्य सरकार ने नये नियमावली के तहत सदस्यों के मनोनयन का अधिकार राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को सौंपते हुए टीएसी गठन का मार्ग प्रशस्त किया गया, तो भाजपा नेताओं को यह बात हजम नहीं हो रही है और आदिवासियों के विकास में तरह-तरह के रोड़ा अटकाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने आज यह तर्क देते हुए कहा टीएसी की बैठक का बहिष्कार किया कि इस समिति का अध्यक्ष मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि आदिवासी रहना चाहिए। अब यह आम लोगों को भी समझ में नहीं आ रही है, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आदिवासी है, तो फिर भाजपा सदस्यों ने किस बात का एतराज करते हुए बैठक का बहिष्कार किया है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में टीएसी की लगातार बैठकें होती रही, उस वक्त भाजपा गैर आदिवासी की अध्यक्षता में टीएसी की हो रही बैठक पर एतराज क्यों नहीं जताया गया।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि टीएसी के गठन को भाजपा असंवैधानिक बता रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भाजपा सरकार में ही इस नियम में बदलाव किया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को विकास कार्यां में रोड़ा अटकाने की बजाय सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।

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